19-01-2011, 08:58 AM | #1 |
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विकीलीक्स का खुलासा
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
19-01-2011, 08:59 AM | #2 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
एक अपुष्ट समाचार के मुताबिक आगामी कुछ दिनों में विकीलीक्स लगभग 2000 ऐसे नाम उजागर करेगा जिनके खाते स्विस बैंकों में हैं।
जाहिर सी बात है कि इस सूचि में भारतीय खाताधारियों के भी नाम होंगे। अब तो विकीलीक्स के मालिक जूलियन असांजे को भारतीय राजनैतिक माफ़िया से भी खतरा है।
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19-01-2011, 09:00 AM | #3 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
अब खुलेगी 2 हजार स्विस बैंक खाताधारकों की पोल !
स्विस बैंक में रखे काले धन के मालिकों पर गाज गिरने वाली है। दरअसल दुनिया भर के खास देशों और लोगों की गोपनीय जानकारी लीक करके सुर्खिया बटोर चुके विकीलीक्स के पास स्विस बैंक में जमा काले धन से जुड़े गोपनीय दस्तावेज आ गए हैं। इस स्वीडिश वेबसाइट को अब स्विस बैंक से जुड़े तकरीबन 2 हजार लोगों के ब्यौरे मिल गए हैं। इनमें राजनेता, बिज़नेसमैन और फौजी अफसर सभी हैं। समझा जाता है कि इनमें कुछ भारतीयों के भी नाम हैं। ये दस्तावेज विकीलीक्स को मुहैया करवा रहे हैं पूर्व बैंकर रुडोल्फ एल्मर। विदेशी समाचार पत्र सोन्नटैग ने बताया था कि एल्मर यह ब्यौरा सोमवार को एक प्रेस कॉंफ्रेंस में विकीलीक्स को सौंप देंगे और ऐसा ही हुआ। यह सूची अब विकीलीक्स के पास है। हांलाकि विकीलीक्स इसे तुरंत जारी नहीं करेगा। एल्मर ने स्विस बैंक 2000 हजार लोगों के खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी एक सीडी के जरिए विकीलीक्स को सौंपा। इस सीडी में उद्योगपतियों, नौकरशाहों, कलाकारों सहित दुनिया भर के करीब 40 राजनितिज्ञों के नाम शामिल हैं। रुडोल्फ एल्मर स्विस बैंक के पूर्व कर्मचारी हैं। गौरतलब है कि स्विस बैंक में भारतीयों के लाखों करोड़ रुपए जमा है। अगर यह पैसा भारत आ जाए तो भारत का आर्थिक चेहरा काफी हद तक बदल जाएगा। अब देखना है कि इसमें कितने भारतीयों के नाम सामने आते हैं और सरकार क्या कार्रवाई करती है।
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19-01-2011, 09:00 AM | #4 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
अब खुलेगी 2 हजार स्विस बैंक खाताधारकों की पोल !
स्विस बैंक में रखे काले धन के मालिकों पर गाज गिरने वाली है। दरअसल दुनिया भर के खास देशों और लोगों की गोपनीय जानकारी लीक करके सुर्खिया बटोर चुके विकीलीक्स के पास स्विस बैंक में जमा काले धन से जुड़े गोपनीय दस्तावेज आ गए हैं। इस स्वीडिश वेबसाइट को अब स्विस बैंक से जुड़े तकरीबन 2 हजार लोगों के ब्यौरे मिल गए हैं। इनमें राजनेता, बिज़नेसमैन और फौजी अफसर सभी हैं। समझा जाता है कि इनमें कुछ भारतीयों के भी नाम हैं। ये दस्तावेज विकीलीक्स को मुहैया करवा रहे हैं पूर्व बैंकर रुडोल्फ एल्मर। विदेशी समाचार पत्र सोन्नटैग ने बताया था कि एल्मर यह ब्यौरा सोमवार को एक प्रेस कॉंफ्रेंस में विकीलीक्स को सौंप देंगे और ऐसा ही हुआ। यह सूची अब विकीलीक्स के पास है। हांलाकि विकीलीक्स इसे तुरंत जारी नहीं करेगा। एल्मर ने स्विस बैंक 2000 हजार लोगों के खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी एक सीडी के जरिए विकीलीक्स को सौंपा। इस सीडी में उद्योगपतियों, नौकरशाहों, कलाकारों सहित दुनिया भर के करीब 40 राजनितिज्ञों के नाम शामिल हैं। रुडोल्फ एल्मर स्विस बैंक के पूर्व कर्मचारी हैं। गौरतलब है कि स्विस बैंक में भारतीयों के लाखों करोड़ रुपए जमा है। अगर यह पैसा भारत आ जाए तो भारत का आर्थिक चेहरा काफी हद तक बदल जाएगा। अब देखना है कि इसमें कितने भारतीयों के नाम सामने आते हैं और सरकार क्या कार्रवाई करती है।
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
19-01-2011, 09:01 AM | #5 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
स्विस बैंक के खातों का खुलेगा राज़?
