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Old 17-12-2012, 05:02 PM   #1
Awara
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21/12/2012 क्या सही में दुनिया होगी खत्म? डर तो नहीं लग रहा, अपनी राय जरुर दे, तब तक मैं इन्टरनेट से कुछ और मसाला यहाँ पेस्ट कर दू।






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Last edited by Awara; 17-12-2012 at 05:16 PM.
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Old 17-12-2012, 05:07 PM   #2
Awara
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Default Re: 21/12/2012 क्या सही में दुनिया होगी खत्म?

नास्त्रेदमस फ्रांस के 16वीं (1503-1566) सदी के भविष्य वक्ता थे। नास्त्रेदमस केवल भविष्य वक्ता ही नहीं थे बल्कि डॉक्टर और शिक्षक भी थे। ये प्लेग जैसी बीमारियों का इलाज करते थे। इन्होंने ने अपनी कविताओं द्वारा भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन किया था।

पेश है उनकी कविता का एक अंश

सात दिन और सात रातों के लिए आदमी यह भयानक दृष्टि देखेंगे, ज्वार अपने केन से परे वृद्धि होगी दूर किनारे तो काटने और एक उग्र अजगर आकाश पार हो जाएगा, इस पृथ्वी से पहले छह बार मर जाएगा, मानवता और भयभीत हो काप इस भविष्यवाणी में छठे के लिए, महान सितारा सात दिनों के लिए जला देगा, बादल दो सूर्य प्रकट करने के लिए कारण होगा, बड़ा बड़ा कुत्ता चीख सारी रात महान पोप देश बदल जाएगा।

अधिकाश शैक्षणिक और वैज्ञानिक सूत्रों का कहना है कि दुनिया की घटनाओं और नास्त्रेदमस के शब्दों के बीच दिखाए गए संबंध काफी हद तक गलत व्याख्याओं या गलत अनुवाद का परिणाम है या फिर इतने कमजोर हैं कि उन्हें वास्तविक भविष्य बताने की शक्ति के साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना बेकार है। हालांकि बीसवीं और इक्कीस वीं शताब्दी में नास्त्रेदमस की कथित भविष्यवाणियां आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गईं हैं और दुनिया में हुईं कई घटनाओं की भविष्यवाणी का श्रेय उन्हें दिया गया।

भविष्य की बातों को हजारों साल पहले घोषणा करने के लिए मशहूर मिशेल दी नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की थी कि इसी साल के 21 दिसंबर को दुनिया का अंत हो जाएगा।

प्रसिद्ध भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस की एक पहेली को भी 2012 के महाविनाश से जोड़कर देखा जा रहा है। तिब्बत के कुछ बौद्ध भिक्षुओं ने भी अपने भविष्य के आकलन में 2012 में किसी बड़ी अनहोनी घटने की आशका जताई है।

2012 और नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी

कुछ लोग मानते हैं कि 16वीं सदी के फ्रेंच भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस ने अपनी मशहूर किताब द प्रोफेसीज में भी 2012 में घटने वाली घटनाओं का ब्योरा अपने पहेलीनुमा पदों में दिया है।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के मुताबिक धनु राशि का तीर एक स्याह हलचल की ओर इशारा कर रहा है, विनाश की शुरुआत से पहले तीन ग्रहण पड़ेंगे और तब सूरज और धरती पर तीव्र भूकंप आएंगे। उनका कहना है कि जैसे-जैसे हम 2012 के करीब पहुंचते जाएंगे आपदाएं भी बढ़ने लगेंगी।

सूरज पर भूकंप से विकिरण के तीव्र तूफान उठेंगे जो धरती को इस कदर गरमा देंगे कि ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने लगेगी। जब ऐसा होगा तब धरती के ध्रुव भी बदल जाएंगे। कुंभ राशि के युग की शुरुआत में आसमान से एक बड़ी आफत धरती पर आ टूटेगी। धरती का ज्यादातर हिस्सा प्रलयकारी बाढ़ की चपेट में आ जाएगा और तब जान और माल की भारी क्षति होगी।
हैरानी की बात ये है कि नास्त्रेदमस ने कुंभ राशि के जिस युग की शुरुआत की बात की है वो वक्त है 21 दिसंबर 2012 के बाद का ही है।

