13-11-2012, 05:53 AM | #1 |
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My name is Bond... James Bond
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13-11-2012, 06:07 AM | #2 |
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Re: My name is Bond... James Bond
दोस्तों, इस सूत्र में हम लोग जेम्स बांड की कहानिया, फिल्में और लगभग हर कुछ के बारे में और ज्यादा जानकारी इकट्टी करेंगे और आपस में शेयर करेंगे।
जेम्स बांड आज एक मुहावरा है। जासूसी के असाधारण कारनामे करने वाले इस ब्रिटिश जासूस को दर्शकों का मनोरंजन करते हुए 50 वर्ष पिछले माह पूरे हो गए। और पिछले ही सप्ताह 23वीं बांड फिल्म ‘स्काईफॉल’ भी रिलीज हुई। जेम्स बॉन्ड का परिचय :: नाम: जेम्स बॉन्ड कोड: 007 काम: ब्रिटिश खुफिया एजेन्ट बॉस: ट बॉस की सेक्रेटरी और बॉन्ड की मित्र: मनीपैनी गैजेट्स: घड़ी, अंगूठी, बेल्ट, पेन, जूते, कैमरे और ब्रीफकेस में फिट होने वाले खतरनाक हथियार गैजेट्स वैज्ञानिक: डॉ. द पसंदीदा कार: बीएमडब्ल्यू और ऑस्टिन मॉर्टिन पसंदीदा शराब: मार्टिनि दुश्मन: विश्वभर में फैले हैं मिशन: देश को आतंकवाद और ड्रग्स तथा हथियारों के सौदागरों से मुक्ति दिलाना साथ ही रू का हर टेढ़ा काम सुलझाना शौक: खतरों से खेलना और दिलकश लड़कियों के करीब रहना
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13-11-2012, 06:12 AM | #3 |
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Re: My name is Bond... James Bond
पचास वर्ष पूर्व यानी 5 अक्तूबर 1962 को रिलीज फिल्म ‘डॉ. नो’ में स्यां कॉनेरी के कहे शब्द- ‘नाम है बांड, जेम्स बांड’ सुनाई पड़े थे तो उसी समय दर्शक और समीक्षक समझ गए थे कि सुनहरे पर्दे पर एक ऐसे किरदार का जन्म हुआ है जो सिनेमाई इतिहास में अमर हो जाएगा। फिर भी किसी को यह अंदाजा नहीं था कि जेम्स बांड की फिल्मों की श्रृंखला फिल्म इतिहास की सबसे सफल फ्रेंचाइज के तौर पर सामने आएगी। फिल्म इतिहास में हालांकि जेम्स बांड से पहले और बाद में अनेक फिल्म फ्रेंचाइज रही हैं, जिन्हें सफलता मिली, लेकिन जेम्स बांड आज लगभग एक मुहावरेनुमा किरदार हो चुका है। आज तक आठ अभिनेता जेम्स बांड का किरदार फिल्मों और टीवी पर खेल कर अपने करियर में सफलता की ऊंचाइयां चुके हैं और इस श्रृंखला की तेईसवीं फिल्म ‘स्काईफॉल’ हाल में रिलीज हो चुकी है और जैसी कि उम्मीद थी, ताबड़तोड़ व्यवसाय कर रही है। तो आखिर क्या है जेम्स बांड की अभूतपूर्व सफलता का रहस्य?
