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Old 08-12-2012, 07:40 AM   #1
Ranveer
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Default FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान

मल्टी ब्रांड रिटेल मे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई ) पर संसद की मुहर लग गई है तो निश्चित है की जल्दी वालमार्ट जैसी कंपनियाँ यहाँ छा जाएंगी ।
भारत मे खुदरा व्यापार पहले से ही विस्तृत है और इसके आ जाने पर कई लोगों पर भारी संकट आ सकता है । कहा जा रहा है की मंहगाई पर रोक लगेगी पर ऐसा तो बिलकुल नहीं दिखता । कुल मिलाकर फायदे कम और नुकसान ज्यादा दिख रहे हैं ।

एक और बात दिखी ___मायावती ने यदि पक्ष मे समर्थन न किया होता तो शायद ये संसद से पास न हुआ होता । ये भी अवसरवादिता की एक मिसाल है ।

क्या आपलोग एफ़डीआई के पक्ष मे हैं ?
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Old 08-12-2012, 10:45 AM   #2
malethia
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Default Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान

भविष्य में fdi से छोटे खुदरा व्यापारियों को नुक्सान होने की सम्भावना है ,लेकिन शुरुआत में इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा !
जयपुर में आज भी कारफूर और मेट्रो की शॉप है लेकिन मुझे इसमें कहीं भी ऐसा नहीं लगा की ये आम आदमी की पहुँच में है !
अभी ये भी कह पाना मुश्किल है की कौन कौनसे राज्य इसे स्वीकार करेंगे और कौनसे नहीं ,क्यूंकि ncp में महाराष्ट्र में मंजूरी देने से साफ़ मना कर दिया है जबकि संसंद में इन्होने इसका समर्थन किया था ,इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता !
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Old 08-12-2012, 10:48 AM   #3
abhisays
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Default Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान

मैं एफ डी आई के पक्ष में हूँ लेकिन खुदरा बाज़ार में एफ डी आई के पक्ष में नहीं हूँ। इसके बहुत सारे कारण हैं। मैं थोड़ी देर में पॉइंट बाय पॉइंट लिखता हूँ। अभी केवल इतना ही कहूँगा अगर एफ डी आई इन रिटेल आ गया तो छोटे मोटे दूकान सब 2-3 साल में बंद हो जायेंगे। कुछ लोग कहेंगे अरे ऐसे कैसे बिग बाज़ार और रिलायंस तो कब से है कहाँ कुछ हुआ पड़ोस की किराने की दूकान तो वैसे ही चलती है। मेरा विचार है वालमार्ट जब आएगा ऐसा नहीं रहेगा, वो अपने यहाँ बिकने वाले सामनो की कीमत इतनी कम कर देगा की ग्राहक वही जाएगा सामन खरीदने, और पड़ोस की किराने की दूकान कम्पटीशन का कारण कुछ साल में बंद हो जायेगी।

इसपर और विचार लिखा हूँ। ब्रेक के बाद
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Old 08-12-2012, 10:55 AM   #4
malethia
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Default Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान

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Originally Posted by abhisays View Post
मैं एफ डी आई के पक्ष में हूँ लेकिन खुदरा बाज़ार में एफ डी आई के पक्ष में नहीं हूँ। इसके बहुत सारे कारण हैं। मैं थोड़ी देर में पॉइंट बाय पॉइंट लिखता हूँ। अभी केवल इतना ही कहूँगा अगर एफ डी आई इन रिटेल आ गया तो छोटे मोटे दूकान सब 2-3 साल में बंद हो जायेंगे। कुछ लोग कहेंगे अरे ऐसे कैसे बिग बाज़ार और रिलायंस तो कब से है कहाँ कुछ हुआ पड़ोस की किराने की दूकान तो वैसे ही चलती है। मेरा विचार है वालमार्ट जब आएगा ऐसा नहीं रहेगा, वो अपने यहाँ बिकने वाले सामनो की कीमत इतनी कम कर देगा की ग्राहक वही जाएगा सामन खरीदने, और पड़ोस की किराने की दूकान कम्पटीशन का कारण कुछ साल में बंद हो जायेगी।

