06-03-2013, 02:28 PM | #11 |
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Re: विदिशा :
मशरूम गुफ़ाएँ, उदयगिरि
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
06-03-2013, 02:31 PM | #12 |
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Re: विदिशा :
उदयगिरि गुफ़ाएँ विवरण चन्द्रगुप्त द्वितीय के उदयगिरि गुहालेख में इस सुप्रसिद्ध पहाड़ी का वर्णन है।
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06-03-2013, 02:33 PM | #13 |
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Re: विदिशा :
उदयगिरि गुफ़ाएँ
यह प्राचीन स्थल भिलसा से चार मील दूर बेतवा तथा बेश नदियों के बीच स्थित है। चन्द्रगुप्त द्वितीय के उदयगिरि गुहालेख में इस सुप्रसिद्ध पहाड़ी का वर्णन है। यहाँ पर बीस गुफ़ाएँ है। जो हिन्दू और जैन मूर्तिकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। मूर्तियाँ विभिन्न पौराणिक कथाओं से सम्बद्ध हैं और अधिकांश गुप्तकालीन हैं। मूर्तिकला की दृष्टि से पाँचवीं गुफ़ा सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसमें वराह अवतार का दृश्य अंकित वराह भगवान का बाँया पाँव नाग राजा के सिर पर दिखलाया गया है। जो सम्भवतः गुप्तकाल में सम्राटों द्वारा की गये नाग शक्ति के परिहास का प्रतीक है। छठी गुफ़ा में दो द्वारपालों, विष्णु, महिष-मर्दिनी एवं गणेश की मूर्तियाँ हैं। गुफ़ा छः से प्राप्त लेख से ज्ञात होता है कि उस क्षेत्र पर सनकानियों का अधिकार था। उदयगिरि के द्वितीय गुफ़ा लेख में चन्द्रगुप्त के सचिव पाटलिपुत्र निवासी वीरसेन उर्फ शाव द्वारा शिव मन्दिर के रूप में गुफ़ा निर्माण कराने का उल्लेख है। वह वहाँ चन्द्रगुप्त के साथ किसी अभियान में आया था। तृतीय उदयगिरि गुफ़ा लेख में कुमार गुप्त के शासन काल में शंकर नामक व्यक्ति द्वारा गुफ़ा संख्या दस के द्वार पर जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मूर्ति को प्रतिष्ठित कराये जाने का उल्लेख है।
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06-03-2013, 02:34 PM | #14 |
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Re: विदिशा :
उदयगिरि गुफ़ाएँ
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06-03-2013, 02:35 PM | #15 |
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Re: विदिशा :
वास्तुशिल्प
गुप्त काल में उदयगिरि में 20 पत्थर जनिक प्रकोष्ठों का उत्खनन किया गया था, जिनमें दो में चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल से जुड़ी हुई चीज़ें थीं। ये गुफाएं अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं, क्योंकि वे भारत में हिंदू कला के प्रारंभिक स्वरूप की परिचायक हैं और यह दिखाती हैं कि पांचवी शताब्दी के प्रारंभ में ही हिंदू मूर्ति शिल्प कला स्थापित हो चुकी थी। उदयगिरि में मिली महत्वपूर्ण गुफाओं में एक है गुफा-5, वाराह गुफा। इसकी प्रमुख विशेषता इसका वृहत् शैल जनिक आकार है जो भगवान विष्णु के अवतार वाराह द्वारा पृथ्वी माता को विप्लव से बचाने का परिचायक है। भारतीय कलाकारों की क्षमता और उनकी शक्ति इस काल में विध्वंस और विनाश के ख़िलाफ़ एक आध्यात्मिक, ब्रह्मशक्ति के रूप में परम ऊंचाइयों पर पहुंची
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06-03-2013, 02:38 PM | #16 |
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Re: विदिशा :
हेलिओडोरस स्तंभ, विदिशा
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06-03-2013, 02:43 PM | #17 |
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Re: विदिशा :
गुफ़ाएँ
पहाड़ियों से अन्दर बीस गुफ़ाएँ हैं जो हिंदू और जैन-मूर्तिकारी के लिए प्रख्यात हैं। मूर्तियाँ विभिन्न पौराणिक कथाओं से सम्बद्ध हैं और अधिकांश गुप्तकालीन हैं। यहाँ पाये जाने वाले स्थानीय पत्थर के कारण इन गुफ़ाओं में से अधिकांश गुफ़ाएँ मूर्ति- विहीन गुफ़ाएँ रह गई हैं। खुदाई का काम आसान था क्योंकि यह पत्थर नरम थे, लेकिन साथ-ही-साथ यह मौसमी प्रभावों को झेलने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। गुफ़ा सं. 1 इस गुफ़ा का नाम सूरज गुफ़ा है। इस गुफ़ा में अठखेलियाँ करती वेत्रवती, साँची स्तूप तथा रायसेन के क़िले की शिलाएँ स्पष्ट दिखाई पड़ती है। इस गुफ़ा में 7 फ़ीट लंबे और 6 फ़ीट चौड़े कक्ष हैं। गुफ़ा सं. 