23-05-2012, 03:18 AM | #571 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वाशिंगटन। अक्सर रॉक कंसर्ट में जाने का शौक रखने वाले और रॉक म्यूजिक के फैन्स के लिए एक बुरी खबर है, वैज्ञानिकों का मानना है कि केवल एक बार भी शोर भरे रॉक कंसर्ट में जाने से आपकी सुनने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हाउस रिसर्च इंस्टिट्यूट के एम. जेनिफर डेरेबेरी का कहना है कि हालांकि सुनने की क्षमता में आयी यह कमी स्थाई नहीं होती है, लेकिन बार-बार इतना शोर झेलने पर स्थाई क्षति भी हो सकती है। लाइव साइंस के खबर के मुताबिक, डेरेबेरी का कहना है कि किशोरों को समझने की जरूरत है कि कंसर्ट या किसी म्यूजिक उपकरण से शोर भरा संगीत सुनने से उनकी सुनने की क्षमता पर प्रतिकूल असर हो सकता है। उनका कहना है कि 85 डेसीबल से ज्यादा तेज आवाज बार-बार सुनने से सुनने की क्षमता पर स्थाई प्रभाव पड़ सकता है। अनुसंधान के परिणाम ‘आॅटोलॉजी एण्ड न्यूरोटोलॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-05-2012, 03:22 AM | #572 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
‘मोबाइल के आदी माता-पिता करते हैं बच्चों को नजरअंदाज’
लंदन। एक प्रमुख मनोवैज्ञानिक ने चेताया है कि अपने बच्चों के सामने मोबाइल फोन और आईपैड में अक्सर व्यस्त रहने वाले माता-पिता असल में उन्हें जिंदगी भर स्क्रीन (पर्दे) पर निर्भर होने की ओर ले जाते हैं। ‘ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी’ के एसोसिएट फेलो और जीव विज्ञानी डाक्टर एरिक सिगमैन ने कहा कि कम्प्यूटर, मोबाइल फोन और टेलीविजन के लिए आदी होना शराब की लत के समान होता है और ऐसा करने वाले माता-पिता अपने बच्चों को नजरअंदाज करने के दोषी होेते हैं। सिगमैन के अनुसार, आज के समय में जन्म लेने वाले बच्चे सात वर्ष की उम्र तक जीवन का लगभग एक साल किसी न किसी प्रकार की स्क्रीन देखकर गुजारेंगे। ‘डेली टेलीग्राफ’ ने उनके हवाले से कहा कि इसका लंबे समय में प्रभाव यह पड़ता है कि बच्चों के मस्तिष्क में इस प्रकार की स्क्रीनों के प्रति निर्भरता आ जाती है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-05-2012, 03:49 AM | #573 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
‘हिममानव’ के डीएनए का पता लगाने की योजना शुरू
लंदन। ‘आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय’ और ‘द लुसाने म्यूजियम आफ जूलाजी’ मिलकर नए आनुवांशिक तकनीकों के जरिए उन जैविक अवशेषों की जांच करेंगे जिनके बारे में कुछ लोगों का दावा है कि ये अवशेष ‘येती ’ (हिममानव) और अन्य ‘लुप्त’ हो चुकी मानवीय प्रजातियों के हैं। ‘आक्सफोर्ड लुसाने कोलेट्रराल होमिनिड प्रोजेक्ट’ व्यक्तियों और संस्थाएं को उनके पास मौजूद ‘क्रिप्टोजूलाजीकल मैटेरियल’ के संग्रह के साथ उपलब्ध होने और नूमनों की विस्तृत जानकारी देने का न्योता देता है। क्रिप्टोजूलाजी वह विज्ञान होता है जिसमें ऐसे जानवरों की खोज के बारे में शोध किया जाता है जिनका अस्तित्व साबित नहीं हुआ है। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की विज्ञप्ति में कहा गया कि वर्ष 1951 में इरिक शिपटोन एवरेस्ट के दौरे से कुछ ऐसे फोटोग्राफ के साथ लौटे थे जिसमें बर्फ में किसी बड़े मानव के पैरों के निशान दिखे थे जिसके बाद अटकलें लगाई गईं कि हिमालय पर्वत ऐसे विशाल प्राणियों का आवास हो सकता है जो ‘विज्ञान के लिए अपरिचित’ हैं। इसके बाद से ही, विश्व के कई सुदूरवर्ती इलाकों में इस तरह के प्राणियों के होने की खबरें आईं। हिमालय में इन प्राणियों को ‘येती’ के नाम से जाना जाता है जबकि अमेरिका में इन्हें ‘बिगफुट’ और ‘सैसकैच’ कहा जाता है। लुसाने म्यूजियम आफ जूलाजी के निदेशक माइकल सरटोरी के साथ इस परियोजना को नेतृत्व करने वाले आॅक्सफोर्ड के वाल्फसन कॉलेज के फेलो प्रोफेसर ब्रायन सिकेस ने कहा कि मुख्यधारा का विज्ञान अब भी इन खबरों को परीक्षण सबूतों और दावों के आधार पर पूरी तरह से सत्य नहीं मानता।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-05-2012, 03:54 PM | #574 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