इसपर और विचार लिखा हूँ। ब्रेक के बाद
मुझे नहीं लगता की वालमार्ट कम रेट में माल देगा !
ऐसा कुछ भी होने की सम्भावना नहीं है ,ये कहा जा सकता है की छोटे दुकानदारों का थोडा मुनाफा अवश्य कम हो जाएगा ,लेकिन देखा जाए तो उनके खर्चे भी उतने ही कम होते है ,अत: कम मुनाफे में भी छोटे दुकानदारों को फायदा ही रहेगा !
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Old 08-12-2012, 09:36 PM   #5
Ranveer
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Default Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान

अभिषेक जी के विस्तृत विचारों का इंतज़ार है ..........
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Old 08-12-2012, 10:30 PM   #6
Dark Saint Alaick
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Originally Posted by abhisays View Post
मैं एफ डी आई के पक्ष में हूँ लेकिन खुदरा बाज़ार में एफ डी आई के पक्ष में नहीं हूँ। इसके बहुत सारे कारण हैं। मैं थोड़ी देर में पॉइंट बाय पॉइंट लिखता हूँ। अभी केवल इतना ही कहूँगा अगर एफ डी आई इन रिटेल आ गया तो छोटे मोटे दूकान सब 2-3 साल में बंद हो जायेंगे। कुछ लोग कहेंगे अरे ऐसे कैसे बिग बाज़ार और रिलायंस तो कब से है कहाँ कुछ हुआ पड़ोस की किराने की दूकान तो वैसे ही चलती है। मेरा विचार है वालमार्ट जब आएगा ऐसा नहीं रहेगा, वो अपने यहाँ बिकने वाले सामनो की कीमत इतनी कम कर देगा की ग्राहक वही जाएगा सामन खरीदने, और पड़ोस की किराने की दूकान कम्पटीशन का कारण कुछ साल में बंद हो जायेगी।

इसपर और विचार लिखा हूँ। ब्रेक के बाद
अभिषेकजी, अगर आपके सिर्फ इस पॉइंट पर बात करें, तो हमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है। एक-दो किस्से सुनाता हूं।
जयपुर में रिलायंस, आदित्य बिड़ला ग्रुप और ऎसी ही अन्य बड़ी कम्पनियों के कई बड़े-बड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोरूम हैं। मुझे भाव-ताव करना आदि पसंद नहीं हैं, अतः ऐसे स्टोर्स से खरीदारी मुझे बेहतर लगती रही है। किन्तु इनके साथ मेरे अनुभव बहुत कटु रहे हैं। आप जाइए, एक-दो पहरेदार आपके पीछे लग जाएंगे, जैसे आप चोर हों। कई बार इन कर्मचारियों से मेरी तीखी झडपें हुईं। मैंने मैनेजर को बुलवाया और कहा, आप तीन मंजिला इतना बड़ा शोरूम खोले