10-10-2011, 12:09 AM | #1 |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 36 |
हुस्न है अखबार-सा
हुस्न है अखबार-सा,जो लिपि को समझा,पढ़ लिया . दे नहीं पाये किसी सूरत धड़कता एक दिल ; मेरे जिन सज़दों ने पत्थर को खुदा - सा कद दिया . फ़िर नए का साथ पाने की जुगत भर है बसंत ; पेड़ ने पतझड़ बता पत्ता ज़मीं पर ला दिया . गेसुओं की छाँव तेरी रूठ कर जब से गयी ; बर्फ की तकदीर जैसा मै पिघलता ही गया . ऐ सितमगर बाद तेरे आँख में ठहरा न कोई ; तेरे पहरेदार अश्कों ने अथक पहरा दिया . पास थी तो चेहरा दिखता था तेरा चाँद - सा ; दूर रहकर चाँद में चेहरा तेरा देखा किया . क्या मुकद्दर , जिसने मेरी ज़िन्दगी बेडौल की , उम्र भर मैने उसे ग़ज़लों में ही ढाला किया . जब हमारा दर्द तेरी आँख से बहने लगे ; तब मै समझूंगा , मैने नग्मा कोई पूरा किया . रचयिता ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव विनय खण्ड - २ , गोमती नगर , लखनऊ . शब्दार्थ ~~( सितमगर = जुल्मी / अन्यायी ) Last edited by Dr. Rakesh Srivastava; 11-10-2011 at 09:44 AM. |
10-10-2011, 08:17 AM | #2 | |
VIP Member
|
Re: हुस्न है अखबार-सा
Quote:
शुक्रिया तहेदिल से दाद कुबूल करेँ |
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
|
|
10-10-2011, 08:57 AM | #3 |
Administrator
|
Re: हुस्न है अखबार-सा
क्या बात है राकेश जी.. एक ही दिन में दो दो उत्कृष्ट रचनाये. दिल बाग़ बाग़ हो गया..
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
11-10-2011, 12:38 AM | #4 |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 36 |
Re: हुस्न है अखबार-सा
सर्वश्री Abhisays जी एवं सिकंदर जी ; आप दोनों
का पढ़ने और पसन्द करने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद . |
11-10-2011, 08:36 AM | #5 |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 36 |
Re: हुस्न है अखबार-सा
नमन जी ;
आपने पसंद किया , आपका शुक्रिया . |
12-10-2011, 08:41 PM | #6 | |
Special Member
|
Re: हुस्न है अखबार-सा
Quote:
जब हमारा दर्द तेरी आँख से बहने लगे वाह! क्या बात है
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
|
12-10-2011, 11:33 PM | #7 |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 36 |
Re: हुस्न है अखबार-सा
ndhebar जी ;
आपने रचना पसंद की , आपका शुक्रिया . |
16-08-2012, 02:04 AM | #8 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: हुस्न है अखबार-सा
डॉ. साहब, आज मैं आपके सामने पूरी अकीदत से अपना सर झुका रहा हूं ! इन पंक्तियों के लिए मेरा सजदा कबूल फरमाएं ! आभार !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
17-08-2012, 12:19 AM | #9 |
Diligent Member
|
Re: हुस्न है अखबार-सा
गेसुओं की छाँव तेरी रूठ कर जब से गयी ;
बर्फ की तकदीर जैसा मै पिघलता ही गया . dil ko chu gayee hai sar aapki ye kavita nice poem , sunder ahsaas ke sath ddhanyavaad sr |
22-08-2012, 03:35 PM | #10 |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 36 |
Re: हुस्न है अखबार-सा
शुक्रिया डार्क सेंट अलैक जी एवं सोमवीर जी .
|
Bookmarks |
Tags |
hindi poems, hushn hai baazar sa |
|
|