हाल में घटी कई ऐसी घटनाएं हैं लोग जिनके सूत्र 500 साल पहले की गई नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों में खोज सकते हैं। लेकिन साथ ही कई ऐसी बातें भी हैं जो नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को गलत भी साबित करती हैं। मिसाल के तौर पर सूरज पर भूकंप नहीं आ सकता, इस आपदा के लिए पथरीली जमीन का होना जरूरी है जो सूरज पर नहीं है। हा, सौर विकिरण के तूफान जरूर कहर बरपाते हैं लेकिन छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो अबतक सौर विकिरण की कोई ऐसी घटना नहीं हुई जिससे पूरी दुनिया एकसाथ प्रभावित हो जाए। रही बात आसमानी आफत टूटने की तो धरती पर किसी उल्का के आ गिरने की आशका हमेशा से रही है।

लेकिन इस खतरे की निगरानी और बचाव दोनों पर हमारा ध्यान है। नासा का नियर अर्थ ऑब्जेक्ट प्रोग्राम और यूरोपियन स्पेस एजेंसी लगातार ऐसी उल्काओं की निगरानी में जुटे हैं जिनसे धरती को खतरा हो सकता है।

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणिया पहेलीनुमा हैं, जिससे हर कोई अपने-अपने अर्थ निकाल सकता है। जेनेवा में मौजूद सेर्न प्रयोगशाला में ब्रह्माड के राज जानने में जुटी भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे वैज्ञानिक प्रो. वाई पी वियोगी कहते हैं अमेरिकी लोगों को कुछ ज्यादा ही डर लगता है। इसलिए वो हमारी दुनिया को नए-नए खतरों की आशकाएं जाहिर करते रहते हैं।

जन्म और मृत्यु जीवन का सत्य है, उसी प्रकार आशा और आशका हमारे मन मस्तिष्क के सत्य हैं। जिस तरह गर्भ में एक नन्हीं सी जान के आते ही नौ महीने हमारे अंदर आशा का संचार होता रहता है,वैसे ही किसी बीमारी या अन्य किसी परिस्थिति में बुरी आशका भी हमारा पीछा नहीं छोड़ती हैं। मन मस्तिष्क में आशा के संचार के लिए हमारे सामने उतने बहाने नहीं होते, पर आशका के लिए हम पुख्ता सबूत तक जुटा लेते हैं। समय से यह बहस का विषय बन गया है कि क्या 21 या 23 दिसम्बर, 2012 को दुनिया समाप्त हो जायेगी। पृथ्वी की आयु समाप्त हो जायेगी? क्या प्रलय आएगा? इस पर भिन्न-भिन्न मत हैं। माइकल दी नास्त्रेदमस (1503-1566) की भविष्यवाणी के चलते इस बात पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

नास्त्रेदमस ने कहा कि सूर्य 2012 में अपने मूल पथ से विचलित होकर 300 ऊपर आकाश गंगा के दक्षिण स्थित मृत्यु राशि-डार्क रिफ्ट (काला घेरा) को स्पर्श करेगा और पुन अपनी मूल राशि में नहीं लौटेगा। इससे सृष्टि विनाश की आशका है, क्योंकि यह एक अनहोनी घटना होगी।

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के अनुसार नास्त्रेदमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मैं देख रहा हूं कि आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है जो धरती से मानव की विलुप्ति का कारण बन सकता है। ऐसा कब होगा इसके बारे में स्पष्ट नहीं, लेकिन ज्यादातर जानकार 2012 को ऐसा होने की घोषणा करते हैं।

ऐसा तब होगा जबकि तृतीय विश्व युद्ध चल रहा होगा तब आकाश से एक उल्का पिंड हिंद महासागर में गिरेगा और समुद्र का सारा पानी धरती पर फैल जाएगा जिसके कारण धरती के अधिकाश राष्ट्र डूब जाएंगे या यह भी हो सकता है कि इस भयानक टक्कर के कारण धरती अपनी धूरी से ही हट जाए और अंधकार में समा जाए। 21 दिसम्बर 2012 यही वह दिन है, जिसके बारे में भयानक प्राकृतिक आपदा के उपस्थित होने की आशका बन रही है।

नास्त्रेदम की भविष्यवाणी को सुलझाने का दावा करने वाले लोग भी 21 दिसंबर, 2012 की तारीख को महत्वपूर्ण मानते हैं, परन्तु पृथ्वी की आयु इतनी अधिक है कि इस दिन पृथ्वी के नष्ट हो जाने या प्रलय आ जाने की कोई भी संभावना नहीं है।
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Old 17-12-2012, 05:40 PM   #3
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Default Re: 21/12/2012 क्या सही में दुनिया होगी खत्म?