2 यह गुफ़ा 7 फ़ीट 11 इंच लंबी और 6 फ़ीट 1.5 इंच चौड़ी एक कक्ष की भाँति है, जिसका अब केवल निशान रह गया है। गुफ़ा सं. 3 यह गुफ़ा भीतर से 86 फ़ीट चौड़ी और 6 फ़ीट 3 इंच गहरी है। इसमें बची 5 मूर्तियों में से कुछ मूर्तियाँ चर्तुमुखी है व वनमाला धारण किये हुए हैं। गुफ़ा सं. 4 इस गुफ़ा में शिवलिंग की प्रतिमा है। इसके प्रवेश द्वार पर एक मनुष्य वीणा वादन में व्यस्त दिखाया गंया है जिसके करण इस गुफ़ा को बीन की गुफ़ा कहते हैं। यह गुफ़ा 13 फ़ीट 11 इंच लंबी और 11 फ़ीट 8 इंच चौड़ी है। गुफ़ा सं. 5 इस गुफ़ा को वराह गुफ़ा कहते है क्योंकि इसमे वराहवतार की सुन्दर झाँकी है। इसमें वराह भगवान को नर और वराह रूप में अंकित किया है। उनका बायाँ पाँव नागराजा के सिर पर दिखलाया गया है जो संभवतः गुप्तकाल में गुप्त-सम्राटों द्वारा किए गए नामशक्ति के परिह्रास का प्रतीक है। यह गुफ़ा 22 फ़ीट लंबी और 12 फ़ीट 8 इंच ऊँची है। गुफ़ा सं. 6 इस गुफ़ा के दरवाज़े के बाहर दो द्वारपाल, दो विष्णु, एक गणेश और एक महिषासुर-मर्दिनी की मूर्ति बनाई हुई है। ये भव्य मूर्तियाँ भारतीय मूर्तिकला के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। गुफ़ा सं. 7 इस गुफ़ा में अब सिर्फ़ दो द्वारपालों के चिह्न अवशिष्ट हैं, जो गुफ़ा स. 6 की तरह ही बनायी गयी है। प्राप्त शिलालेखों से पता चलता है कि यह एक शैव गुफ़ा है। गुफ़ा सं. 8 इस गुफ़ा का कुछ भी नाम और निशान नहीं बचा है। गुफ़ा सं. 9, 10 और 11 ह तीनों वैष्णव गुफ़ाएँ हैं, जिनमें सिर्फ़ विष्णु के अवशेष रह गये हैं। गुफ़ा सं. 12 यह गुफ़ा भी वैष्णव गुफ़ा है, इसमें भी विष्णु की मूर्ति बनाई गई थी और बाहर दो द्वारपाल भी बनाये गये थे। जिनका अब कोई नाम और निशान नहीं बचा है। गुफ़ा सं. 13 इस दालाननुमा गुफ़ा का मुख उत्तर की ओर है। इसके सामने से उदयगिरि पहाड़ी के ऊपर जाने का प्रमुख़ मार्ग है। यह गुफ़ा शेषशायी विष्णु की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। मूर्ति की लंबाई 12 फ़ीट है। मूर्ति के सिर पर फ़ारसी मुकुट, गले में हार, भुजबंध व हाथों में कंगन हैं। वैजयंतीमाला घुटनों तक लंबी है। गुफ़ा के आस-पास व सामने वाली चट्टान पर शंख लिपि खुदी हुई है, जो संसार की प्राचीनतम लिपियों में से एक मानी जाती है। गुफ़ा सं. 14 इस गुफ़ा का भी कोई नाम और निशान नहीं बचा है। गुफ़ा सं. 15 और 16 इन गुफ़ाओं की मूर्तियाँ नष्ट कर दी गई हैं इसलिए यह गुफ़ाएँ ख़ाली हैं। गुफ़ा सं. 17 इसमें भी गुफ़ा सं. 6 की तरहा दोनों तरफ द्वारपाल हैं, परंतु गणेश की मूर्ति पर निखार आ गया है। मूर्ति के सिर पर मुकुट बना हुआ है। इसके अलावा इसमें महिषासुरमर्दिनी की भी एक मूर्ति स्थापित की गई है। गुफ़ा सं. 18 यह गुफ़ा अब ख़ाली रह गई है क्योंकि इसकी सारी मूर्तियाँ तोड़ दी गई हैं। गुफ़ा सं. 19 यह गुफ़ा उदयगिरि की गुफ़ाओं में सबसे बड़ी है। इसके अन्दर एक शिवलिंग है, जिसकी पूजा स्थानीय लोग आज भी करते हैं। ऊपर भीतरी छत पर कमल की आकृति बनी हुई है। बाहर दोनों ओर द्वारपालों की दो बड़ी-बड़ी क्षरणयुक्त मूर्तियाँ हैं। ऊपर की तरफ एक सुंदर समुद्र मंथन का भी दृश्य है। बीच में मंदराचल को वासुकी नाग के साथ बाँधकर एक ओर देवगण व दूसरी ओर असुरगण मंथन कर रहे हैं। द्वार के चारों तरफ अनेक प्रकार की लताएँ, बेलें, कीर्तिमुख व आकृतियाँ खुदी हुई हैं। गुफ़ा सं. 20 इस गुफ़ा में चार मूर्तियाँ हैं, जो कमलासनों पर विराजमान हैं। इसके चारों ओर आभामण्डल व ऊपर छत्र हैं। इसमें तीन मूर्तियों में नीचे की तरफ, जो चक्र है उनके दोनों ओर दो सिंह आमने-सामने मुँह करे हुए बैठे हैं।
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06-03-2013, 02:45 PM | #18 |
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Re: विदिशा :
वराह अवतार भित्ति मू्र्तिकला, उदयगिरी, विदिशा
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06-03-2013, 02:46 PM | #19 |
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Re: विदिशा :
बलुआ पत्थर की गुफ़ाएँ, उदयगिरि
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06-03-2013, 02:49 PM | #20 |
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Re: विदिशा :
बीजामंडल, विदिशा
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