20-06-2013, 12:50 PM | #1471 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लॉस एंजिलिस। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि अगर आप भरपूर नींद लेते हैं तो आप में टाइप-2 मधुमेह होने का जोखिम काफी कम हो जाता है। लॉस एंजिलिस बायोमेडिकल रिसर्च इस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सप्ताहांत में तीन रात की अच्छी नींद काफी हद तक इंसुलिन की सक्रियता बढ़ा देती है, जिसके न बनने अथवा शरीर पर उसकी प्रतिक्रिया नहीं होने से यह बीमारी होती है। प्रमुख अनुसंधानकर्ता डा. पीटर लिउ ने बताया कि हम सभी जानते हैं कि पर्याप्त नींद जरूरी है, लेकिन अधिक काम की वजह से समय नहीं निकाल पाते। हमारे अध्ययन में पाया गया कि नींद के घंटे बढ़ा देने से शरीर के इंसुलिन का इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ती है और प्रौढ़ व्यक्तियों में टाइप-2 मधुमेह का जोखिम कम हो जाता है। इंसुलिन किसी व्यक्ति के रक्त में शर्करा के स्तर को नियमित करने के लिए जिम्मेदार है। टाइप-2 मधुमेह के मरीज का शरीर उससे निकलने वाले इंसुलिन का कारगर ढंग से इस्तेमाल नहीं करता अथवा इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया नहीं करता। लिउ ने कहा कि अच्छी खबर है कि प्रौढ़ व्यक्ति जो अधिक काम की वजह से पर्याप्त नहीं सो पाते हैं, वे अगर सोने के घंटे बढ़ा दें, तो यह जोखिम कम हो सकता है।
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20-06-2013, 12:51 PM | #1472 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने तैयार की सूक्ष्म कीड़ों की थ्री-डी प्रतिकृति
मेलबर्न। आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार सूक्ष्म कीड़ों की थ्री-डी प्रतिकृति बनाई है, जिनका आकार उनके मूल आकार से 50 गुना अधिक बड़ा है। इससे वैज्ञानिकों को इन जीवों पर अध्ययन करने में आसानी होगी, जिन्हें नंगी आंखों से मुश्किल से ही देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने बड़े आकार वाले सूक्ष्म जीवों की रचना के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। आस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी, सीएसआईआरओ के शोधकर्ताओं की इस परियोजना का उद्देश्य पहली बार सूक्ष्म कीड़ों, विशेषकर जिन्हें नंगी आंखों से मुश्किल से देखा जा सकता है, के निरीक्षण एवं अध्ययन के लिए बड़े पैमाने पर सूचनाएं जुटाकर वैज्ञानिकों की मदद करना है। सीएसआईआरओ (कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च आॅर्गेनाइजेशन) ने कहा कि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक से उन्हें इन कीड़ों की उन विशेषताओं का पता करने में मदद मिलेगी, जिनके बारे में उनके सूक्ष्म आकार की वजह से मुश्किल से पता चल पाता है।
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20-06-2013, 12:51 PM | #1473 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने बनाया कृत्रिम कान
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने जैव अभियांत्रिकी की मदद से कृत्रिम कान का विकास किया है और यह विकास उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा, जो दुर्घटनाओं में अपने कान खो देते हैं अथवा जिनके कान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने थ्रीडी प्रिंटिंग और इंजेक्टेबल मोल्ड के इस्तेमाल से एक ऐसे जैव अभियांत्रिक कृत्रिम कान का विकास किया है, जो प्राकृतिक कान की तरह ही दिखता और काम करता है। जैव इंजीनियरों और चिकित्सकों के द्वारा बनाए गए इस त्रिम कान ने मिक्रोटिया नामक जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुए हजारों बच्चों के लिए उम्मीद की किरण पैदा की है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में कनरेल बायोमेडिकल इंजीनियर और वेल कनरेल मेडिकल कालेज के चिकित्सकों ने बताया है कि 3 डी प्रिंटिंग और इंजेक्टेबल जेल की मदद से जीवित कोशिकाओं से फैशनेबल कान का किस प्रकार विकास किया गया, जो व्यावहारिक रूप से एक मानव कान के समान है। वैज्ञानिकों के अनुसार तीन महीने की अवधि के दौरान ये लचीले कान कोलेजन को हटाने के लिए कार्टिलेज का विकास करने लगते हैं, जिसका इस्तेमाल उन्हें मोल्ड करने के लिए किया जाता है।
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24-06-2013, 04:41 AM | #1474 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कम नींद का सम्बंध है मोटापे से