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13-11-2012, 06:15 AM | #4 |
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Re: My name is Bond... James Bond
विश्व फिल्म इतिहास में अनेक चरित्रों और श्रृंखलाओं को सफलताएं मिलीं। जेम्स बांड के बरक्स हम ‘स्टार वॉर्स’, ‘इंडियाना जोन्स’, ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’, ‘शेरलॉक होम्स’ जैसी अनेक धारावाहिक फिल्मों को रख सकते हैं, जिन्होंने संभवत: जेम्स बांड की फिल्मों से भी अधिक पैसा कमाया, लेकिन जेम्स बांड आज एक किंवदंती है। बेशक शेरलॉक होम्स भी एक जासूस चरित्र है और अब तक विश्व सिने और नाटय़ इतिहास में सबसे अधिक खेला गया है, लेकिन वह भी जेम्स बांड की प्रसिद्धि के मुकाबले उन्नीस ही नजर आता है। दरअसल, जेम्स बांड के रचयिता इयान फ्लेमिंग खुद द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटिश इंटेलिजेंस के एक जासूस रहे थे। युद्ध के दौरान उन्होंने इंटेलिजेंस के लिए अनेक जरूरी कार्य किए थे और यही अनुभव बाद में उनके उपन्यासों में काम आया था। उन्होंने अपने युद्ध अनुभवों का समूचा निचोड़ और उस समय सक्रिय अपने कमांडो मित्रों की कई चारित्रिक विशेषताओं का जेम्स बांड के चरित्र में समावेश किया। चूंकि जेम्स बांड की फिल्में पूरी तरह से व्यावसायिक नजरिए से बनाई गई थीं, इसलिए उनमें तमाम ‘कमर्शियल मसालों’ को भी मिलाया गया था। अपनी खुफिया एजेंसी में 007 नामक कोडनेम से जाना जाने वाला एक युवा और बलिष्ठ जासूस जो दुश्मन के किले में सेंध मारने के लिए राह में आने वाले हरेक व्यक्ति और वस्तु का इस्तेमाल करता है और उसे इस बात का जरा सा भी अफसोस नहीं रहता कि उसके अभियान में कितने लोगों की जानें गईं या कितने माल-असबाब का नुकसान हुआ। उसका लक्ष्य है अपने देश और दुनिया के दुश्मनों की जान लेना या चोरी गए किसी कीमती फॉर्मूले को वापस लेकर आना! इस कारण जेम्स बांड के उपन्यासों और फिल्मों के कथानक में हिंसा, सेक्स, कार रेस, उच्चवर्गीय दावतों, क्लबों और होटलों की रंगीनियों, शराब की बहती नदियों, जरूरत के वक्त जान देने वाले दोस्तों और जान लेने वाले दुश्मनों के साथ-साथ खुद कद्दावर जेम्स बांड के शारीरिक और दिमागी करतबों की भरमार रहती है। चूंकि यह सब परिस्थितियां हमारे रोजमर्रा के जीवन में कुछ हद तक देखी-सुनी जाती हैं, इसलिए देखने में किसी दूसरी दुनिया का लगने वाला जेम्स बांड दर्शकों को उनके ही आसपास का कोई किरदार लगता रहा है।
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13-11-2012, 06:16 AM | #5 |
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Re: My name is Bond... James Bond
इसके अलावा, इयान फ्लेमिंग ने अपने कुछ पुराने मित्रों के रंगरूप को भी जेम्स बांड के चरित्र का आधार बनाया था। जेम्स बांड नाम भी उन्होंने अपने एक मित्र के नाम पर रखा था जो एक पक्षी विशेषज्ञ थे। जेम्स बांड के शुरुआती उपन्यासों के रचनाकाल (1950-60 के दशक) के दौरान इंग्लैंड के कई उपनिवेश थे और शीतयुद्ध भी जोरों पर था। इस संघर्ष में जेम्स बांड की भूमिका अमेरिकी और ब्रिटिश पूंजीवादी धड़े के एक योद्धा की होती है, जो वामपंथी देशों के खिलाफ भी सक्रिय रहता है। इस दौड़भाग में वह पूरी दुनिया घूमता है और अनेक लोगों से दोस्ती भी करता है। फ्लेमिंग ने जेम्स बांड को दोस्तों का दोस्त और दुश्मनों का दुश्मन वाली छवि दी है। उदाहरण के तौर पर अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए में काम करने वाला उसका एक दोस्त फीलिक्स, जो वक्त जरूरत उसके काम आता है।
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13-11-2012, 06:18 AM | #6 |
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Re: My name is Bond... James Bond