बैठे हैं और इतना नहीं कर सकते कि क्लोज़ सर्किट टीवी लगवा लें। आपके ये दो पहरेदार मेरे पीछे-पीछे घूम कर मुझे लगातार असहज करते हुए यह अहसास करा रहे हैं कि मैं चोर हूं और ज़रा सी नज़र चूकी, तो मैं कुछ पार कर फरार हो जाऊंगा। उन्होंने माफी मांगी, उन दोनों को डपट कर दूर भेज दिया, लेकिन इसे आप क्या कहेंगे कि अब वे कुछ दूर से नज़र रख रहे थे।
दूसरा, एक बड़ा सा शोरूम। आदित्य बिड़ला ग्रुप का। मुझे सिर्फ दो सोडे और एक टूथ ब्रश खरीदना था, वह लेकर जब मैं भुगतान के काउंटर पर आया, तो वहां लाइन लगी हुई थी। पता चला कि कम्प्युटर खराब है, ठीक करने के प्रयास हो रहे हैं। उसके ठीक होने पर ही बिल बनेंगे। मैंने कहा, महाशय अगर आपकी यह बिलिंग मशीन काम नहीं कर रही तो आप मैन्युअली बिल क्यों नहीं बना देते, जवाब मिला, नहीं सर, हमें इसकी परमीशन नहीं है। अब मेरे पास वह एक दो चीजें वापस पटक कर लौट आने और अपनी कॉलोनी के किराना स्टोर की सेवाएं लेने के अलावा कोई और कहां बचा था। आपको यह भी बता दूं कि 'मोर' का यह तीन मंजिला स्टोर अब बंद हो चुका है।
अब आप सोचिए, वालमार्ट या उस जैसी कम्पनियां क्या गफलत में नहीं हैं? दबाव की वज़ह से बिल तो पास हो गया, लेकिन तमाम प्रबंधक एवं अन्य कर्मचारी वे कहां से लाएंगी, इन्ही में से न? मेरे विचार से ज्यादा ख़तरा रिलायंस जैसों पर है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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Old 08-12-2012, 10:44 PM   #7
Sikandar_Khan
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Originally Posted by abhisays View Post
मैं एफ डी आई के पक्ष में हूँ लेकिन खुदरा बाज़ार में एफ डी आई के पक्ष में नहीं हूँ। इसके बहुत सारे कारण हैं। मैं थोड़ी देर में पॉइंट बाय पॉइंट लिखता हूँ। अभी केवल इतना ही कहूँगा अगर एफ डी आई इन रिटेल आ गया तो छोटे मोटे दूकान सब 2-3 साल में बंद हो जायेंगे। कुछ लोग कहेंगे अरे ऐसे कैसे बिग बाज़ार और रिलायंस तो कब से है कहाँ कुछ हुआ पड़ोस की किराने की दूकान तो वैसे ही चलती है। मेरा विचार है वालमार्ट जब आएगा ऐसा नहीं रहेगा, वो अपने यहाँ बिकने वाले सामनो की कीमत इतनी कम कर देगा की ग्राहक वही जाएगा सामन खरीदने, और पड़ोस की किराने की दूकान कम्पटीशन का कारण कुछ साल में बंद हो जायेगी।