फालतू बातो पर भरोशा नहीं करना चाहिए . अपने भगवान पर विश्वाश कीजिए . अभी इस दुनिया के हालात इतने खराव नहीं हुए है की बनाने बाला अपनी रचना को नष्ट कर दे .
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Old 17-12-2012, 07:12 PM   #4
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Default Re: 21/12/2012 क्या सही में दुनिया होगी खत्म?

भविष्यवानियाँ तो की ही इसलिए जाती है की कुछ लोग डरे और नया रोमांच भी पैदा होता रहे !
आज तक किस भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी सच साबित हुई है !
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Old 18-12-2012, 07:15 AM   #5
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मुझे तो नहीं लगता कुछ ऐसा वैसा होने वाला, मगर उत्सुकता तो रहेगी ही।
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Old 18-12-2012, 12:01 PM   #6
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Default Re: 21/12/2012 क्या सही में दुनिया होगी खत्म?

भारत में तो मैंने इतना नहीं देखा । पर 2012 को लेकर अमेरिका आदि कुछ विकसित देशों मे हल्ला मचा हुआ है । हाल ही में हुये मेरे एक परिचित स्नेहीजन त्रयम्बक उपाध्याय साफ़्टवेयर इंजीनियर ने अमेरिका ( से ) में 2012 को लेकर मची खलबली के बारे में बताया । उन्होनें इस सम्बन्ध में मेरे एक अन्य मित्र श्री विनोद दीक्षित द्वारा लिखी पोस्ट end of the world.. 2012 को भी पढा था । इस तरह की बातों में मेरा नजरिया थोङा अलग रहता है । मेरे द्रष्टिकोण के हिसाब से यह पोस्ट भ्रामक थी । लिहाजा इस ज्वलन्त मुद्दे को लेकर मेरे पास जब अधिक फ़ोन आने लगे ।तो मैंने वह पोस्ट ही हटा दी । पहले तो मेरे अनुसार यह उस तरह सच नहीं है । जैसा कि लोग या विनोद जी कह रहे हैं । दूसरे यदि इसमें कुछ सच्चाई है भी तो " डाक्टर भी मरणासन्न मरीज से ये कभी नहीं कहता कि तुम कुछ ही देर ( या दिनों ) के मेहमान हो " यदि हमारे पास किसी चीज का उपाय नहीं है । तो " कल " की चिन्ता में " आज "को क्यों खराब करें । यदि प्रलय होगी भी । तो होगी ही । उसको कौन रोक सकता है । जब हम " लैला " सुनामी " हैती " के आगे हाथ जोङ देते है । तो प्रलय तो बहुत बङी " चीज " है ।
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Old 18-12-2012, 12:03 PM   #7
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हाँ इस या इन आपदाओं से बचने के उपाय अवश्य है । और वे किसी को भी सहर्ष बताये जा सकते हैं । पर यदि कोई माने तो ? क्योंकि जगत एक अग्यात नशे में चूर है । " झूठे सुख से सुखी हैं , मानत है मन मोद । जगत चबेना काल का कछू मुख में कछु गोद । " जीव वैसे ही काल के गाल में है । उसकी कौन सी उसे परवाह है । तो खबर नहीं पल की और बात करे कल की । वाला रवैया चारों तरफ़ नजर आता है । खैर..जगत व्यवहार और विचार से साधुओं को अधिक मतलब नहीं होता । फ़िर भी एक अति आग्रह रूपी दबाब में जब बार बार ये प्रश्न मुझसे किया गया । तो मुझे संकेत में इसका जबाब देना पङा ।
ये जबाब मैंने " श्री महाराज जी " और कुछ गुप्त संतो से प्राप्त किया था । अलौकिकता के " ग्यान काण्ड " और " बिग्यान काण्ड " में जिन साधुओं या साधकों की पहुँच होती है । वे इस चीज को देख सकते हैं । 2012 में प्रलय की वास्तविकता क्या है । आइये इसको जानें ।
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Old 18-12-2012, 12:08 PM   #8
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जी हां वह दिन अब दूर नहीं जिसे तथाकथित जानकारों ने प्रलय का दिन घोषित कर रखा है। साथ ही माया सभ्यता केलेण्डर के अनुसार तो 21 दिसंबर 2012 को सृष्टि के अंतिम दिन की तारीख भी तय कर दी है। कुछ समाचार चैनल्स ने इसे महाप्रलय का नाम दे डाला है। हालांकि प्रलय शब्द ही अपने आपमें पर्याप्त है फिर महाप्रलय कहने की आवश्यकता नहीं थी। प्रलय संस्कृत का शब्द है। ‘लय’ में ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर इस शब्द की व्युत्पत्ति हुई है। प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपनेमूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना, सृष्टि का सर्वनाश, सृष्टि का जलमग्नहो जाना। हिन्दू दर्शन तथा आध्यात्मिक चिन्तन के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तब प्रलय होती है। अर्थात हर चार युग पूरे होने के बाद प्रलय की घटना निरन्तर होती रहती है। हिंदू मान्ताओं के अनुसार इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुनः निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है। कलियुग उन चारों युगों मे से अंतिम युग है अत: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस युग के बाद प्रलय होनी है लेकिन धर्मग्रन्थ भविष्योक्त पुराण के अनुसार कलियुग 4,32,000 वर्षों का है लेकिन कलियुग की शुरुआत हुए अभी 6000 वर्ष भी नहीं हुए है और ऐसे में प्रलय का आ जाना धर्म सम्मत तो कदापि नहीं है। लेकिन जिस तरह से यह विषय पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है उसे देखते हुए इसे शिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। जहां धुंआ उठ रहा हो वहां आग तो होती है, हां आग कितनी मात्रा में है यह जानना जरूरी है।