कई गोपनीय जानकारी सार्वजनिक करके सुर्ख़ियों में आई वेबसाइट विकीलीक्स को एक और अहम जानकारी हाथ लगी है. स्विस बैंक में काम करने वाले एक पूर्व अधिकारी रूडोल्फ़ एल्मर ने लंदन में एक संवाददाता सम्मेलन में गोपनीय खातों की जानकारी विकीलीक्स के संस्थापक जुलियन असांज को सौंपी. दो सीडी में ये आँकड़े हैं और इसमें 2000 प्रभावशाली लोगों के खातों के बारे में जानकारी है. जुलियन असांज ने कहा है कि एक बार इसकी जाँच पड़ताल हो जाए, उसके बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा. भरोसा संवाददाता सम्मेलन में असांज ने कहा, "एक बार हम आँकड़ों का अध्ययन कर लें, इसके बाद पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी." जुलियन असांज अभी ज़मानत पर हैं और उन्हें ब्रिटेन में ही रहना है. बैंक के गोपनीय क़ानून तोड़ने के लिए एल्मर पर बुधवार से स्विट्ज़रलैंड मुक़दमा शुरू हो रहा है. रूडोल्फ़ एल्मर पहले भी विकीलीक्स को जानकारी उपलब्ध करा चुके हैं. वर्ष 2002 में उन्हें स्विस बैंक जुलियस बायर से निकाल दिया गया था. स्विस अख़बार डेर सोन्टाग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ आँकड़ों में ब्रिटेन, जर्मनी और अमरीका समेत कई देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और धनाढ्य लोगों के बारे में वर्ष 1999 से लेकर 2009 तक की अहम जानकारी है.
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19-01-2011, 05:39 PM | #7 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
स्विस बैंक के खातों का खुलेगा राज़?
कई गोपनीय जानकारी सार्वजनिक करके सुर्ख़ियों में आई वेबसाइट विकीलीक्स को एक और अहम जानकारी हाथ लगी है. स्विस बैंक में काम करने वाले एक पूर्व अधिकारी रूडोल्फ़ एल्मर ने लंदन में एक संवाददाता सम्मेलन में गोपनीय खातों की जानकारी विकीलीक्स के संस्थापक जुलियन असांज को सौंपी. दो सीडी में ये आँकड़े हैं और इसमें 2000 प्रभावशाली लोगों के खातों के बारे में जानकारी है. जुलियन असांज ने कहा है कि एक बार इसकी जाँच पड़ताल हो जाए, उसके बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा. भरोसा संवाददाता सम्मेलन में असांज ने कहा, "एक बार हम आँकड़ों का अध्ययन कर लें, इसके बाद पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी." जुलियन असांज अभी ज़मानत पर हैं और उन्हें ब्रिटेन में ही रहना है. बैंक के गोपनीय क़ानून तोड़ने के लिए एल्मर पर बुधवार से स्विट्ज़रलैंड मुक़दमा शुरू हो रहा है. रूडोल्फ़ एल्मर पहले भी विकीलीक्स को जानकारी उपलब्ध करा चुके हैं. वर्ष 2002 में उन्हें स्विस बैंक जुलियस बायर से निकाल दिया गया था. स्विस अख़बार डेर सोन्टाग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ आँकड़ों में ब्रिटेन, जर्मनी और अमरीका समेत कई देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और धनाढ्य लोगों के बारे में वर्ष 1999 से लेकर 2009 तक की अहम जानकारी है.
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
19-01-2011, 05:40 PM | #8 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
स्विस बैंक के खातों का खुलेगा राज़?
कई गोपनीय जानकारी सार्वजनिक करके सुर्ख़ियों में आई वेबसाइट विकीलीक्स को एक और अहम जानकारी हाथ लगी है. स्विस बैंक में काम करने वाले एक पूर्व अधिकारी रूडोल्फ़ एल्मर ने लंदन में एक संवाददाता सम्मेलन में गोपनीय खातों की जानकारी विकीलीक्स के संस्थापक जुलियन असांज को सौंपी. दो सीडी में ये आँकड़े हैं और इसमें 2000 प्रभावशाली लोगों के खातों के बारे में जानकारी है. जुलियन असांज ने कहा है कि एक बार इसकी जाँच पड़ताल हो जाए, उसके बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा. भरोसा संवाददाता सम्मेलन में असांज ने कहा, "एक बार हम आँकड़ों का अध्ययन कर लें, इसके बाद पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी." जुलियन असांज अभी ज़मानत पर हैं और उन्हें ब्रिटेन में ही रहना है. बैंक के गोपनीय क़ानून तोड़ने के लिए एल्मर पर बुधवार से स्विट्ज़रलैंड मुक़दमा शुरू हो रहा है. रूडोल्फ़ एल्मर पहले भी विकीलीक्स को जानकारी उपलब्ध करा चुके हैं. वर्ष 2002 में उन्हें स्विस बैंक जुलियस बायर से निकाल दिया गया था. स्विस अख़बार डेर सोन्टाग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ आँकड़ों में ब्रिटेन, जर्मनी और अमरीका समेत कई देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और धनाढ्य लोगों के बारे में वर्ष 1999 से लेकर 2009 तक की अहम जानकारी है.