इस पर और विचार लिखा हूँ। ब्रेक के बाद
मुझे नही लगता है ! वेलमार्ट जैसी कम्पनियोँ के बाजार मे आ जाने से कोई खाश फर्क आएगा !
उदहारण के तौर पर आप बिग बाजार को ही ले लीजिए ! बिग बाजार से वही सामान लेना ठीक है जिन पर कीमत प्रिँट होती है ! लेकिन रोजमर्रा की जरूरत के सामान जैसे दाल , चावल , शक्कर ,तेल और वो सभी सामान जो लूज मिलते हैँ ! आपको काफी महंगे मिलेँगे |
इन सामनोँ के लिए हमेँ पड़ोस की किराना दुकानोँ पर ही निर्भर रहना पड़ेगा |
एक आम आदमी की पहुच से ऐसे बाजार हमेशा दूर ही रहेँगे ! जिन्हे एक किलो चावल , दो किलो आटा , आधा किलो दाल , आधा किलो दाल , आधा किलो शक्कर , एक पाव चाय पत्ती , एक नहाने का साबुन खरीदना पड़ता है |
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."

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Old 08-12-2012, 11:05 PM   #8
Dark Saint Alaick
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Originally Posted by sikandar_khan View Post
मुझे नही लगता है ! वेलमार्ट जैसी कम्पनियोँ के बाजार मे आ जाने से कोई खाश फर्क आएगा !
उदहारण के तौर पर आप बिग बाजार को ही ले लीजिए ! बिग बाजार से वही सामान लेना ठीक है जिन पर कीमत प्रिँट होती है ! लेकिन रोजमर्रा की जरूरत के सामान जैसे दाल , चावल , शक्कर ,तेल और वो सभी सामान जो लूज मिलते हैँ ! आपको काफी महंगे मिलेँगे |
इन सामनोँ के लिए हमेँ पड़ोस की किराना दुकानोँ पर ही निर्भर रहना पड़ेगा |
एक आम आदमी की पहुच से ऐसे बाजार हमेशा दूर ही रहेँगे ! जिन्हे एक किलो चावल , दो किलो आटा , आधा किलो दाल , आधा किलो दाल , आधा किलो शक्कर , एक पाव चाय पत्ती , एक नहाने का साबुन खरीदना पड़ता है |
आपका यह तर्क बहुत ही उपयुक्त है, सिकंदरजी। आपने मात्रा कुछ ज्यादा ही लिखी है। मेरा अपार्टमेंट जहां है, वहां से तकरीबन एक किलोमीटर दूर एक कच्ची बस्ती है। उस चौराहे पर एक लकड़ी की स्टाल में एक दूकान चल रही है। मैं अपनी सिगरेट हमेशा उसी से खरीदता हूं। आपको यह जान कर ताज्जुब होगा कि वह होंडा सिटी में आता है और कच्ची बस्ती में रहने वालों को आज भी दो रुपए का तेल, एक रुपए की मिर्च, पांच रुपए का आटा आदि बिना किसी शिकन के बेचता है। शायद उसके होंडा सिटी में घूमने का एक बड़ा राज़ यह है। ऎसी स्थिति में क्या करेगा वालमार्ट?
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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Old 09-12-2012, 06:38 AM   #9
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Originally Posted by ranveer View Post
अभिषेक जी के विस्तृत विचारों का इंतज़ार है ..........
अमेरिका और पश्चिम देश कई वर्षो से भारत के सर्राफा बाज़ार खुलने के इंतज़ार कर रहे हैं। उनका प्लान है कैसे भी करके दुनिया के 1/6 आबादी के रिटेल व्यवसाय पर कब्ज़ा कर लिया जाए, सप्लाई से लेकर डिमांड तक तमाम चैनल उनके हाथो में आ जाए। कितनी अजीब बात है एक तरफ ओबामा बैंगलोर में जॉब भेजे जाने पर चिंता करते है और इसे अपने चुनाव कैंपेन में शामिल करते हैं और बोलते है की भारत में जॉब आउटसोर्स बंद होने चाहिए और दूसरी तरफ उनकी सेक्रेटरी हिलेरी क्लिंटन भारत में आकर fdi इन रिटेल की पैरवी करती हैं। क्या यह डबल स्टैंडर्ड्स नहीं है?

एक और बात जिसपर मैं आप लोगो का ध्यान ले जाना चाहूँगा वो है स्माल स्केल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर। कुछ रोजमर्रा की चीजें।

1. माचिस
2. झाड़ू
3. अगरबत्ती
4. बच्चो के लिखने के लिए कॉपी, रजिस्टर।
5. और कई सारे लोकल मेड सामन।

इस तरह की चीजें सब लोकल बनती और अपने पड़ोस के किराने की दूकान में मिलती है। बड़े शहरो को छोड़ दे तो और भी कई चीजें है जो लोकल ही बनती और बिकती।



मैं बताता हूँ अगर वालमार्ट आ गया तो क्या होगा
  • वो छोटे छोटे मैन्युफैक्चरिंग करने वाले कम्पनीज को एक्वायर करेगा। फिर सब उसके लिये सामान बनायेंगे। जो माचिस 10 रुपैये में मिलता है वो 7 रुपैये में बेचेगा।
  • मंथली ऑफर्स रहेंगे की 2000 का सामन खरीदो, घर पर फ्री डिलीवरी, और डील कूपन बहुत कुछ।
  • एक बात सोचिये जरा जहाँ जहाँ FDI इन रिटेल है और जहाँ अपने वालमार्ट जी पहुच गए हैं वहां बाकी छोटे मोटे दूकान वालो का क्या हाल है।
  • वालमार्ट का बिज़नस मॉडल ऐसा होता है की खुद घाटे में भी रह कर सारा कम्पटीशन ख़तम कर दो और फिर अपनी दादागिरी दिखाओ।
  • न्यूयॉर्क में वालमार्ट तो घुसने नहीं दिया गया है।