वाशिंगटन। किशोर उम्र के जो लोग अच्छी नींद लेते हैं, वे कम सोने वालों की तुलना में स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन पसंद करते हैं। अमेरिका के स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी स्कूल आॅफ मेडीसन में प्रीवेन्टिव मेडिसन के एसोसिएट प्रोफेसर लॉरेन हेल के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि नींद और मोटापे का आपसी सम्बंध है। हेल ने कहा किशोर उम्र के जो लोग कम सोते हैं, वे वह भोजन अधिक पंसद करते हैं जो उनके लिए अच्छा नहीं है और जो अच्छा है उसे कम लेते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि किशोरावस्था के दौरान जो लोग सात घंटे से कम सोते हैं, वे हर हफ्ते दो अथवा उससे अधिक बार फास्ट फूड खाते हैं और फल एवं तरकारी पर कम ध्यान देते हैं। अमेरिकन एकाडमी आॅफ पेडियाट्रिक्स की सलाह है कि किशोर वय के लोगों को नौ से दस घंटे की नींद लेनी चाहिए। अध्ययन को एसोसिएटेड प्रोफेशनल स्लीप सोसायटीज की वार्षिक बैठक में पेश किया गया।
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24-06-2013, 06:22 AM | #1475 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मेक्सिको में खोजा पुरातन माया शहर
न्यूयॉर्क। पुरातत्वविदों ने दक्षिण-पूर्व मेक्सिको के एक सुदूर जंगल में 54 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए प्राचीन मायाकालीन शहर की खोज की है, जहां पिरामिड और आलीशान भवन के निशान मिले हैं। पश्चिमी युकातन प्रायद्वीप में केपेंची प्रांत में हरे भरे पेड़-पौधों के बीच शहर के अवशेष मिले हैं। लाइवसाइंस की खबर के अनुसार नए मिले स्थल को चाकतून नाम दिया गया है। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि शहर 600 ईसवी से 900 ईसवी तक मायाकालीन सभ्यता का हिस्सा रहा और धीरे-धीरे रहस्यमय तरीके से यह सभ्यता लुप्त हो गई। मेक्सिको के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एंथ्रोपोलॉजी एंड हिस्ट्री के पुरातत्वविद इवान स्प्राज्क ने कहा कि यह सेंट्रल लोलैंड्स के सबसे बड़े स्थलों में से है।
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24-06-2013, 08:48 AM | #1476 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मार्गदर्शक बनने बनाने से हिचकती हैं महिलाएं
मुंबई। पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले महिलाएं किसी को अपना मार्गदर्शक बनाने या या खुद को मार्गदर्शक या विश्वसनीय सलाहकार की भूमिका में रखने से हिचकिचाती हैं। डेवलपमेंट डायमेन्शंस इंटरनेशनल (डीडीआई) द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कहा गया है, ‘महिलाओं की सफलता के लिए मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें अपने कार्यस्थल पर सामाजिक पूंजी (दायरा) बनाने में अक्सर मुश्किलें आती हैं। यह स्थिति उन जगहों पर अधिक है जहां महिला कर्मचारियों की संख्या कम होती है।’’ सर्वेक्षण के मुताबिक, कार्यस्थल पर महिलाएं अब भी अपने लिए किसी को मार्गदर्शक या संरक्षक बनाने के मूड में नहीं होती है जबकि वरिष्ठ पदों पर कार्यरत करीब 78 प्रतिशत महिलाओं ने कभी न कभी औपचारिक रूप से परामर्शदाता के तौर पर काम किया है। सर्वेक्षण में पाया गया कि 63 प्रतिशत महिलाओं ने कभी भी औपचारिक तौर पर किसी को मार्गदर्शक नहीं बनाया।
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29-06-2013, 03:36 AM | #1477 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
डाक्टरों को भारी पड़ सकता है धूम्रपान करना
नई दिल्ली। आम लोग ही नहीं बल्कि डाक्टर भी धूम्रपान करते हैं और एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि 81 फीसदी लोग ऐसे डाक्टर से इलाज नहीं कराना चाहते जो मरीजों के सामने ही धूम्रपान करता हो । हार्ट केयर फाउंडेशन द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि सर्वे में भाग लेने वाले 67 फीसदी लोगों का यह भी मानना है कि डाक्टरों की लिखावट पढने लायक होनी चाहिए तथा अधिकतर मरीज कम्प्यूटरीकृत पर्चे को तरजीह देते हैं । फाउंडेशन के अध्यक्ष डा के के अग्रवाल ने आज सर्वेक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। सर्वे में दावा किया गया है कि कुल 452 प्रतिभागियों में से 46 फीसदी लोग डाक्टर से समय लेने के लिए उनके सेके्रटरी के बजाय सीधे डाक्टर से बात करना पसंद करते हैं । करीब 78 फीसदी लोगों का मानना है कि चिकित्सा के पेशे का व्यावसायीकरण हो रहा है और इसे आम आदमी की पहुंच में लाया जाना चाहिए। करीब 41 फीसदी प्रतिभागियों का विचार था कि डाक्टरों को कम फीस लेनी चाहिए क्योंकि उनका पेशा सेवा से जुड़ा हुआ है । दिल्ली में यह सर्वेक्षण मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग के लोगों के बीच किया गया और इसमें यह भी पाया गया कि 57 फीसदी लोग किसी डाक्टर के पास जाने से पूर्व उसकी योग्यता आदि की जांच करते हैं। इससे भी आगे 60 फीसदी लोगों का कहना था कि वे अपने डाक्टर के साथ अपने यौन व्यवहार के बारे में बातचीत करने में सहज महसूस नहीं करते । 