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
19-01-2011, 05:41 PM | #9 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
स्विस बैंक में सबसे ज्यादा पैसा इंडियंस का
स्पष्टीकरण : यह खबर नवभारत टाइम्स के प्रिंट एडिशन में 18.11.2010 को प्रकाशित हुई थी। इस खबर के प्रकाशित किए जाने के बाद हमें पता चला है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर यह खबर बनाई गई थी, उस रिपोर्ट की प्रामाणिकता संदिग्ध है। दरअसल, इस रिपोर्ट की जानकारी हमारे संवाददाता को एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति ने दी है लेकिन इससे जुड़े दस्तावेज हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं इसलिए इसके तथ्यात्मक रूप से सही होने की हम तस्दीक नहीं कर सकते। जोसफ बर्नाड नई दिल्ली ।। कहा जाता है कि 'भारत गरीबों का देश है, मगर यहां दुनिया के बड़े अमीर बसते हैं।' यह बात स्विस बैंक की एक चिट्ठी ने साबित कर दी है। काफी गुजारिश के बाद स्विस बैंक असोसिएशन ने इस बात का खुलासा किया है कि उसके बैंकों में किस देश के लोगों का कितना धन जमा है। इसमें भारतीयों ने बाजी मारी है। इस मामले में भारतीय अव्वल हैं। भारतीयों के कुल 65,223 अरब रुपये जमा है। दूसरे नंबर पर रूस है जिनके लोगों के करीब 21,235 अरब रुपये जमा है। हमारा पड़ोसी चीन पांचवें स्थान हैं, उसके मात्र 2154 अरब रुपये जमा है। भारतीयों का जितना धन स्विस बैंक में जमा है, तकनीकी रूप से वह हमारे जीडीपी का 6 गुना है। सरकार पर दबाव है और कोशिशें भी जारी है कि इस धन को वापस देश में लाया जाए। तकनीकी रूप से यह ब्लैक मनी है। अगर यह धन देश में वापस आ गया तो देश की इकोनॉमी और आम आदमी की बल्ले-बल्ले हो सकती है। कर्ज नहीं लेना पड़ेगा प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक भारत को अपने देश के लोगों का पेट भरने और देश को चलाने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ता है। यही कारण है कि जहां एक तरफ प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, वही दूसरी तरफ प्रति भारतीय पर कर्ज भी बढ़ता है। अगर स्विस बैंकों में जमा ब्लैक मनी का पहले चरण में 30 से 40 पर्सेंट भी देश में आ गया तो हमें कर्ज के लिए आईएमएफ या विश्व बैंक के सामने हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे। धन की कमी स्विस बैंक में जमा धन पूरा करेगा। 30 साल का बजट बिना टैक्स के स्विस बैंकों में भारतीयों का जितना ब्लैक मनी जमा है, अगर वह सारी राशि भारत को मिल जाती है तो भारत देश को चलाने के लिए बनाया जाने वाला बजट बिना टैक्स के 30 साल के लिए बना सकता है। यानी बजट ऐसा होगा कि जिसमें कोई टैक्स नहीं होगा। आम आदमी को इनकम टैक्स नहीं देना होगा और किसी भी वस्तु पर कस्टम या सेल टैक्स नहीं देना होगा। सभी गांव जुड़ेंगे सड़कों से सरकार सभी गांवों को सड़कों से जोड़ना चाहती है। इसके लिए 40 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। मगर सरकार के पास इतना धन कहां हैं। अगर स्विस बैंक से ब्लैक मनी वापस आ गया तो हर गांव के पास एक ही चार लेन की सड़क बन सकती है। कोई बेरोजगार नहीं देश में कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा। जितना धन स्विस बैंक में भारतीयों का जमा है, उससे उसका 30 पर्सेंट भी देश को मिल जाए तो करीब 20 करोड़ नई नौकरियां पैदा की जा सकती है। 50 पर्सेंट धन मिलेगा तो 30 करोड़ नौकरियां मार्केट में आ सकती हैं। देश से गरीबी गायब अमेरिकी एक्सपर्ट का अनुमान है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का जितना धन जमा है, अगर वह उसका 50 पर्सेंट भी भारत को मिल गया तो हर साल प्रत्येक भारतीय को 2000 रुपये मुफ्त में दिए जा सकते हैं। यह सिलसिला 30 साल तक जारी रहा सकता है। यानी देश में गरीबी दूर हो जाएगी।
