03-02-2015, 09:53 PM | #11 |
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Re: Muhobbat
बाइस साल की उम्र में प्रभा खेतान का पेशे से चिकित्सक और उम्र में अठारह साल बड़े डाॅक्टर सर्राफ से जो रिश्ता बना, उसे ‘प्रेम’ कहते हैं। निस्वार्थ, निश्छल प्रेम। जिन रूढ़ परम्परावादियों को इस आत्मकथा में वासना और व्यभिचार नज़र आता है उन्हें ‘प्रेम’ और ‘व्यभिचार’ शब्द का अर्थ समझ लेना चाहिए। मैत्रेयी पुष्पा ने लिखा है ‘‘मेरी दृष्टि में ‘प्रेम’ शब्द और ‘व्यभिचार’ शब्द को अलग-अलग देखा जाय तो दोनों एक-दूसरे के विपरीत आचरण में दिखते हैं। प्रेम जहाँ निश्छलता, विश्वास और ईमानदारी भरा लगाव है वहीं व्यभिचार कपट चोरी और बेईमानी है। लेकिन सामाजिक विडम्बना यह है कि अक्सर ही प्रेम को व्यभिचार से जोड़ दिया जाता है।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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