My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 22-05-2014, 01:28 PM   #1
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default आता है याद मुझको

आता है याद मुझको
^
बहुत से लोग कहते हैं और मानते हैं कि जीवन एक सफ़र है जो जन्म से शुरू होता है और जीवन के अंतिम श्वांस तक चलता है. इस सफ़र के दौरान मनुष्य को बहुत से खट्टे-मीठे अनुभव होते हैं. कई बार यह अनुभव हमें बहुत महत्वपूर्ण नज़र आते हैं और कई बार बहुत सामान्य. कई बार ये हमारे जीवन की धारा ही बदल देते हैं और कई बार एक छोटी सी मुस्कान छोड़ जाते हैं. ऐसे ही कई अनुभव और यादें मैं आपके साथ साझा करूँगा. आशा है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आयेगा. आप भी अपने जीवन के छोटे-बड़े व खट्टे-मीठे अनुभव शेयर करने के लिये सादर आमंत्रित हैं ताकि यह सूत्र अधिक से अधिक सदस्यों के दिल तक पहुँच सके.
अल्लामा इक़बाल की एक छोटी सी नज़्म यहाँ उद्धृत करना चाहता हूँ:
आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना,
वो बाग़ की बहारें वो सबका चह-चहाना

आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोंसले की
,
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना

लगती है चोट दिल पर, आता है याद जिस दम
,
शबनम के आंसूओं पर कलियों का मुस्कुराना

वो प्यारी प्यारी सूरत, वो कामिनी सी मूरत
,
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना

__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 22-05-2014 at 01:38 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-05-2014, 01:46 PM   #2
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: आता है याद मुझको

बढ़ते चरण
**
उन दिनों मैं दसवीं या ग्यारहवी कक्षा का छात्र था, जिसके हिंदी पाठ्यक्रम में एक पुस्तक रखी गई थी- बढ़ते चरण. इस पुस्तक में कुछ बहुत ही विचारोत्तेजक निबंध थे. यह मनोरंजक भी थे, जानकारी देने वाले भी और प्रेरक भी. इस पुस्तक में शामिल तीन निबंधों का मैं यहाँ विशेष रूप से ज़िक्र करना चाहता हूँ. ये निबंध इस प्रकार हैं:

1. पल भर ठहरिये और सर झुकाइये

इस निबंध में लेखक ने बताया है कि किस प्रकार हम जाने-अनजाने अपने राष्ट्रध्वज का अपमान कर देते हैं. निबंध में राष्ट्र ध्वज की गरिमा बनाए रखने की जरुरत पर बल दिया गया था और इस सम्बन्ध में प्रमुख नियम-कानूनों की जानकारी भी दी गई थी जिनका पालन करना हर कर्तव्यपरायण नागरिक का फ़र्ज़ है.

2. बाजार जाने से पहले अपनी जेब टटोलिये

यह निबंध तो हमें हमारे रोजाना के अनुभवों की याद दिला देता है. कितनी बार हम बाजार कुछ सामान लेने के लिये निकलते है, जरुरी सामान खरीद कर झोले में डालते हैं मगर जैसे ही पैसे देने के लिये जेब में हाथ डालते हैं तो दिल धक् कर उठता है. अरे! पर्स तो लाये ही नहीं. यदि दुकानदार जानपहचान का नहीं है तो हमें सामान वापिस करने की जिल्लत भी उठानी पड़ती है और दोबारा बाजार आकर सामान लाना पड़ता है.
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-05-2014, 01:50 PM   #3
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: आता है याद मुझको

