15-01-2015, 08:14 PM | #81 |
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Re: मां
एक दिन एक आदमी ने उस लडके से पुछा कि, बेटा, तुझे अपनी नई माँ और अपनी मरी हुई माँ मेँ क्या फर्क लगा..? तो वह लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और मरी हुई माँ झुठी थी..!! यह सुनकर वह आदमी अचरज मेँ पड गया, फिर बोला : क्यु बेटा तुझे ऐसा लगता है..? जिसने तुझे अपनी कोख से जन्म दिया वह झुठी और कल तक आई हुई माँ सच्ची क्यु लगती है..? तो लडका बोला : जब मैँ मस्ती करता था तब मेरी माँ कहती थी कि "अगर तु इस तरह करेगा तो तुझे खाना नही दुगीँ" फिर भी मैँ बहुत मस्ती करता रहता था. और मुझे पुरे गाँव मेँ से ढुढँ कर घर लाती और अपने पास बिठाकर अपने हाथो से खाना खिलाती थी..!! और यह नई माँ कहती है कि "अगर तु मस्ती करेगा तो तुझे खाना नही दुँगी.... और सच मेँ उसने मुझे आज तीन दिन से खाना नही दिया ..
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
15-01-2015, 08:16 PM | #82 |
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Re: मां
दबी सिकुड़ी .... तेरे डिब्बे की वो दो रोटियाँ .... कहीं बिकती नहीं ....
माँ महंगे होटलों में आज भी .... भूख मिटती नहीं .... घेर लेने को मुझे , जब भी बलाएं आ गई ! ढाल बनकर सामने , माँ की दुआएँ आ गई !!
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15-01-2015, 08:16 PM | #83 |
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Re: मां
प्यारी बेटी
क्या करुं,, तुझे कहाँ छिपाऊं तू जन्मी तो सृष्टि सुंदर लगी पर संसार की कुरुपता तुझे कैसे दिखाऊं,, कैसे बचाऊं तुझे स्त्री जीवन के घोषित अभिशाप से,, कैसे मुक्त करुं स्वयं को इस संताप से,, चल चलें हम दोनों दूर इस संसार से मुक्त हो जायें इस अभिशापित जीवन के भार से,, संभालने दो उन्ही को दायित्व-सृष्टि सृजन जो बने हैं हमारे अस्तित्व, अस्मिता के दुश्मन,, प्यारी बेटी क्या करुं बहुत दुःखी है तुम्हारी माँ का मन,,
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15-01-2015, 08:17 PM | #84 |
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Re: मां
माँ
बेसन कि सोँधी रोटी पर खट्टी चटनी-जैसी माँ याद आती है चौका-बासन चिमटा, फुकनी-जैसी माँ बान की खुर्री खाट के उपर हर आहट पे कान धरे आधी सोयी आधी जागी थकी दोपहरी- जैसी माँ चिड़ियोँ कि चहकार मे गूँजेँ राधा-मोहन, अली-अली मुर्गे कि आवाज से खुलती घर की कुण्डी जैसी-माँ बीबी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी-सी सब मेँ दिन भर इक रस्सी के उपर चलती नटनी-जैसी माँ बाँट के अपना चेहरा, माथा आँखेँ जाने कहाँ गयी फटे पुराने इक अलबम मेँ चंचल लड़की जैसी-माँ निदा फाज़ली
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15-01-2015, 08:17 PM | #85 |
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Re: मां
बीमार माँ सारी रात बिस्तर पर पड़ी दर्द से कराहती रही,
उसकी दर्द भरी आवाज बेटे को खलल नजर आती रही ,, आधी रात में महबूबा की क्या सुन ली उसने फोन पर एक छींक ,, उस बेशर्म को वो भयंकर बीमार नजर आती रही ,,'नीलम ' (जानू तुम अपना बिलकुल ख्याल नहीं रखती,,अभी आता हूँ,,दवाई दिलवाता हूँ)
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15-01-2015, 08:19 PM | #86 |
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Re: मां
डांटती मारती, फिरसे बुला लेती है ।
माँ तो बस माँ है,सीने से लगा लेती है ।।
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15-01-2015, 08:21 PM | #87 |
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Re: मां
एक लड़की अपनी माँ के पास अपनी परेशानियों का बखान कर रही थी l
