23-02-2013, 09:48 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
अगर कैलेंडर न होता तो ...
अगर कैलेंडर न होता तो ...
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-02-2013, 09:50 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
फिल्म ‘तेजाब’ के गीत ‘एक दो तीन ...’ पर थिरकती माधुरी दीक्षित पूरे 30 दिन के इंतजार की कहानी बताती हैं, लेकिन जरा सोचिए कि अगर कैलेंडर नहीं होता, तो क्या ‘तेजाब गर्ल’ 30 दिन का हिसाब रख पातीं। जरा सोचिए, कैलेंडर के बिना भूतकाल या भविष्यकाल की योजनाएं और त्यौहारों की तैयारी कैसे होती।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-02-2013, 09:51 PM | #3 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
गुड़गांव स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर मनीष गुप्ता कहते हैं कि ‘कैलेंडर की जरूरत इसी बात से समझी जाती है कि हर व्यक्ति के पास आज मोबाइल फोन है और हर मोबाइल फोन में कैलेंडर है।’ उन्होंने कहा कि ‘जिंदगी में एक कैलेंडर की वही अहमियत है, जो घड़ी की है। समय को अपने दायरे में समेटने वाला आधुनिक कैलेंडर कई अहम पड़ावों से होकर गुजरा है और बार-बार सुधार की प्रक्रिया के बाद हमें वह कैलेंडर मिल पाया है, जो हमारे जीवन की विभिन्न प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है, लेकिन मुझे लगता है कि आने वाले समय में इसका स्वरूप और परिवर्तित होगा।’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-02-2013, 09:52 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
इतिहास और पुरातत्व मामलों की विशेषज्ञ डॉ. प्रतिमा अग्रवाल ने कहा कि ‘वर्तमान कैलेंडर कई पुराने प्रकार के कैलेंडरों का मिश्रण है। इसमें मिस्र, रोमन और जूलियन कैलेंडर की अलग-अलग विशेषताएं शामिल हैं।’ डॉ. प्रतिमा ने बताया, ‘मिस्र निवासियों ने 12 महीने का कैलेंडर बनाया था, और हर महीने में 30 दिन थे, जिससे साल पूरा हो रहा था। बाद में मिस्रवासियों ने इस कैलेंडर में साल के अंत में पांच दिन और जोड़े, ताकि सौर वर्ष के मुताबिक, पूरे दिन इसमें शामिल किए जा सकें।’ मिस्र सहित कुछ देशों में 24 फरवरी का दिन कैलेंडर के लिए समर्पित है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-02-2013, 09:53 PM | #5 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
डॉ. आर. सी. जैन फरवरी माह में 28 और 29 दिन होने के पीछे रोमन कैलेंडर के सिद्धांत को कारण बताते हैं। डॉ. जैन के मुताबिक, ‘रोमन कैलेंडर में भी 12 महीने का साल था, लेकिन इसकी शुरुआत मार्च से होती थी। बाद में रोम के लोगों ने जनवरी को पहला महीना बनाया।’ उन्होंने बताया, ‘रोम के लोगों ने बाद में, महीनों को सही बैठाने के लिए उनके बीच 29 दिन का अंतर रखा। इन्हीं लोगों ने फरवरी को छोटा करके लीप वर्ष की अवधारणा को इसमें शामिल किया। हालांकि इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-02-2013, 09:53 PM | #6 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
डॉ. जैन को लगता है कि इस लीप वर्ष को सौर और चंद्र कैलेंडर के हिसाब से दिन निर्धारित करने के लिए डाला गया होगा। डॉ. प्रतिमा बताती हैं, ‘जूलियस सीजर ने एक खगोलविद सोसिजेंस एलेंग्जेंडरिया से बेहतर कैलेंडर सुझाने को कहा, जिन्होंने कैलेंडर में सममिति लाने के लिए दिनों को 30 और 31 दिनों के बीच बांटा। इसके अलावा उन्होंने ही दिनों की गणना करते हुए फरवरी को 28 दिन का बनाया और इस तरह अलग-अलग कैलेंडरों से मिल कर आधुनिक कैलेंडर अस्तित्व में आया।’ मनीष कहते हैं कि ‘चीनी कैलेंडर बिल्कुल अलग होता है। उनका नव वर्ष अलग होता है और उनकी गणनाएं भी अलग होती हैं। हमारे यहां भी कैलेंडर अलग-अलग होते हैं। ज्योतिषीय गणनाएं सूर्य आधारित और चंद्र आधारित होती हैं और हमारे देश के कैलेंडर में यह बातें मुख्य होती हैं।’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
26-02-2013, 11:17 PM | #8 |
VIP Member
Join Date: May 2011
Location: churu
Posts: 122,463
Rep Power: 245 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
रोचक..................
|
27-02-2013, 07:01 PM | #9 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
Many European and Mediterranean-based peoples inherited the ancient Sumerian-Babylonian sexagesimal system of time keeping, using 24 hours in a day, with hours of 60-minutes each, and 60 seconds per minute. There are still today 360 degrees in a circle due to the ancient Babylonian year of 360 days. (That all changed after the catastrophe of 701 B.C.) Now our year is about 365 1/4 days long.
Many used the Moon's cycles, in 28-29 day Lunar calendars, trying to reconcile this regular (monthly) movement with the annual Solar cycles. Calendars of ancient peoples help to confirm the Biblical time frame. They point to a 6,000 year span (or shorter), which is consistent with a literal reading of the Bible. The Chinese calendar, for example, is at about the year 4707 (in 2010). It appears to mark the birth date of Noah (or some other pivotal event), from some 300 years before the Great Flood. Their civilization does not at all predate that time. But they have laid claim to this particular starting point or starting person's origin.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
27-02-2013, 07:02 PM | #10 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
Many calendars have been passed down from Ancient India. The Mahabharat calendar began about 3,200 B.C. That would put its start between the Mayan and the Chinese calendars, i.e. from some event in the pre-Flood era.
The origin of the Egyptian Calendar is still debated. Some contend that it began about 4,500 years ago, others that it began a little before 6,000 years ago (4236 B.C.). (Both are consistent with Biblical chronology.)
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
Bookmarks |
|
|