जिन अभिनेताओं ने आज तक जेम्स बांड का चरित्र पर्दे पर खेला है, उनमें स्यां कॉनेरी के अलावा जॉर्ज लेजेन्बी, रॉजर मूर, टिम्थी डॉल्टन, पियर्स ब्रॉसनन और मौजूदा बांड डेनियल क्रेग उल्लेखनीय रहे हैं। लंबे, छरहरे और मजबूत काठी वाले जेम्स बांड के लिए विशेष चेहरे-मोहरे वाले अभिनेता की जरूरत होती थी। अल्बर्ट आर. ब्रोकोली और हैरी साल्ट्जमैन नामक फिल्म निर्माताओं के लिए 1962 में एक नए अभिनेता और लीक से हटकर प्लॉट पर पहली जेम्स बांड फिल्म बनाना जुए की एक बड़ी बाजी खेलने से कम नहीं था, लेकिन ‘डॉ. नो’ की सफलता के बाद खुद इयान फ्लेमिंग ने जेम्स बांड के चरित्र में हास्य के पुट भी डाले, जो पहले बांड की कहानियों में नहीं दिखाए गए थे। तो कहना गलत न होगा कि जेम्स बांड की पहली फिल्म की ही सफलता ने उसके रचयिता को बाद की कहानियों में कुछ बदलाव करने पर मजबूर किया था। इयान फ्लेमिंग की 1964 में मृत्यु के बाद उनके शेष उपन्यासों पर बनी फिल्मों की पटकथाओं में बांड को अन्य खूबियों के साथ एक मजाहिया व्यक्ति के तौर पर भी याद किया जा सकता है। उसकी यही खूबी उसे अपनी महिला मित्रों के साथ मनोरंजन के पलों में भी उसकी सहायक साबित होती है।
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13-11-2012, 06:19 AM | #7 |
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Re: My name is Bond... James Bond
भारत के साथ भी जेम्स बांड का पुराना रिश्ता रहा है। 1983 की फिल्म ‘ऑक्टोपसी’ की अधिकांश शूटिंग भारत में ही हुई थी। इसे बांड फिल्मों का वैश्विक असर ही कहेंगे कि उदयपुर के एक होटल के जिस कमरे को फिल्म में रखा गया था, उसका नाम ही आज ‘जेम्स बांड सुईट’ है। उनमें इस्तेमाल कारें और अन्य उपकरण अक्सर ‘सॉदबी’ में नीलाम किए जाते हैं। फिल्म माध्यम की सशक्तता का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता कि उसके चरित्र तो दुनिया भर में पसंद किए ही जाएं, बल्कि उसमें बोले गए संवाद भी देशकाल की सीमाएं लांघ जाएं। खलनायक के अड्डे में फंस चुका जेम्स बांड उससे जब सवाल पूछता है, ‘तुम क्या चाहते हो ?’ खलनायक जवाब देता है, ‘मैं चाहता हूं कि आप अब मर जाएं!!’ परंतु पिछले पचास वर्षो से तो जेम्स बांड से टकरा चुके तमाम खलनायकों की यह इच्छा अधूरी ही रही है, और इस बात की बहुत उम्मीद है कि भविष्य में भी ऐसा ही होगा और बांड उसी अंदाज में अपना परिचय देता रहेगा।
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14-11-2012, 04:23 PM | #8 |
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Re: My name is Bond... James Bond
140 Greatest James Bond Quotes
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14-11-2012, 04:24 PM | #9 |
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Re: My name is Bond... James Bond
50 Years of James Bond: The Movie
Approximately five minutes from each of the 22 Eon produced James Bond films have been cut together, in order and in sequence, beginning with the first five minutes of DR. NO (1962) followed by minutes 5-10 of FROM RUSSIA WITH LOVE (1963), minutes 10-15 of GOLDFINGER (1964), minutes 15-20 of THUNDERBALL (1965), continuing on through each of the remaining 18 Bond features (accounting for variables in each title's running time) culminating with the final five minutes of 2008's QUANTUM OF SOLACE. This fresh look at the "James Bond Formula" provides a new exploration of the evolution of the series into a filmmaking genre uniquely its own. With few exceptions, each title's transition into the picture that follows it is nearly seamless, creating a viewing experience that at first might serve to remind us "if you've seen one Bond film, you've seen them all," but looking more closely it is in fact an endearing homage to a character who single-handedly shaped modern cinema's action/adventure formula and who continues to leave an indelible mark on generations worldwide.
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14-11-2012, 09:09 PM | #10 |
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Re: My name is Bond... James Bond
This video will tell more about James Bond and his history
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