वो परीक्षl में फेल हो गई थी l सहेली से झगड़ा हो गया l मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी वो जल गई l रोते हुए बोली, मम्मी ,देखो ना , मेरी जिन्दगी के साथ सब कुछ उलटा -पुल्टा हो रहा है l माँ ने मुस्कराते हुए कहा, यह उदासी और रोना छोड़ो, चलो मेरे साथ रसोई में , "तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"l लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,"केक तो मेरी मनपसंद मिठाई है"l कितनी देर में बनेगा, कन्या ने चहकते हुए पूछा l माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया और प्यार से कहा, ले पहले मैदा खा ले l लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई खाता है भला l माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा,"तो ले सौ ग्राम चीनी ही खा ले"l एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और कहा लो इसका भी स्वाद चख लो "माँ"आज तुम्हें क्या हो गया है? जो मुझे इस तरह की चीजें खाने को दे रही हो ? माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब दिया,"बेटा"केक इन सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी मिलकर ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं . मैं तुम्हें सिखाना चाह रही थी कि"जिंदगी का केक"भी इसी प्रकार की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है l फेल हो गई हो तो इसे चुनौती समझो मेहनत करके पास हो जाओ l सहेली से झगड़ा हो गया है तो अपना व्यवहार इतना मीठा बनाओ कि फिर कभी किसी से झगड़ा न हो l यदि मानसिक तनाव के कारण"ड्रेस"जल गई तो आगे से सदा ध्यान रखो कि मन की स्थिति हर परिस्थिति में अच्छी हो l बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगे l कार्यों को कुशलता से करने के लिए मन के चिंतन को कुशल बनाना अनिवार्य है l
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15-01-2015, 08:25 PM | #88 |
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Re: मां
"संतान" -
मैं तकरीबन २० साल के बाद विदेश से अपने शहर लौटा था ! बाज़ार में घुमते हुए सहसा मेरी नज़रें सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे पर जा टिकीं, बहुत कोशिश के बावजूद भी मैं उसको पहचान नहीं पा रहा था ! लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग रहा था की मैं उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता हूँ ! मेरी उत्सुकता उस बूढ़ेसे भी छुपी न रही , उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ गया था कि उसने मुझे पहचान लिया था ! काफी देर की जेहनी कशमकश के बाद जब मैंने उसे पहचाना तो मेरे पाँव के नीचे से मानो ज़मीन खिसक गई ! जब मैं विदेश गया था तो इसकी एक बहुत बड़ी आटा मिल हुआ करती थी नौकर चाकर आगे पीछे घूमा करते थे ! धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस दानवीर पुरुष को मैं ताऊजी कह कर बुलाया करता था ! वही आटा मिल का मालिक और आज सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर? मुझ से रहा नहीं गया और मैं उसके पास जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा : "ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया ?" भरी ऑंखें लिए मेरे कंधे पर हाथ रख उसने उत्तर दिया: "बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा !"
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15-01-2015, 08:26 PM | #89 |
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Re: मां
धुप में मत घुमो लू लग जाएगी,
स्वेटर पहनो सर्दी लग जाएगी, भीग गये, कपड़े बदलो माँ... की इन बातो पर तब गुस्सा आता था, आज अहसास होता है किसी को मतलब था हमारे सुख-दुःख से |
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15-01-2015, 08:28 PM | #90 |
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Re: मां
मैँ रोया परदेस मेँ,भीगा माँ का प्यार।
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार॥
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माँ, माता है अनमोल, mother |
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