23-04-2014, 04:07 PM | #1 |
Junior Member
Join Date: Apr 2014
Posts: 2
Rep Power: 0 |
भूषण के पद का अर्थ
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहनवारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं। कंद मूल भोग करें कंद मूल भोग करें, तीनि बेर खाती सो तीनि बेर खाती हैं। भूषण शिथिल अंग भूषण शिथिल अंग, विजन डुलाती वै विजन डुलाती हैं। भूषण भनत सिवराज वीर तेरे त्रास, नगन जड़ाती वै नगन जड़ाती हैं॥ |
27-04-2014, 10:35 AM | #2 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: भूषण के पद का अर्थ
Quote:
कंद मूल - (क) राजघराने में खाने के प्रयोग में लाये जाने वाले जायकेदार कंद-मूल वगैरह (ख) जंगल में कंद की मूल यानि जड़.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
27-04-2014, 03:05 PM | #3 |
Junior Member
Join Date: Apr 2014
Posts: 2
Rep Power: 0 |
Re: भूषण के पद का अर्थ
कंद-मूल नाम का कौनसा स्वादिष्ट खाना है? कभी इसका नाम नहीं सुना. किससे बनता है? क्या इसका कोई दूसरा नाम भी है?
|
27-04-2014, 11:41 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: भूषण के पद का अर्थ
मित्र, राजमहल में बनने वाले भोजन में चाहे जिमीकंद, कचालू, रतालू नाम की सब्जियां या व्यंजन भी शामिल कर दीजिये फिर भी शाही रसोइयों की दक्षता उन्हें अत्यंत स्वादिष्ट बना सकती थी. वैसे आज भी आपको यह चीजें अपनी सब्जीमंडी में मिल जायेंगी. अर्थात यदि इन्हें बनाने का सही तरीका आप जानते हैं और उसे अपनाते हैं तो इनमे भी 5-star फ्लेवर पैदा कर सकते हैं.
उक्त विषय में आपकी जिज्ञासा प्रशंसा योग्य है. मैं इस बात से अत्यन्त प्रभावित हुआ हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद, मित्र. फोरम पर आपके निरंतर सहयोग की कामना करते हुये आपकी आगामी पोस्टों का इंतज़ार रहेगा.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 02-05-2014 at 08:13 AM. |
Bookmarks |
Tags |
कंद मूल, कवि भूषण |
|
|