21-06-2011, 06:08 PM | #1 |
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महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जूझने वाले राजस्थानी क्रांतिवीरो शूरवीरों -योद्धाओं की गाथाए जो हम शायद भुला चुके या उन शूरवीरों -योद्धाओं के बारे में हम जानते ही नही इसलिए मेने इतिहास से कुछ गाथाए निकाल कर सबके सामने रख रहा हूँ ताकि हम सब जान सके की इस पवित्र माटी से ऐसे फूल पैदा हुए जिनकी महक से हम अभी भी दूर है हम उन महान शूरवीरों को याद करे जो हमारे लिए हमारी भारत माता के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर गए .आओ हम सब उनको याद करके उनका सम्मान और श्रधांजली प्रदान करे .....
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21-06-2011, 06:09 PM | #2 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान का देने वाले ऐसे ही सपूतों के बल पर ही देश स्वतंत्र रहते है और उनका त्याग प्रेरणा देता हुआ भावी पीढ़ियों के राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत रखता है |
पर अफ़सोस कि हमने मातृभूमि के लिए प्राणों की बलि देने वाले उन सपूतों को भुला दिया और उन लोगों की प्रतिमाओं पर मालाएँ चढ़ा रहे है जिन्होंने सिर्फ कुछ दिन अंग्रेजों की जेल में रहकर रोटियां तोड़ी | हमारी भावी पीढ़ी उन जेल भरने वाले सेनानियों से क्या प्रेरणा लेगी ?
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21-06-2011, 06:29 PM | #3 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
तो सबसे पहले राष्ट्र गौरव मेवाड़ के महाराणा महान वीर सपूत महाराणा प्रताप जिनके शोर्य को बयान नही किया जा सकता ...
राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप को नमन आज देश के हर कोने में राष्ट्र गौरव मेवाड़ के महाराणा हिंदुआ सूर्य महाराणा प्रताप को याद किया जा रहा है | देश के कई नगरों व गांवों में आज राणा प्रताप की जयंती के अवसर पर रैलियां व सभाओं का आयोजन किया जा रहा है | इस देश में अनेक राजा-महाराजा ,बादशाह व नबाब हुए है जो राजनीती ,कूटनीति व युद्ध कौशल में राणा प्रताप से भी दक्ष थे | मेवाड़ के महाराणा कुम्भा को ही लें उनके जैसा वीर योद्धा व सफल प्रशासक हमारे इतिहास में बहुत ही
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21-06-2011, 06:30 PM | #4 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
कम नजर आयेंगे | जोधपुर का राजा मालदेव अपने ज़माने का विकट योद्धा था , हम्मीर जैसे योद्दा का हट व वीरता कौन नहीं जानता | राणा सांगा की वीरता व देश भक्ति को कौन भुला सकता है | पृथ्वीराज चौहान की वीरता से भी हम सभी परिचित है | पर फिर भी ये योद्धा राणा प्रताप की तरह जन-जन के हृदय में अपनी जगह बनाने में सफल नहीं रहे |
राष्ट्रवीर राणा प्रताप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अदम्य और अग्रणी ही नहीं अपितु मंत्रदाता भी थे | मुग़ल सल्तनत की गुलामी को चुनौती देने वाले वीर राणा जहाँ मुगलों के लिए काल पुरुष थे वहीँ अंग्रेजों की दासता-मुक्ति के लिए भारतीय जनमानस को प्रेरित कर जागृत करने वाले पथ प्रदर्शक भी थे |
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21-06-2011, 06:31 PM | #5 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
वे स्वतंत्रता ,स्वाभिमान,सहिष्णुता , पराक्रम और शौर्य के लहराते सरोवर थे | विदेशी सत्ताधीशों के विपत्ति बलाहकों के लिए दक्षिण का प्रभंजन थे | संकटों का सहर्ष स्वागत करने वाले , स्वधर्म ,स्वकर्तव्य का पालन करने वाले नर पुंगव थे | वे हमारे देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले स्वतंत्रता के पुजारियों के प्रेरणास्त्रोत थे | उनके चित्र मात्र के दर्शन से ही मन में देश भक्ति की भावना का ज्वर उठने लगता है |
