17-09-2011, 11:42 PM | #1 |
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हास्य कवितायें.........
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17-09-2011, 11:42 PM | #2 |
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Re: हास्य कवितायें.........
बोर्ड की परीक्षा में
हाई स्कूल की कक्षा में एक भाई साहब मेज पर चाकू गाड़े परीक्षा देने में तल्लीन थे । निरीक्षक ने देखा पहले खिसिआया फिर झल्लाया अंत में छात्र के समक्ष करबद्ध हो कर धीरे से बड़बड़ाया । हे आर्य ! हे करूश्रेष्ठ आप कॉपी रूपी रणक्षेत्र में युद्ध खंजर से क्यूं लड़ रहे हैं घ् कॉपी पर जूझ रहा छात्र गुरू को कुपित नेत्रों से घूर कर ज़ोर से चिघांड़ा । हे विद्यापति ! हे गुरूवर ! भगवान ने आपको दो आंखें मुफ्त में दीए ऊपर से आपने लालटेन भी लगा ली । पर आप ये न समझ पाये कि मैंने चाकू प्रश्नपत्र पर क्यूं गाड़ा है । हे विद्यानिधि ! आपके पंखे में रेग्युलेटर नहीं है । ये तीन पंखों की चिरईया फुल स्पीड पर फड़फड़ा रही है । मेरा प्रश्न पत्र इसकी तीव्र वायु से उड़ा जा रहा था । अतः मैंने इसकी लाश पर चाकू गाड़ कर इसको उड़ने से वंचित कर दिया है । और कोई बात नहीं ये तो मात्र पेपरवेट है । |
17-09-2011, 11:53 PM | #3 |
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Re: हास्य कवितायें.........
जब से बेग़म ने मुझे मुर्गा बना रखा है
मैनें नज़रों की तरह सर भी झुका रखा है । बर्तनों, आज मेरे सर पे बरसते क्यों हो मैनें तो हमेशा से तुमको धुला रखा है । पहले बेलन ने बनाया था मेरे सर पे गुमड़ और अब चिमटे ने मेरा गाल सुजा रखा है । सारे कपड़े तो जला डाले हैं बेग़म ने तन छुपाने को बनियान फटा रखा है । वही दुनिया में मुक़द्दर का सिकंदर ठहरा जिसने खुद को अभी शादी से बचा रखा है । पी जा इस मार की तलख़ी को भी हँस कर आज मार खाने में भी क़ुदरत ने मज़ा रखा है । |
11-12-2012, 07:27 PM | #4 |
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Re: हास्य कवितायें.........
हमने, बचपन से ही सुना है “पहले तोलो, फिर बोलो” महात्मा गांधीजी के एक बंदर ने सिखाया था “कम बोलो, ज़रूरी हो तो बोलो अगर एक शब्द से काम चलता हो तो दो शब्द भी मत बोलो” स्कूल में मुहावरा पढ़ा था “दीवारों के भी कान होते हैं” आज, एक अनमोल वचन सुना “मत बोलो, दुश्मनों के भी कान होते हैं” बात तो सही है पर, आम लोग तो कम बोलें या ज़्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता है’ लेकिन, इन मीडिया वालों का क्या करें? जो, अपनी टी.आर.पी बढ़ाने और सबसे पहले ख़बर भुनाने की होड़ में ज़रा-सी बात की भनक पड़ते ही ख़बर उछालने और बात का बतंगड़ बनाने की ललक में कुरेद-कुरेदकर ख़बर बनाते हैं चिल्ला-चिल्लाकर राज़ बताते हैं हंगामाख़ेज़ शीर्षकों से अंदर की ख़बर सुनाते हैं वे तो यह बात भूल ही जाते हैं न कि “दुश्मनों के भी कान होते हैं” बस, दुश्मन उसीका लाभ उठाते हैं भारी हंगामा मचाते हैं भयंकर आतंक मचाते हैं लाशों के ढेर बिछाते हैं चुपके-से खिसक जाते हैं पकड़े जाने पर जेलों में मनचाही बातें मनवाते हैं और फिर दया और सहानुभूति की अपील के ज़रिए अक्सर छूट जाते हैं फिर भी मीडिया वाले यह भूल जाते हैं कि दुश्मनों के भी कान होते हैं, दुश्मनों के भी कान होते हैं, दुश्मनों के भी कान होते हैं.’
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11-12-2012, 07:32 PM | #5 |
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Re: हास्य कवितायें.........
टीवी पर चल रही थी खबर एक इंजीनियरिंग महाविद्यालय में छात्रों द्वारा छात्राओं को होठों पर लिपस्टिक लगाने की तब पति जाकर उसकी बत्ती बुझाई। इस पर पत्नी को गुस्सा आई। वह बोली, ‘क्यों बंद कर दिया टीवी, डर है कहीं टोके न बीवी, तुम भी महाविद्यालय में मेरे साथ पढ़े पर ऐसा कभी रोमांटिक सीन नहीं दिया, बस, एक प्रेम पत्र में फांस लिया, उस समय अक्ल से काम नहीं किया, एक रुखे इंसान का हाथ थाम लिया, कैसा होता अगर यह काम हमारे समय में होता, तब मन न ऐसा रोता, तुम्हारे अंदर कुंठा थी इसलिये बंद कर दिया टीवी, चालू करो इसमें नहीं कोई बुराई।’’ सुनकर पति ने कहा ‘देखना है तो अपनी आठ वर्षीय बेटी को मेरे साथ बाहर भेज दो, फिर चाहे जैसे टीवी चलाओ चाहे जितनी आवाज तेज हो, अभी तीसरी में पढ़ रही है लिपस्टिक को नहीं जानती, अपने साथियों को भाई की तरह मानती, अगर अधिक इसने देखा तो बहुत जल्दी बड़ी हो जायेगी, तब तुम्हारी लिपस्टिक रोज कहीं खो जायेगी, पुरुष हूं अपना अहंकार छोड़ नहीं सकता, दूसरे की बेटी कुछ भी करे, अपनी को उधर नहीं मोड़ सकता, ऐसा कचड़ा मैं नहीं फैलने दे सकता अपने ही घर में जिसकी न मैं और न तुम कर सको धुलाई।’’ पत्नी हो गयी गंभीर खामोशी उसके होठों पर उग आई।
देर से ही सही बात उसकी समझ में तो आई |
11-12-2012, 08:02 PM | #6 |
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Re: हास्य कवितायें.........
बहुत बढ़िया मलेठिया जी,
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
12-12-2012, 10:37 AM | #7 |
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Re: हास्य कवितायें.........
एक नए अखबार वाले सर्वे कर रहे थे
मैंने कहा मैं भी खूब अखबार लेता हूं जागरण, पत्रिका,भास्कर, केसरी ओर हरिभूमि हिन्दी हो या अंगरेजी सबका सच्चा क्रेता हूं पत्रकार बोला इतनों को कैसे पढ़ते हैं मैंने कहा ये भी बात साफ कर देता हूं पढ़ने का तो कोइ भी प्रश्न ही नहीं है साब मैं कबाड़ी हूं पुराने तोलकर लेता हूं |
12-12-2012, 10:44 AM | #8 |
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Re: हास्य कवितायें.........
हेयर ड्रेसर ने, विशेष छूट के शब्द, इस तरह बताए
बाल काले करवाने पर, मुंह फ्री काला करवाएं |
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