एमआरएसए ने सबसे प्रभावी एंटीबायोटिक के खिलाफ भी विकसित कर ली प्रतिरोधी क्षमता
वाशिंगटन। अस्पतालों में पाए जाने वाले जानलेवा सुपरबग एमआरएसए ने संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे प्रभावी एंटीबायोटिक के प्रति भी प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर ली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि अभी तक एमआरएसए बहुत ज्यादा नहीं फैला है लेकिन उसने संक्रमण के इलाज के लिए प्रयोग किए जाने वाले सबसे प्रभावी एंटीबायोटिक ‘वैनकोमिसिन’ के खिलाफ भी प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर ली है। वैज्ञानिकों ने इसे अस्पताल में मिलने वाला सबसे खतरनाक जीव बताया है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय, बोस्टन स्थित मैसाचुसेट्स आई एण्ड इयर इंफिर्मरी और कैम्ब्रिज के बोर्ड इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि वर्ष 2002 से अभी तक सुपरबग क्लोनल क्लस्टर 5 (सीसी5) के एंटीबायोटिक प्रतिरोध के 12 मामले आए हैं। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है, अमेरिका के अस्पतालों में सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले एमआरएसए के कारण होते हैं और इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है सीसी5। उन्होंने बताया कि अमेरिका में वर्ष 2002 से अभी तक वैनकोमीसिन प्रतिरोधक एस औरेस के 12 मामले आए हैं और सभी सीसी5 के हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
24-05-2012, 10:51 AM | #575 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
स्ट्रीट लाइट का पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव : अध्ययन
पेरिस। स्ट्रीट लाइटों का पारिस्थितिकी तंत्र पर अप्रत्याशित तौर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, स्ट्रीट लाइटों का कीड़ों की आबादी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से कुछ कीड़ों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है वहीं कुछ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस अध्ययन से वन्यजीवन पर पड़ने वाले मानव तंत्र के प्रभाव को लेकर नए सवाल उठ खड़े हुए हैं। थॉमस डेवीज के नेतृत्व में दक्षिण पश्चिम ब्रिटेन के एक्सेटेर विश्वविद्यालय के शोधकर्ता दल ने 2011 के अगस्त महीने में 60 अलग-अलग प्रजातियों की 1,194 कीड़ों का अध्ययन किया। इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि कीड़ों की एक बड़ी संख्या और प्रचलित प्रजातियों पर स्ट्रीट लाइटों से नजदीकी का गहरा प्रभाव पड़ता है। कीड़ों की पांच प्रजातियां जिनमें चींटियां, भौंरे और वुडलाइस स्ट्रीटलाइटों के पास जमीन में भारी संख्या में मौजूद थे। वहीं स्ट्रीटलाइट के पास परभक्षी और सफाई करने वाले कीड़े भी पाए जाते हैं। जैवविज्ञानियों ने कहा कि स्ट्रीटलाइटों से कुछ कीड़ों की आबादी बढ़ जाती है लेकिन कुछ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अध्ययन में कहा गया कि स्ट्रीट लाइट जैविक व्यवस्था के उच्चतम स्तर पर पर्यावरण में बदलाव लाते हैं। इससे पता लगता है कि यह पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज को उलट सकता है। अध्ययन के अनुसार कि स्ट्रीट लाइटों से शहरों में रहने वाली चिड़ियों के जैविक चक्र पर प्रभाव पड़ता है। उनका खानपान ज्यादा देर तक के लिए बढ़ जाता है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
24-05-2012, 10:51 AM | #576 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