40 फीसदी मरीज फेसबुक पर अपने डाक्टर के साथ मित्रता नहीं करना चाहते । 37 फीसदी लोगों का यह भी मानना था कि एक डाक्टर को सभ्य तरीके से और करीने से कपड़े पहनना चाहिए। यही नहीं 65 फीसदी लोगों का यह विश्वास है कि ‘सफेद बालों’ वाले वरिष्ठ डाक्टर अपने जूनियर समकक्षों के मुकाबले अधिक बेहतर इलाज कर सकते हैं । इस सर्वेक्षण में मरीजों, समाज सेवकों, कालेज छात्रों , सुबह की सैर पर निकलने वाले लोगों तथा सरकारी कर्मचारियों से बातचीत की गयी। अग्रवाल ने कहा कि यह सर्वे डाक्टर और मरीज के संबंधों के बारे में लोगों की धारणा का अनुमान लगाने के लिए किया गया। उन्होंने कहा, ‘मैंने मरीजों और डाक्टरों के बीच विवाद देखे हैं । मैंने मरीजों की शिकायतों का विश्लेषण करने का प्रयास किया। एक डाक्टर होने के नाते, मैं उनकी उम्मीदें जानना चाहता था। इसीलिए मेरे दिमाग में यह सर्वेक्षण कराने का विचार आया।’
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29-06-2013, 03:38 AM | #1478 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मूल अमेरिकन्स से बेहतर जीवन जीते हैं भारतीय
वाशिंगटन। अमेरिका मे रह रहे एशियाई मूल के लोगो की जिंदगी स्थानीय निवासियों की जिंदगी से बेहतर है। उनकी आय भी अमेरिकी नागरिकों से ज्यादा है। अमेरिका में किये गये एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ। ब्राउन यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार अमेरिका में रह रहे करीब एक करोड़ अस्सी लाख एशियाई सबसे प्रगतिशील अल्पसंख्यक है, जिनकी संख्या 1990 के मुकाबले दोगुनी हो गयी है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा उपलब्ध कराये गये जनगणना के आंकड़े से स्पष्ट होता है कि अमेरिका में रह रहे चीन, भारत, फिलिपीन्स, जापान, कोरिया और वियतनामी लोगो की स्थिति में कितना बदलाव आया है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय तथा जापानी नागरिकों की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी है, जबकि वियतनामियों की आर्थिक स्थिति सबसे कमजोर है।
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29-06-2013, 04:14 AM | #1479 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
भारतीय कर्मचारियों के लिए मायने रखती हैं सीएसआर गतिविधियां: सर्वेक्षण
नई दिल्ली। एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में कर्मचारियों के लिए निगमित सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) गतिविधियां बहुत मायने रखती हैं और आधे से अधिक कर्मचारी अपनी कंपनियों के समाज के प्रति व्यवहार को लेकर चिंतित हैं। इपसोस का यह सर्वेक्षण 24 देशों में किया गया है जिसके अनुसार उदीयमान बाजार अर्थव्यवस्थाओं में कर्मचारी अपने नियोक्ताओं या कंपनियों की समाज के प्रति जवाबदेही को लेकर विकसित देशों की तुलना में अधिक चिंतित हैं। इसके अनुसार निगमित जवाबदेही या जिम्मेदारी को लेकर भावनाएं ब्राजील (65 प्रतिशत), मैक्सिको (59 प्रतिशत), अर्जेंटीना (57 प्रतिशत), इंडोनेशिया (55 प्रतिशत) तथा भारत (51 प्रतिशत) सबसे प्रबल हैं। सर्वेक्षण के अनुसार जापान व फ्रांस में मामला उलटा है। वहां 20 प्रतिशत से भी कम लोग इस दिशा में सोचते हैं। स्पेन, बेल्जियम, जर्मनी, दक्षिण कोरिया व चीन में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत से नीचे आंका गया है।
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29-06-2013, 04:14 AM | #1480 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
महिलाये कैलोरी गिनने मे गंवाती है एक साल
न्यूयार्क। फिट रहने की दौड मे महिलाएं अपनी बहुमूल्य जिंदगी का लगभग एक साल कैलोरी और अपने वजन के बारे में चिंता करने मे गंवा देती है। एक शोध के अनुसार महिलाएं अपने दिन के 2। मिनट मतलब सप्ताह के लगभग दो घंटे, साल के ।27 घंटे और अपनी 67 साल की औसत जिंदगी का एक पूरा साल अपनी डाइट के बारे मे सोचने मे बिताती है। फिट रहने की इस दौड मे पुरूष भी ज्यादा पीछे नहीं है। पुरूष अपनी जिंदगी के लगभग 304 दिन कैलोरी काऊंटिंग और वजन के बारे मे सोचते है। दिलचस्प तो यह है कि दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत लोग अपने वजन से नाखुश रहते है और इस पर काबू रखने के लिए हर खाने की चीजो की कैलोरी काउंट करते है।
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