10-11-2012, 09:49 PM | #1 |
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ग़ज़ल: दर्द ही दर्द मिला है मुझे आराम नहीं
ग़म उठाने के सिवा और तो कुछ काम नहीं.
दर्द ही दर्द मिला है मुझे आराम नहीं. मौत आ मुझको लगा ले तू अपने सीने से, ज़िन्दगी बस ये समझ ले अब तेरा काम नहीं. सब हैं मदहोश मगर तेरे वास्ते ग़म-ए-दिल, खाक-ए-तकदीर से निकला है कोई जाम नहीं. हम भी औरों को तरह खाक में मिल जायेंगे, इससे बेहतर ए मेरे दिल तेरा अन्जाम नहीं. Last edited by rajnish manga; 17-09-2013 at 11:42 PM. |
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दर्द ही दर्द, मेरी ग़ज़ल, रजनीश मंगा, dard hi dard mila hai, ghazal, poetry of rajnish manga |
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