एक विदेशी वैज्ञानिक के अनुसार तो प्रत्येक 11 वर्षों में एक बार मौत का मौसम आता है। सूर्य पर हर 11 साल में सोलर गतिविधिया तेज होने लगाती हैं। जिसके कारण उसके बाहरी आवरण में, आतंरिक विस्फोटो के कारण बदलाव होने लगता हैं। सूर्य पर होने वाले विस्फोट इतने विशाल होते हैं की उनका परिणाम हमारे पृथ्वी पर भी देखने को मिलते हैं। सन 1859 में भी इसी प्रकार के "सोलर तूफ़ान" धरती पर आए थे। उस समय अमेरिका ओर यूरोप में आग लगने की घटनाये हुई थी। वहां टेलीग्राफ की तारे जल गयी थीं। 11 वर्ष पहले 2001 में कई मौते हुई थी। 2012 में भी मौत का मौसम आयेगा। चलिए इन वैज्ञानिक महोदय की बात मान भी ली जाय तो इस तथ्य में ध्यान देने वाली बात यह हैं की ऐसा हमारे भारत में कही भी देखने को नहीं मिला है।

क्या इस बार ऐसा हो सकता है? यह सवाल हम सबसे मन में आना स्वाभाविक है। आइए जानते हैं इस बारे में ज्योतिष का क्या नजरिया है? 21 दिसंबर 2012 के दिन महाप्रलय होने की बात कही जा रही है। आइए सबसे पहले हम वर्ष या सम्वत्सर के फल के बारे में जानते हैं। इस समय विश्वावसु नामक सम्वत्सर रहेगा। इसके फल कुछ इस प्रकार कहे गए है कि इस सम्वत्सर में भूमि पर बहुत रोग फैलता है और मनुष्य अपने कार्यों को करने में समर्थ नहीं होते। 21 दिसंबर 2012 को हिन्दी महीना मार्गशीर्ष रहेगा। जिसका नामकरण मृगशिरा नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। विनाश या जनहानि में मंगल की अहं भूमिका रहती है। 21 दिसंबर 2012 के दिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि होगी। इस तिथि की देवी दुर्गा जी मानी गई हैं। जो दुष्टो की संहारिका मानी गई हैं लेकिन सदाचरियों की रक्षा करती हैं।