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19-01-2011, 05:41 PM | #10 |
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Re: विकीलीक्स का खुलासा
स्विस बैंक में सबसे ज्यादा पैसा इंडियंस का
स्पष्टीकरण : यह खबर नवभारत टाइम्स के प्रिंट एडिशन में 18.11.2010 को प्रकाशित हुई थी। इस खबर के प्रकाशित किए जाने के बाद हमें पता चला है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर यह खबर बनाई गई थी, उस रिपोर्ट की प्रामाणिकता संदिग्ध है। दरअसल, इस रिपोर्ट की जानकारी हमारे संवाददाता को एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति ने दी है लेकिन इससे जुड़े दस्तावेज हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं इसलिए इसके तथ्यात्मक रूप से सही होने की हम तस्दीक नहीं कर सकते। जोसफ बर्नाड नई दिल्ली ।। कहा जाता है कि 'भारत गरीबों का देश है, मगर यहां दुनिया के बड़े अमीर बसते हैं।' यह बात स्विस बैंक की एक चिट्ठी ने साबित कर दी है। काफी गुजारिश के बाद स्विस बैंक असोसिएशन ने इस बात का खुलासा किया है कि उसके बैंकों में किस देश के लोगों का कितना धन जमा है। इसमें भारतीयों ने बाजी मारी है। इस मामले में भारतीय अव्वल हैं। भारतीयों के कुल 65,223 अरब रुपये जमा है। दूसरे नंबर पर रूस है जिनके लोगों के करीब 21,235 अरब रुपये जमा है। हमारा पड़ोसी चीन पांचवें स्थान हैं, उसके मात्र 2154 अरब रुपये जमा है। भारतीयों का जितना धन स्विस बैंक में जमा है, तकनीकी रूप से वह हमारे जीडीपी का 6 गुना है। सरकार पर दबाव है और कोशिशें भी जारी है कि इस धन को वापस देश में लाया जाए। तकनीकी रूप से यह ब्लैक मनी है। अगर यह धन देश में वापस आ गया तो देश की इकोनॉमी और आम आदमी की बल्ले-बल्ले हो सकती है। कर्ज नहीं लेना पड़ेगा प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक भारत को अपने देश के लोगों का पेट भरने और देश को चलाने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ता है। यही कारण है कि जहां एक तरफ प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, वही दूसरी तरफ प्रति भारतीय पर कर्ज भी बढ़ता है। अगर स्विस बैंकों में जमा ब्लैक मनी का पहले चरण में 30 से 40 पर्सेंट भी देश में आ गया तो हमें कर्ज के लिए आईएमएफ या विश्व बैंक के सामने हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे। धन की कमी स्विस बैंक में जमा धन पूरा करेगा। 30 साल का बजट बिना टैक्स के स्विस बैंकों में भारतीयों का जितना ब्लैक मनी जमा है, अगर वह सारी राशि भारत को मिल जाती है तो भारत देश को चलाने के लिए बनाया जाने वाला बजट बिना टैक्स के 30 साल के लिए बना सकता है। यानी बजट ऐसा होगा कि जिसमें कोई टैक्स नहीं होगा। आम आदमी को इनकम टैक्स नहीं देना होगा और किसी भी वस्तु पर कस्टम या सेल टैक्स नहीं देना होगा। सभी गांव जुड़ेंगे सड़कों से सरकार सभी गांवों को सड़कों से जोड़ना चाहती है। इसके लिए 40 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। मगर सरकार के पास इतना धन कहां हैं। अगर स्विस बैंक से ब्लैक मनी वापस आ गया तो हर गांव के पास एक ही चार लेन की सड़क बन सकती है। कोई बेरोजगार नहीं देश में कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा। जितना धन स्विस बैंक में भारतीयों का जमा है, उससे उसका 30 पर्सेंट भी देश को मिल जाए तो करीब 20 करोड़ नई नौकरियां पैदा की जा सकती है। 50 पर्सेंट धन मिलेगा तो 30 करोड़ नौकरियां मार्केट में आ सकती हैं। देश से गरीबी गायब अमेरिकी एक्सपर्ट का अनुमान है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का जितना धन जमा है, अगर वह उसका 50 पर्सेंट भी भारत को मिल गया तो हर साल प्रत्येक भारतीय को 2000 रुपये मुफ्त में दिए जा सकते हैं। यह सिलसिला 30 साल तक जारी रहा सकता है। यानी देश में गरीबी दूर हो जाएगी।
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