17-05-2011, 03:40 PM | #1 |
Special Member
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भजन कवितायेँ
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17-05-2011, 05:41 PM | #2 |
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Re: भजन कवितायेँ
ताश भजन
आओ सब मिल करे हरि गुण गान रे सावरिया सन्त लोग सब मिल कर खेले ताश रे सावरिया 1 - दूग्गी को दिल को दिल से निकाल दो सब सन्तो को एक जानो 2 - तिग्गी से है तीन लोक पर बह्राम लोक को पहचानो 3 - चऊये से है चतुर्भुजी घन्श्याम रे सावरिया आओ सब मिल करे हरी गुण गान रे सावरिया 4 - पन्जे से पाँच तत्व जिनसे शरीर तैयार हुआ 5 - छिक्के से है छत्र पति जिन्हे तीन लोक मे मान हुआ 6 - सत्ते है से है सत्यनारायण धन्श्याम रे सावरिया आओ सब मिल करे हरि गुण गान रे सावरिया 7 - अठ्ठे से हे अष्ठ भुजी श्री ज्वाला माता कल्याणी 8 - नेहले से बो निहाल करती ऐसी है बो मर्दानी 9 - दहले से बो दक्षिणा देती ऐसी है बो बरदानी 10 - और दिल गुलाम का जीत लिया और बेगम पर भी बार किया 11 - अपन बादशाह बन बैठा पर इक्के का न ध्यान दिया 12 - इक्के से इक्ला बन बैठा धन्श्याम रे सावरिया सन्त जन सब मिल कर खेले ताश रे सावरिया समाप्त Last edited by Bholu; 17-05-2011 at 09:07 PM. |
17-05-2011, 07:01 PM | #3 |
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Re: भजन कवितायेँ
बहुत बढिया भोलू .....
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17-05-2011, 07:08 PM | #4 |
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Re: भजन कवितायेँ
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17-05-2011, 09:35 PM | #5 |
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Re: भजन कवितायेँ
एक कहानी सुनाता हूँ
जिन्दगी की एक बार एक दानब आया जिसने कहर बहुत है ढहा लेकिन सिँह पीठ पर चढी भबानी ने अपना अबतार दिखाया दानब थर थर रहा काँपने जब अम्बे ने बिराट रूप दिखाया Last edited by Bholu; 17-05-2011 at 09:39 PM. |
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