हर 12 में से एक बच्चा अस्पताल में होता है संक्रमण का शिकार
लंदन। अस्पताल में भर्ती कराए जाने वाले हर दस बच्चों में से एक बच्चा संक्रमण का शिकार हो जाता है और भला-चंगा होने के बजाए और बीमार हो जाता है। यह खुलासा एक ब्रिटिश शोध में हुआ है। ब्रिटेन के सौ से ज्यादा अस्पतालों में भर्ती 50 हजार से ज्यादा रोगियों पर किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि हर 16 में से एक बच्चा संक्रमित है। पिछले वर्ष अक्टूबर और नवंबर में ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी द्वारा किए गए शोध के मुताबिक अस्पताल में न्यूमोनिया जैसे अधिकतर संक्रमण सांस की बीमारी से सम्बंधित थे। इसके अलावा मूत्र सम्बंधी संक्रमण और सर्जरी वाले स्थान पर संक्र्रमण होने के मामले भी सामने आते हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि संक्रमण का शिकार होने वाला हर 20 में से एक बच्चा 15 वर्ष से कम उम्र का था और हर पांच बच्चों में से एक बच्चा काफी गंभीर रूप से संक्रमित था। रिपोर्ट की लेखक सुसान हॉपकिन्स ने कहा कि इनमें से कुछ बच्चे काफी बीमार थे और काफी गंभीर स्थिति में थे जिससे उनकी जीवन प्रत्याशा कम होने की उम्मीद है। डेली टेलीग्राफ ने हॉपकिंस के हवाले से कहा कि दुर्भाग्य से उन्हें जितनी ज्यादा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा उतना ही उन्हें में संक्रमण के बढ़ने का खतरा होगा। रिपोर्ट के मुताबिक बचपन में बग काफी सामान्य बात है और एक महीने से 23 महीने के बीच का 8 . 2 फीसदी (12 में से एक बच्चा) बच्चे संक्रमित होते हैं। वही 65 से 74 वर्ष के बीच के 7. 4 फीसदी लोग प्रभावित होते हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
24-05-2012, 10:52 AM | #577 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने खोजा बिना खाए जीवित रहने वाला जीवाणु
वाशिंगटन। हमारे लिए एक दिन भूखा रहना कितना मुश्किल होता है लेकिन कोई ऐसा भी है जिसमें पिछले 8.6 करोड़ वर्षों से कुछ नहीं खाया है। दरअसल वैज्ञानिकों ने प्रशांत महासागर के तल में कुछ ऐसे जीवाणु खोजे हैं जिन्हें जीवित रहने के लिए भोजन की जरूरत नहीं होती है। वैज्ञानिकों ने प्रशांत ग्रे के तल में एक नरम लाल क्ले में से इस जीवाणु को खोजा है। उनका मानना है कि इस जीवाणु का चयापचय दुनिया में सबसे धीमी गति का होगा क्योंकि उन्हें जीवित रहने के लिए बहुत कम मात्रा में आक्सीजन और पोषकों की जरूरत होती है। प्रशांत ग्रे वह स्थान है जहां महासागर में गिरने वाला सारा अघुलनशील कचरा जमा होता है । अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि इन जीवाणुओं को किसी ने पिछले 8.6 करोड़ वर्षों में हाथ भी नहीं लगाया है। ये डायनोसोर के लापता होने से पहले से वहां मौजूद हैं। वह श्वसन के लिए इतनी कम मात्रा में आक्सीजन का उपयोग करते हैं कि उसे मापना मुश्किल है। डेनमार्क के अरहुस विश्वविद्यालय के जिओमाइक्रोबायोलॉजिस्ट हंस रॉय ने इन जीवाणुओं के बारे में बताया कि सामान्य तौर पर हम नहीं देख सकते हैं कि वह किस दर से आॅक्सीजन का उपयोग कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार रॉय का कहना है कि यह हमारे लिए इतना धीमा है कि लगता है किसी ने एनिमेशन की गति को बहुत ही कम कर दिया हो।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
24-05-2012, 10:53 AM | #578 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अब स्तन कैंसर के पूर्वानुमान का परीक्षण संभव
