My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Hindi Forum > Blogs
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 14-02-2012, 08:35 AM   #1
Kunal Thakur
Member
 
Join Date: Oct 2011
Location: New Delhi
Posts: 17
Rep Power: 0
Kunal Thakur will become famous soon enoughKunal Thakur will become famous soon enough
Default बदला हुआ मंजर

बदला हुआ मंजर

छठ पर्व का समय था , मैं अकस्मात ही, मिथिला में स्तिथ अपने गाँव ' ब्रहमपुरा' पहुँच गया था | चार दिन चलने वाला यह पर्व पूरे बिहार , पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में अगाध श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है |लगभग १० बरसो से मैंने अपने गाँव का छठ पूजा नहीं देखा था | इस पूजा को लेकर पूरे गाँव में उत्साह का वातावरण था | उसी दौरान मुझे गाँव के एक भोज में शामिल होने का अवसर भी मिला | गाँव का भोज शहरों की पार्टियों से थोडा भिन्न होता है | गाँव के भोज में छोटे बड़े सभी को पुआल की बीड़ी ( पुआल की छोटी गठरी ) पे निचे बैठ कर खाना होता है | पानी पिने के लिए सभी अपने घर से ग्लास या लोटा लेकर आते हैं | पहले गैस की लाइट जिसे फनिस्वर नाथ रेनू जी ने " पञ्च लाइट " कहा था , का इस्तेमाल रौशनी के लिए किया जाता था | अब गाँव में भी जेनेरटर और बल्ब की व्यवस्था देखि जा सकती है |
मैं भी अपने गाँव के भाई , काका और दादा जी सब के साथ पुआल की बीड़ी पे बैठ गया | एक के बाद एक पकवान आते गए | एक ही पत्तल पर सारे पकवान को सम्भाल पाना भी अपने आप में एक कला है | यहाँ लोग शहरों की तरह चख चख कर नहीं खाते , गप्पा गप खाते हैं | भोजन परोसने वाला सह्रदय आग्रह करता है और कोशिश करता है की खाने वाला शर्म और हिचकिचाहट छोड़ जम कर भोजन का लुफ्त उठाएं | खाने के दौरान हंसी मजाक , टिका टिपणी भी चलते रहते है | पूर्व के किसी भोज की भी चर्चा छेड़ दी जाती है और लोग अपने अनुभव बढ़ चढ़ कर बताने लगते हैं | इन्ही सब चीजो के बीच लोग अपने खुराक से कुछ जाएदा ही खा लेते हैं | मैं भी बातों का आनंद उठाते उठाते अपने नियमित खुराक से जाएदा खा चूका था |पर मुझे इस भोज में खाने का जायका उतना उम्दा न लगा जितना उम्दा पहले कभी हुआ करता था | पूछने पर पता चला की भोजन बनाने के लिए भाड़े के हलुवाई आयए थे |मुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ | यह गाँव के तरीके से थोड़ा भिन्न था | गाँव में भोज की तैयारी गाँव के लोग ही आपसी मेल मिलाप और समझ बुझ से कर लेते हैं | कोई सब्जी बनाने में माहिर तो कोई दाल तो कोई दुसरे पकवान में | पकवान बनाने का उनका तरीका भी हट कर होता है | मिटटी खोद कर चुल्हा बनाया जाता है| खाना बनाने से पहले चूल्हे का विधिवत पूजा भी किया जाता है | उसके बाद लकड़ी की सोंधी आंच पर खाना तैयार होता है | खाने का स्वाद और उसकी खुशबू लाजवाब होती है | लकड़ी की जगह अब गैस चूल्हे का इस्तेमाल होने लगा है | पारंपरिक ढंग से भोजन बनाने वाले लोगो की कमी हो गयी है | और कमी हो गयी है आपसी प्रेम और मैत्री की |
लोग छठ में ट्रेनों में ठस्म ठस भर कर गाँव ४-दिनों के लिए आते हैं | महीने पहले भी ट्रेन में आरक्षण मिलना किसी गोल्ड मेडल से कम नहीं है | गाँव के लोग भी इस पर्व का पूरे साल इंतज़ार करते हैं की अपने और पड़ोस के घरों में शहरों से इनके अपने आयेंगे | दादी को पोता पोती के लिए पकवान बनाने का मौका मिलता है | दादा जी उन्हें कंधे पर बैठा पूरे गाँव में घुमाते हैं और अपने खेत खलियान दिखाते हैं | सारी करवाहट और शिकायत को किनारे कर वो इस ४-दिन एक अलग दुनिया में खो जाते हैं | शहर से आयए लोग नए कपड़े पहनते हैं, नए चमकदार मोबाइल और कैमरे दिखाते गाँव में घूमते हैं | गाँव के लोग उन्हें कोतुहल भरी नज़रों से देखते हैं और आह भरते हैं की वो कब शहर जायेंगे | शहरों के तरफ पलायन का आलम ये है की २०-४० साल की उम्र का शायद ही कोई नवयुवक आज गाँव में रुका हो | जिसे जहाँ मौका मिला वो उधर ही निकल गया| रह गए हैं तो बूढ़े , औरतें और बच्चें जिनके पिता की आमदनी बहुत जाएदा नहीं है | पलायन वैसे तो हर वर्ग में है पर ऊँची जाती , हिन्दू हो या मुसलमान , में सबसे जाएदा है |
परिस्थितियाँ कुछ बदली जरुर हैं | गाँव में अब ६-घंटे बिजली रहती है | फुश की झोपरियों की जगह पक्के के मकान खड़े हो गए हैं | सुबह सुबह बच्चे पोशाक पेहेन कर स्कूल जाते दिख जाते हैं | मजबूत सड़को पर गाड़ियाँ सायें सायें करते निकल जाती हैं | फिर भी गाँव अपने मजबूत कंधो वाले बेटों की राह देख रही है जिनका बचपन इस गाँव में बिता | जिन्होंने ने अपने नह्ने नह्ने कदमो से गाँव की धुल भरी गलियों में दौड़ लगायी थी | जिन्होंने गाँव के तालाबों और पोखरों के घाट पर बने चबूतरों से पानी में लम्बी छलांग लगायी थी | वोगाँव का मंदिर उनकी राह देख रहा है जिनकी घंटी बजाने के लिए वह अपने दादा जी के कंधे पर चढ़ जाया करते थे |आज भले ही उस मंदिर की दीवार थोड़ी ढेह गयी है | जिन आम के पेड़ो पे उन्होंने गुलेल चलाई थी वो पेड़ आज भी इस गाँव में हैं |हाँ थोडा बुड्ढा हो चला है पर नए पत्तो और नए फलों के साथ आज भी वो उनका इंतज़ार कर रहा है |