आज भी भारतीय इतिहास में एक गौरवशाली रणक्षेत्र् हल्दीघाटी का नाम आते ही मन में वीरोचित भाव उमडने - घुमडने लगते हैं। राणा प्रताप की उस युद्ध भूमि के स्मरण मात्र से मन में एक त्वरा सी उठती है एक हुक बरबस ही
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21-06-2011, 06:32 PM | #6 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
हृदय को मसोस डालती है | घोड़ों की टापें, हाथियों की चिंघाड़ व रणभेरियों की आवाजें मन को मथने सी लगती है |राणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर दौड़ते ,हिनहिनाते चेतक की छवि मन-मस्तिष्क पर छा जाती है | चेतक एक पशु होकर भी राणा प्रताप जैसे योद्धा का सामीप्य पाकर आज अमर हो हल्दीघाटी में अपना स्मारक बनाने में कामयाब हो गया | हल्दी घाटी में जाने वाला हर पर्यटक चेतक के स्मारक पर दो आंसू जरुर बहाता है |
हल्दी घाटी युद्ध के बाद वे जंगलों में भटकते रहे ,घास की रोटियां खाई , पत्थरों का बिछोना बनाया ,कितने ही दुःख सहे पर मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य के निर्वाह के लिए उन्होंने कभी कोई समझोता नहीं किया | यही वजह है कि वे आज जन-जन के हृदय में बसे है |
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21-06-2011, 06:35 PM | #7 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
क्रांतिकारी कवि केसरी सिंह बारहट लिखते है -
पग पग भम्या पहाड,धरा छांड राख्यो धरम | (ईंसू) महाराणा'र मेवाङ, हिरदे बसिया हिन्द रै ||1||
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21-06-2011, 06:37 PM | #8 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
भयंकर मुसीबतों में दुःख सहते हुए मेवाड़ के महाराणा नंगे पैर पहाडों में घुमे ,घास की रोटियां खाई फिर भी उन्होंने हमेशा धर्म की रक्षा की | मातृभूमि के गौरव के लिए वे कभी कितनी ही बड़ी मुसीबत से विचलित नहीं हुए उन्होंने हमेशा मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह किया है वे कभी किसी के आगे नहीं झुके | इसीलिए आज मेवाड़ के महाराणा हिंदुस्तान के जन जन के हृदय में बसे है |
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21-06-2011, 06:43 PM | #9 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
दृढ प्रतिज्ञ एवं विलक्षण व्यक्तित्व के धनी महाराणा प्रताप का जन्म वि.स.१५९७ ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया ९ मई, १५४० को कुम्भलगढ में हुआ । पिता उदयसिंह की मृत्यु के उपरान्त राणा प्रताप का राज्याभिषेक 28 फरवरी, 1572 को गोगुन्दा में हुआ। विरासत में उन्हें मेवाड की प्रतिष्ठा और स्वाधीनता की रक्षा करने का भार ऐसे समय में मिला जबकि महत्वाकांक्षी सम्राट अकबर से शत्रुता के कारण समूचा मेवाड एक विचित्र् स्थिति में था | लेकिन उसके साथ ही राणा प्रताप को राणा लाखा, बापा रावल ,पितामह राणा सांगा की वीरत्व की विरासत भी मिली थी दूसरी और सुमेल गिरी युद्ध के महान वीर नाना अखेराज तथा हल्दीघाटी के रण में मुग़ल सेना का शमशेरों से
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21-06-2011, 06:46 PM | #10 |
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Re: महान शूरवीर योद्धाओं की गाथाए
स्वागत करने वाले उनके मामा मान सिंह का सानिध्य मिला था | इस प्रकार राणा प्रताप को पितृ और मातृ उभय कुलों की स्वतंत्र-परम्परा के संस्कार मिले थे | उन्होंने अपने यशस्वी पूर्वज महाराणा कुम्भा तथा सांगा की शौर्य कथाएँ तथा देश, धर्म और आन-बान ,मान-मर्यादा पर मरने का पाठ बाल्यकाल में ही पढ़ लिया था |
ऐसे संस्कार व शौर्य का ककहरा बाल्यकाल में पढने वाले राणा प्रताप स्वाधीनता के अपहरणकर्ता के आगे कैसे झुक सकते थे |
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