    Opposition to Walmart in the city is driven by what protesters say is the chain's history of low wages and poor employee benefits. There are also fears from unions that the company's low prices will hurt the profit margins of other shops, endangering the jobs of its members.
  • वालमार्ट का रिकॉर्ड रहा है की वो कम से कम लोग रख कर, हर कुछ ऑटोमेट करके, लागत कम से कम रख कर जबरदस्त पैसे कमाती है। यह आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है।
  • नोट करियेगा मैं वालमार्ट की केवल बात नहीं कर रहा हूँ, मैं वालमार्ट जैसे सभी रिटेल कम्पनीज की बात कर रहा हूँ, जो सप्लाई चेन के बीच के सारे लोगो को साफ़ करके अपना धंदा चमका लेती है। यह बात तो यूरोप और अमेरिका में चलिए चलाई जा सकती है क्योंकि वहां आबादी काफी कम है इकॉनमी आलरेडी विकसित है। लेकिन भारत के 125 करोड़ की आबादी जहाँ 70 प्रतिशत से भी अधिक लोग 1 डॉलर से कम में अपने गुजारा चलाते हैं, मुझे तो काफी मुश्किल दिखती है।
  • ऐसा नहीं है इससे केवल नुक्सान ही है, इससे फायदा है माध्यम वर्ग को जो की कार में घूमता है, अच्छे अच्छे होटल और रेस्टोरेंट में खाता है, बड़ी कम्पनीज में काम करता है। उन्हें काफी options मिल जायेंगे।
  • एक किसी मंत्री ने कहाँ की देखो पेप्सी पंजाब के किसानो से कितना आलू खरीदता है, चीनी खरीदता है, मैं बोलूँगा वाह और वही चीनी पानी में घोल कर 1 रुपैये में बनाता है और हम भारतीय उसे 10 रुपैये में गटक लेते हैं। पिछले 20 साल में पेप्सी, कोक, म्च्दोनाल्ड, KFC ने देश का क्या भला किया है, बस देश के डॉक्टर्स को काफी फायदा हो रहा है।
  • मैं तो कहता हूँ, अगर FDI लाना है तो रोड बनाने में लाओ FDI, बिल्डिंग और ब्रीज बनाने के लिए विदेशी कम्पनीज लाओ। उनसे तकनिकी आदान प्रदान करो। स्कूल और कॉलेज में ले आओ FDI. उन्ही चीजों में क्यों लाये FDI जिनमे विदेशियों का फायदा और अपना नुक्सान
  • कुछ लोग बोल रहे है की इससे रोजगार लोगो को मिलेगा, लेकिन US सरकार की खुद की रिपोर्ट कहती है की वालमार्ट के कारण बेरोजगारी बड़ी और छोटे मोटे व्यापारी रोड पर आ गए। इसलिए जितने जॉब ने आयेगे उससे ज्यादा तो बेरोजगारी हो जायेगी।
  • किसान को फायदा मिलेगा, इस बात को भी कुछ ज्यादा ही हाइप दे दिया गया है। लैटिन अमेरिका के किसान को इससे कुछ फायदा नहीं हुआ। पूरी रिपोर्ट इन्टरनेट पर पड़ी है।
  • कुछ लोग कहते है की इससे देश का सप्लाई चेन सिस्टम और अच्छा हो जाएगा, इसके लिए फिर FDI इन रिटेल की क्या जरुरत। फ़ूड प्रोसेसिंग और कोल्ड स्टोरेज में आलरेडी FDI allowed है।
  • एक और चीज़ जो अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से कह रहा हूँ। मैं अभी सितम्बर में शिकागो के पास vernon हिल्स में एक्सटेंडेड स्टे करके होटल में 1 महीने रुका था। और वहां के 5 KM के दायरे में यह सभी दुकाने थी
    वालमार्ट (हर चीज़ की दूकान, दुनिया की तीसरी बड़ी कंपनी)
    Kohl's (कपडे की दूकान, अपने tcs से दुगुनी बड़ी कंपनी)
    Office Depot (स्टेशनरी की दूकान, विप्रो और इनफ़ोसिस जोड़ भी दे तो इसके बराबर नहीं)
    सैम क्लब (हर चीज़ की दूकान, वालमार्ट द्वारा संचालित)
    बेस्ट buy (इलेक्ट्रॉनिक की दूकान, रिलायंस के बराबर की कंपनी)

