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Old 22-05-2011, 07:49 AM   #21
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१९४७ में आजा़दी मिलने के बाद ब्रिटिश भारतीय सेना को नये बने राष्ट्र भारत गणराज् और इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सेवा करने के लिये २ भागों में बांट दिया गया। ज्यादातर इकाइयों को भारत के पास रखा गया। चार गोरखा़ सैन्य दल को ब्रिटिश सेना में स्थानांतरित किया गया जबकि शेष को भारत के लिए भेजा गया।

जैसा कि भारतीय सेना में ब्रिटिश भारतीय सेना से व्युत्पन्न हुयी है तो इसकी संरचना, वर्दी और परंपराओ को अनिवार्य रूप से विरासत में ब्रिटिश से लिया गया हैं
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Old 22-05-2011, 07:49 AM   #22
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प्रथम कश्मीर युद्ध (1947)
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Old 22-05-2011, 07:50 AM   #23
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आजादी के लगभग तुरंत बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया था, और दोनों देशों के बीच पहले तीन पूर्ण पैमाने पर हुये युद्ध के बाद राजसी राज्य कश्मीर का विभाजन कर दिया गय। कश्मीर के महाराजा की भारत या पाकिस्तान मे से किसी भी राष्ट्र कि साथ विलय की अनिच्छा कि बाद पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के कुछ हिस्सों मे आदिवासी आक्रमण प्रायोजित करवाया गया। भारत द्वारा आरोपित पुरुषों को भी नियमित रूप से पाकिस्तान की सेना मे शामिल किया गया। जल्द ही पाकिस्तान ने अपने दलों को सभी राज्यों को अपने में संलग्न करने के लिये भेजा। महाराजा हरी सिहं ने भारत और लॉर्ड माउंटबेटन से अपनी मदद करने की याचना की पर उनको कहा गया की भारत के पास उनकी मदद करने के लिये कोई कारण नही है। इस पर उन्होने कश्मीर के विलय के एकतरफा सन्धिपत्र पर हस्ताक्षर किये जिसका निर्णय ब्रिटिश सरकार द्वारा लिया गया पर पाकिस्तान को यह सन्धि कभी भी स्वीकार नहीं हुई। इस सन्धि के तुरन्त बाद हू भारतीय सेना को आक्रमणकारीयों से मुकाबला करने के लिये श्रीनगर भेजा गया। इस दल में जनरल थिम्मैया भी शामिल थे जिन्होने इस कार्यवाही में काफी प्रसिद्धी हासिल की और बाद में भारतीय सेना के प्रमुख बने। पूरे राज्य में एक गहन युद्ध छिड़ गया और पुराने साथी आपस मे लड़ रहे थे। दोनो पक्षों मे कुछ को राज्यवार बढत मिली तो साथ ही साथ महत्वपूर्ण नुकसान भी हुआ। १९४८ के अन्त में नियन्त्रण रेखा पर लड़ रहे सैनिकों में असहज शान्ती हो गई जिसको संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत और पाकिस्तान में विभाजित कर दिया गया। पाकिस्तान और भा*रत के मध्य कश्मीर में उत्पन्न हुआ तनाव कभी भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है।
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Old 22-05-2011, 07:50 AM   #24
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संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना में योगदान
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Old 22-05-2011, 07:50 AM   #25
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वर्तमान में भारतीय सेना की एक टुकड़ी संयुक्त राष्ट्र की सहायता के लिये समर्पित रहती है। भारतीय सेना द्वारा निरंतर कठिन कार्यों में भाग लेने की प्रतिबद्धताओं की हमेशा प्रशंशा की गई है। भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के कई शांती स्थापित करने की कार्यवाहियों में भाग लिया गया है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: अंगोला कम्बोडिया साइप्रस लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो , अल साल्वाडोर, नामीबिया, लेबनान, लाइबेरिया, मोजाम्बिक, रवाण्डा, सोमालिया, श्रीलंका और वियतनाम. भारतीय सेना ने कोरिया में हुयी लड़ाई के दौरान घायलों और बीमारों को सुरक्षित लाने के लिये भी अपनी अर्द्ध-सैनिकों की इकाई प्रदान की थी।
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Old 22-05-2011, 07:51 AM   #26
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हैदराबाद का विलय (1948)
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Old 22-05-2011, 07:51 AM   #27
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भारत के विभाजन के उपरान्त राजसी राज्य हैदराबाद जो की निजा़म द्वारा साशित था ने स्वतन्त्र राज्य के तौर रहना पसन्द किया। निजा़म ने हैदराबाद को भारत में मिलाने पर अपनी आपत्ती दर्ज करवाई। भारत सरकार और हैदराबाद के निजा़म के बीच पैदा हुई अनिर्णायक स्थिती को समाप्त करने हेतु भारत के उप-प्रधानमन्त्री सरदार बल्लभ भाई पटेल द्वारा १२ सितम्बर १९४८ को भारतीय टुकड़ियों को हैदराबाद की सुरक्षा करने का आदेश दिया। ५ दिनों की गहन लड़ाई के बाद वायू सेना के समर्थन से भारतीय सेना ने हैदराबाद की सेना को परास्त कर दिया। उसी दिन हैदराबाद को भारत गणराज्य का भाग घोषित कर दिया गया। पोलो कार्यवाही के अगुआ मेजर जनरल जॉयन्तो नाथ चौधरी को कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिये हैदराबाद का सैन्य शाशक (१९४८-१९४९) घोषित किया गया।
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गोवा, दमन और दीव का विलय (१९६१)
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ब्रिटिश और फ्रान्स द्वारा अपने सभी औपनिवेशिक अधीकारों को समाप्त करने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप, गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन रहा। पुर्तगालियों द्वारा बारबार बातचीत को अस्वीकार कर देने पर नई दिल्ली द्वारा १२ दिसम्बर १९६१ को ऑपरेशन विजय की घोषणा की और अपनी सेना के एक छोटे से दल को पुर्तगाली क्षेत्रों पर आक्रमण करने के आदेश दिए। २६ घंटे चले युद्ध के बाद गोवा और दमन और दीव को सुरक्षित आजाद करा लिया गया और उनको भारत का अंग घोषित कर दिया गया।
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Old 22-05-2011, 07:52 AM   #30
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भारत-चीन युद्ध (१९६२)
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