17-06-2012, 11:17 AM | #39 |
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Re: उपनिषदों का काव्यानुवाद
बहूनामेमि प्रथमों बहूनामेमि मध्यम:।
किं स्विद्यमस्य कर्तव्यं यन्मयाद्य करिष्यति ॥५॥ शिष्यों, पुत्रों की तीन श्रेणी, श्रेष्ठ तो कहीं मध्यमा, कदापि मैं नहीं अधम हूँ , क्यों कुपित तात हैं दें क्षमा। यमराज को क्यों तात मुझको, दे रहे क्या मर्म है, अब दुखित भी अति लग रहे, करूं शांत मेरा धर्म है॥ [5] |
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