    और भी कई बड़े बड़े दूकान थे, लेकिन ऊपर लिखे गए दुकानों में गया था कुछ कुछ ख़रीदा भी था। इसलिए इनका जिक्र कर रहा हूँ
Kohl's जो की अपने यहाँ के बिग बाज़ार से करीब 5 गुना बड़ा था, में केवल 4-5 employee थे, कई सारे सेल्फ सर्विस काउंटर थे, कपडे सेलेक्ट करो, उन्हें मशीन से पास कराओ स्कैन हो जाएगा स्क्रीन पर पैसे आ जायेंगे फिर आखिर में अपना कार्ड स्वैप करो और बिल लो चलते बनो मतलब 1 बड़ी दूकान और 1 ग्राहक और बीच में कोई नहीं, सोचिये कहाँ गया रोजगार। इसलिए जो लोग रोजगार बढ़ने की बात कर रहे है वो शुतुरमुर्ग की तरह अपना सर रेत में डाल लिए हैं और उन्हें सच्चाई दिख नहीं रही है।

अब जरा सोचिये, जब यह सब आ जाएगा अपने लस्कर के साथ तो बेचारा लोकल दूकान वाला जो पान, बीडी, सिगरेट, चाय, दूध, दही, चीनी, चावल, कॉपी, रजिस्टर, माचिस, अगरबत्ती, केक, समोसा, जलेबी, रिचार्ज कूपन, झाड़ू, चाय पत्त्ती, और पता नहीं क्या क्या बेचता है उसका क्या होगा। मैं तो बोलता हूँ इससे करीब भारत के 10 करोड़ लो बुरी तरह से affected होंगे, उनका जीवन और कठिन हो जाएगा।
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चलिये इतना मान लेते हैं की छोटी मोटी जरूरतों के लिए लोग वालमार्ट या टेसको नहीं जाएँगे , पर जब महीने का राशन लेना हो तो अवश्य विचार करेंगे क्यूंकी उन्हे बाज़ार के मुक़ाबले सस्ता ही मिलेगा ।
मुझे लगता है की वालमार्ट टेसको या कैफेकोर आदि का बिग बाज़ार ,रिलाइन्स से तुलना नहीं किया जा सकता । उसकी निवेश क्षमता इतनी है की वो एक शहर बसा सकती है , ऐसे मे कर्मचारियों की कमी या लाइन लगाकर पैसे का भुगतान वाली समस्या नहीं आने देगी ।

खुदरा बाजार मे इसके आने से कई लाभ भी है और हानियाँ भी । लाभ ये की इससे कीमतों मे गिरावट आएगी क्यूंकी बाज़ार मे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी । उपभोक्ता वर्ग को महंगाई से थोड़ी राहत मिलेगी । कई जगहों पर कृषि और छोटे खाद प्रसंस्करण उद्योग स्थापित हो सकते हैं और किसानो को बिचौलियों के चंगुल मे फँसने की बजाए अपनी उपज का सीधा और सर्वाधिक लाभ मिल सकता है । इन सबसे इतना तो जाहिर है की देश मे निवेश और रोजगार के अवसर बनेंगे ।
किन्तु इसकी हानि इसके लाभ से कई गुना खतरनाक है ...जैसे -
1 - वालमार्ट , टेस्को , कैफेकोर आदि इतनी बड़ी और वैश्विक कंपनियाँ हैं की वो जहां जाती है वहाँ के खुदरा बाजार पर पूरी तरह से छा जाती हैं । इन कंपनियों पर किसानो की निर्भरता खाद सुरक्षा पर एक खतरा हो सकता है ।
2 -किसान इन पर पूरी तरह निर्भर हो सकते हैं । चूंकि इनका मकसद अधिकतम लाभ कमाना होगा , ऐसे मे किसानो के दीर्घकालीन हित से इन्हे कोई मतलब नहीं होगा ।
3 -छोटे कारोबारी और दुकानदार धीरे धीरे खत्म हो सकते हैं क्यूंकी उपभोक्ता कम दाम के कारण कंपनियों से समान खरीदने पर ज्यादा आकर्षित होगे । कुछ जो बचे रहेंगे उन्हे भी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड सकता है । इससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ेगी ।
4 -देश मे मौजूद छोटे और कुटीर उगयोग पर बुरा असर पड़ेगा क्यूंकी इन्हे भी विदेशी सामानों से कड़ी स्पर्धा मिलेगी ।
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