बढ़ते चरण (Badhte Charan)
**
1. परचित्तानुरंजन

यह लेख किसी सेल्फ हेल्प पुस्तक की शैली में लिखा गया मालूम होता है (इंगलिश में भी इस से मिलता जुलता एक निबंध पढ़ा था – On Saying Please – जिसके लेखक थे ए.जी.गार्डिनर जिसमे लेखक ने जीवन में “please’ और ‘thank you’ बोलने की अहमियत समझाई थी). परचित्तानुरंजन, जैसा कि इसका संधि-विच्छेद करने से ज्ञात होता है – दूसरों का मन रखना अथवा दूसरों के चित्त को प्रसन्न रखना. लेख में इस बात को रेखांकित किया गया था कि यदि दूसरों द्वारा कही गई किसी निरीह बात का हमें समर्थन करना पड़े या उसे मानना पड़े तो कर लेने में कोई हर्ज नहीं है चाहे हम उससे सहमति न भी रखते हों. उस व्यक्ति के जाने के बाद हम अपनी मूल बात के अनुसार ही व्यवहार करने को स्वतंत्र हैं. लेख में औरंगज़ेब का उदाहरण दिया गया था. कहते हैं कि औरंगज़ेब शाही खजाने से कोई तनख्वाह नहीं लेता था बल्कि अपनी लिखी हुयी ‘कुर’आन’ की प्रतियों के बेचने से उसे जो आमदनी होती थी, उसी से अपना खर्च चलाता था. एक दिन वह कुर’आन की एक प्रति तैयार कर रहा था. उतने में अरबी-फारसी के एक विद्वान् वहां आये. उन्होंने औरंगज़ेब को पुस्तक में सुधार के लिये कुछ सुझाव दिया. औरंगज़ेब ने उसका दिल रखने के लिये उसके सुझाव पर सहमति व्यक्त की लेकिन उस विद्वान् के जाने के बाद उसके सुझाव पर अमल न किया. औरंगज़ेब के एक सहायक ने जब इस ओर उसका ध्यान आकर्षित किया तो औरंगज़ेब ने कहा कि यदि मैं उसके मुंह पर उसके सुझाव में कमियाँ निकालता तो उसे बहुत बुरा लगता. अतः यह जानते हुये भी कि उसका सुझाव मानने योग्य नहीं था, उस समय मैंने उसके सुझाव को मान लिया ताकि उसका दिल न दुखे. इससे मुझ पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा. उलटे वह खुशी खुशी यहाँ से वापिस गया.
**
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-05-2014, 03:35 PM   #4
rafik
Special Member
 
rafik's Avatar
 
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44
rafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond reputerafik has a reputation beyond repute
Question Re: आता है याद मुझको

Quote:
Originally Posted by rajnish manga View Post
बढ़ते चरण


2. बाजार जाने से पहले अपनी जेब टटोलिये

यह निबंध तो हमें हमारे रोजाना के अनुभवों की याद दिला देता है. कितनी बार हम बाजार कुछ सामान लेने के लिये निकलते है, जरुरी सामान खरीद कर झोले में डालते हैं मगर जैसे ही पैसे देने के लिये जेब में हाथ डालते हैं तो दिल धक् कर उठता है. अरे! पर्स तो लाये ही नहीं. यदि दुकानदार जानपहचान का नहीं है तो हमें सामान वापिस करने की जिल्लत भी उठानी पड़ती है और दोबारा बाजार आकर सामान लाना पड़ता है.
>>>
आपका लेख पड़कर मेरे पिता जी द्वारा बताई बात याद आई हें जो इस प्रकार हें

( खाली पेट,खाली जेब बाहर नहीं निकलना )
__________________


Disclaimer......!
"The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..."
rafik is offline   Reply With Quote
Old 22-05-2014, 07:14 PM   #5
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: आता है याद मुझको

Quote:
Originally Posted by rafik View Post
आपका लेख पड़कर मेरे पिता जी द्वारा बताई बात याद आई हें जो इस प्रकार हें

( खाली पेट,खाली जेब बाहर नहीं निकलना )
आपके पिताजी की बात पढ़ कर अच्छा लगा. यह तजुरबे की बातें हैं. अतः इन पर अमल करने से हम कई नाखुशगवार परिस्थितियों से बच सकते हैं. बहुत बहुत धन्यवाद, रफ़ीक जी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
आता है याद मुझको, aata he yaad mujhko, dil ki baat, khatti meethi yaaden


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:26 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.