लंदन। वैज्ञानिकों ने एक नए किफायती परीक्षण का पता लगाया है जो सटीक पूर्वानुमान लगा सकता है कि क्या एक बार सर्जरी होने के बाद फिर से स्तन कैंसर हो सकता है। इस सफलता का दावा करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इस परीक्षण की वजह से कई महिलाएं कीमोथेरेपी की अग्निपरीक्षा से बच सकती हैं। इस परीक्षण पर 120 पाउंड यानी करीब 10,500 रुपए का खर्च आने का अनुमान है। समझा जाता है कि इस साल के अंत तक इस परीक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। इस परीक्षण में जिस प्रौद्योगिकी का उपयोग होता है वह लगभग सभी एनएचएस प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है। अनुमान है कि इस परीक्षण से स्तन कैंसर के बेहद आम प्रकार ‘एस्ट्रोजन पॉजिटिव’ (ईआर प्लस) के दोबारा होने के खतरे का पता लगाया जा सकता है। वर्तमान में जिन महिलाओं को स्तन कैंसर का पता चलता है उनमें से करीब आधी महिलाओं को सर्जरी के बाद इस बीमारी के दोबारा होने की समस्या से बचने के लिए कीमोथेरेपी करानी पड़ती है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
24-05-2012, 10:53 AM | #579 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
टूटे दिल को जोड़ सकती हैं स्टेम कोशिकाएं
लंदन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वे त्वचा से ली गई कोशिका से विकसित स्टेम कोशिका से टूटे हुए दिल को जोड़ सकते हैं। इस अनुसंधान से हृदयाघात के बाद मौत से जूझ रहे हजारों लोगों को आशा की किरण नजर आने लगी है । इसराइल के टेक्नीओन-इसराइल इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलॉजी और हैफा स्थित रामबाम मेडिकल सेन्टर के अनुसंधानकर्ताओं ने यह अनुसंधान चूहों पर किया है। इससे हृदयाघात से जूझ रहे मरीजों के लिए ऐसे उतक विकसित किए जा सकेंगे जो उनके शरीर के साथ सम्बंध बना लेंगे और परित्याग का खतरा समाप्त हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अभी इसे मानवों पर आजमाने में कम से कम एक दशक का वक्त लगेगा। इससे पहले हृदय की स्टेम कोशिकाएं विकसित करने के लिए स्वस्थ और युवा व्यक्ति की कोशिकाएं लेनी पड़ती थीं लेकिन इस अनुसंधान के बाद मरीज के शरीर से ली गई कोशिका का उपयोग किया जाएगा। ‘डेली मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर लिओर गेप्सटिन का कहना है कि हमारे अनुसंधान में पहली बार बड़ी उम्र के मरीज के शरीर से कोशिका लेकर हृदय की स्टेम कोशिकाएं विकसित करने की संभावना बनी है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
24-05-2012, 01:39 PM | #580 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
‘सनम बेवफा’ को पड़ता है दिल का दौरा
लंदन। ‘आशिक मिजाज’ लोगों को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि वैज्ञानिकों की मानें तो बीवी के रहते कहीं और दिल लगाने वालों को दिल का दौरा पड़ सकता है। इतालवी अनुसंधानकर्ताओं ने बेवफाई एवं इसके असर को लेकर अध्ययन किया और फिर वे इस नतीजे पर पहुंचे कि किसी का दिल तोड़ कर कहीं और दिल लगाने की कोशिश खुद आपके दिल पर भारी पड़ सकती है। शोध के दौरान पता चला कि अपनी बीवी के साथ रहने के मुकाबले ‘बाहरवालियों’ के साथ रहने के दौरान दिल का दौरा पड़ने और नतीजतन मौत की घटनाएं ज्यादा हुईं। समाचार पत्र ‘डेली मेल’ के मुताबिक शोधकर्ता इसका कोई एक कारण नहीं तलाश पाए, लेकिन उन्होंने कई वजहों का उल्लेख जरूर किया है। मसलन, जब कोई व्यक्ति बीवी से बेवफाई करके कहीं और दिल्लगी करता है, तो वह अंदर से खुद को कसूरवार ठहराता रहता है, जिसका असर उसके दिल पर होता है। ‘यूनिवर्सिटी आफ फ्लोरेंस’ के शोधकर्ताओं ने बेवफाई, विवाहेतर संबंधों और पुरुषों के व्यवहार तथा इनके प्रभावों को लेकर अध्ययन किया है। इस अनुसंधान में चौंकाने वाले कई तरह के तथ्य पेश किए गए हैं। एक विश्लेषण के मुताबिक जब कोई व्यक्ति अपने घर के बीवी के साथ निजी पल को बिताता है, तो दल का दौरा पड़ने की आशंका बहुत कम होती है। इसके उलट जब वह बाहर किसी प्रेमिका साथ चोरी-चुपके निजी पल में होता है तो उसके दिल पर जोखिम बढ़ जाता है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
Bookmarks |
Tags |
health news, hindi forum, hindi news, your health |
|
|