कृत :- कुणाल
Kunal Thakur is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2012, 05:35 PM   #2
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: बदला हुआ मंजर

आपने एक अद्भुत पर्व का खाका उतने ही अद्भुत, बल्कि कहें कि अत्यंत अनुपम शब्दों में उकेरा है ! यह श्रेष्ठ सृजन पढवाने के लिए धन्यवाद मित्र ! उम्मीद है भविष्य में भी आपकी ऎसी ही श्रेष्ठ प्रविष्ठियां पढने का अवसर निरंतर मिलता रहेगा !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2012, 05:55 PM   #3
arvind
Banned
 
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0
arvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant futurearvind has a brilliant future
Default Re: बदला हुआ मंजर

परिवर्तन को बहुत ही सुंदर तरीके से शब्दो मे पिरोया है, खासकर अंतिम पंक्तियों मे रचे गए शब्द चित्र काफी मार्मिक और पवित्र है।

इस हृदय स्पर्शी रचना के लिए आपको साधुवाद। उम्मीद है आगे भी आपकी कृतियों को पढ़ने का सौभाग्य मिलता रहेगा।
arvind is offline   Reply With Quote
Old 17-02-2012, 09:28 AM   #4
Kunal Thakur
Member
 
Join Date: Oct 2011
Location: New Delhi
Posts: 17
Rep Power: 0
Kunal Thakur will become famous soon enoughKunal Thakur will become famous soon enough
Default Re: बदला हुआ मंजर

इतने अच्छे शब्दों में आप लोगो ने अपनी बात रखी , धन्यवाद !! लोग अपने जमीन को न भूले यही उम्मीद रखता हूँ !!
Kunal Thakur is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
brahampura, chath, kunal, mithila, village


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:44 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.