आइए उस दिन के ग्रह गोचर पर विचार कर लिया जाय- 21 दिसंबर 2012 के दिन सूर्योदय सुबह ७:१४ पर हो रहा है। उस समय धनु लग्न उदित है। लग्नेश बृहस्पति छठे भाव में केतू के साथ है, सूर्य लग्न पर, मंगल दूसरे, चन्द्रमा चौथे, शनि ग्यारहवें और बुध, शुक्र, राहू बारहवें भाव में स्थित हैं। चन्द्रमा शनि नक्षत्र में है और शनि राहू के नक्षत्र में होकर उस दिन चन्द्रमा से अष्टम हैं। यानी यह दिन लोगों में भय व्याप्त करने वाला रहेगा। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि जिस तरह इतने दिनों से इस बात को इस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है उस कारण से लोग उस दिन भयभीत रहें। इस समय गुरु-शुक्र का सम सप्तक योग रहेगा जो राजनीति के स्तर में गिरावट, इस समय होने वाले चुनावों में सत्ता पक्ष को लाभ लेकिन किसी बडे राजनेता को कष्ट का संकेतक है।

दिसंबर 2012 में 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 सोमवार एक साथ पड़ रहे हैं। शनिवार शनि ग्रह का दिन है, वहीं रविवार सूर्य का दिन है जबकि सोमवार चन्द्रमा का दिन माना गया है। इस प्रकार सूर्य और चन्द्रमा पर शनि का प्रभाव रहेगा। शनि और सूर्य स्वभाव से उग्र ग्रह हैं। शनि पर सूर्य का प्रभाव धरती के लिए अच्छा नहीं माना गया है वहीं सूर्य पर शनि के प्रभाव के कारण राजनैतिक उठापटक तेज हो सकती है जबकि चन्द्रमा के पीडित होने की अवस्था में समुद्री या जलीय माध्यमों से हानि सम्भव है। इनके आपसी प्रभाव के कारण जनता को कष्ट और महंगाई सम्भव है। इस महीन एक पंचग्रही दुर्योग भी बन रहा है। यह पंचग्रही योग 11 दिसंबर की शाम से बनेगा और 13 दिसंबर की शाम तक रहेगा। इसके बाद चतुर्ग्रही योग रहेगा जो 15 दिसम्बर की रात तक रहेगा। फलस्वरूप ठंड बढेगी और फसलों को कुछ हद तक नुकसान हो सकता है। हांलाकि इन योगों योगों पर बृहस्पति की दृष्टि रहेगी जो इस बात का संकेत कर रही है कि दुराचारियों, अत्याचारियों, दूसरों को परेशान करने वाले, दूसरों का हक मारने वाले एवं आतंकवादियों के लिए समय कष्टकारी हो सकता है वहीं धार्मिक लोगों, गुरुओं, ज्ञानियों व कलाकारों के लिए समय अच्छा रहेगा। लेकिन 23 दिसम्बर को शनि और राहू की युति होने जा रही है जो किसी उत्पात की ओर संकेत कर रही है।

यदि अंक ज्योतिष के अनुसार देखें तो 21-12-12 अर्थात 3-3-3 यानी कि तीन बृहस्पति के अंक मिल रहे हैं इनका योग 9 आ रहा है जो बुद्धिजीवी वर्ग में आक्रोश का संकेत तो कर रहा है लेकिन किसी भी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है। यदि हम 21-12-2012 को लेकर विचार करते हैं तो 3-3-5 आता है जिसका योग 11 यानी 2 होता है यह भी किसी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है।

कुल मिलाकर परिणाम यही निकलता है कि 21 दिसम्बर 2012 को अथवा उसके आसपास के दिनों में कुछ अप्रिय होने के संकेत तो मिल रहे हैं लेकिन प्रलय या महाप्रलय जैसी घटना नहीं होगी।
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Old 18-12-2012, 12:37 PM   #9
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महाभारत

महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सबकुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।
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Old 18-12-2012, 12:38 PM   #10
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बाइबिल

इस ग्रंथ में भी प्रलय का उल्लेख है जब ईश्वर, नोहा से कहते हैं कि महाप्रलय आने वाला है। तुम एक बड़ी नौका तैयार करो, इसमें अपने परिवार, सभी जाति के दो-दो जीवों को लेकर बैठ जाओ, सारी धरती जलमग्र होने वाली है।
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