30-11-2010, 10:22 PM | #31 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
ये एक साफ सुथरा पारिवारिक फोरम है यहाँ पर अश्लीलता नही है रसरंग विभाग मे veg. चुटकुले के लिए सूत्र उपलब्ध है
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
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08-12-2010, 11:26 AM | #32 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
बीरबल ने पान वाले को चूना खाने के लिए कहा...
एक बार बादशाह अकबर को पान की तलब हुई। उन्होंने अपने एक ख़ास पान वाले को पान लगाने के लिए कहा। उसने पान बनाकर बादशाह को दे दिया। बादशाह ने चुपचाप पान खाया और उस पान वाले को अगले दिन आधा किलो चूना दरबार में लेकर आने को कहा। वह नहीं जानता था कि बादशाह ने उसे ऐसा क्यों कहा। वह चुपचाप चूना लेने बाज़ार चला गया। उसने दुकानदार से आधा किलो चूना मांगा। दुकानदार ने उससे पूछा कि इतना चूना क्यों खरीद रहे हो? उसने बताया कि किस तरह उसने बादशाह को पान दिया था। दुकानदार को समझते देर न लगी कि कुछ गड़बड़ है। उसने पान वाले को समझाया कि दरबार में चूना ले कर जाने से पहले बहुत सारा घी पीकर जाना। उसने सलाह मानकर वैसा ही किया और दरबार में जाने से पहले खूब सारा घी पी लिया। दरबार में पहुंचने पर बादशाह ने उसे सारा चूना खाने को कहा। वह हैरान रह गया। उसे उम्मीद न थी कि बादशाह ने उसे चूना इसलिए मंगवाया था। लेकिन, वह तो इसके लिए तैयार था। इसलिए, उसने सारा चूना खा लिया। इसके वाबजूद उसे कुछ नहीं हुआ तो बादशाह ने उससे कारण जानना चाहा। उसने अपनी और दुकानदार की बातचीत के बारे में बादशाह को बता दिया। अब बादशाह उस व्यक्ति से मिलने को उतावले हो रहे थे, जिसने उनके मन की बात को पहले ही जान लिया था। बादशाह ने हुक्म दिया कि उस दुकानदार को अगले दिन दरबार में हाज़िर किया जाए। अगले दिन उस दुकानदार को दरबार में लाया गया। बादशाह ने उससे पूछा कि वह उनके मन की बात को कैसे समझ गया। तब दुकानदार ने कहा, हुज़ूर जब यह आदमी मेरे पास चूना खरीदने आया था तो मैंने इससे पूछा कि इतने चूने का क्या करोगे? मुझे इसने बताया कि इसने आपको पान बनाकर खिलाया और फिर आपने उसे चूना लाने का हुक्म दिया। तब मुझे समझते देर न लगी कि ज़रूर ग़लती से इसने पान में चूना थोड़ा ज़्यादा लगा दिया होगा, जिसे बादशाह के मुंह में छाले हो गए होंगे और इसी का एहसास करवाने के लिया आपने इससे चूना मंगाया। मैंने इसे सलाह दी की दरबार में जाने से पहले घी पीकर जाना, जिससे अगर तुम्हें चूना खाना भी पड़े तो उसका असर कम हो जाएगा। यह दुकानदार और कोई नहीं बीरबल ही थे। |
11-01-2011, 08:20 AM | #33 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
अकबर-बीरबल और ऊँट की गर्दन
अकबर बीरबल की हाज़िर जवाबी के बडे कायल थे. एक दिन दरबार में खुश होकर उन्होंने बीरबल को कुछ पुरस्कार देने की घोषणा की. लेकिन बहुत दिन गुजरने के बाद भी बीरबल को धनराशि (पुरस्कार) प्राप्त नहीं हुई. बीरबल बडी ही उलझन में थे कि महारज को याद दिलायें तो कैसे? एक दिन महारजा अकबर यमुना नदी के किनारे शाम की सैर पर निकले. बीरबल उनके साथ था. अकबर ने वहाँ एक ऊँट को घुमते देखा. अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल बताओ, ऊँट की गर्दन मुडी क्यों होती है”? बीरबल ने सोचा महाराज को उनका वादा याद दिलाने का यह सही समय है. उन्होंने जवाब दिया – महाराज यह ऊँट किसी से वादा करके भूल गया है, जिसके कारण ऊँट की गर्दन मुड गयी है. महाराज, कहते हैं कि जो भी अपना वादा भूल जाता है तो भगवान उनकी गर्दन ऊँट की तरह मोड देता है. यह एक तरह की सजा है. तभी अकबर को ध्यान आता है कि वो भी तो बीरबल से किया अपना एक वादा भूल गये हैं. उन्होंने बीरबल से जल्दी से महल में चलने के लिये कहा. और महल में पहुँचते ही सबसे पहले बीरबल को पुरस्कार की धनराशी उसे सौंप दी, और बोले मेरी गर्दन तो ऊँट की तरह नहीं मुडेगी बीरबल. और यह कहकर अकबर अपनी हँसी नहीं रोक पाए. और इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से बिना माँगे अपना पुरस्कार राजा से प्राप्त किया. |
11-01-2011, 08:21 AM | #34 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
अब तो आन पड़ी है
अकबर बादशाह को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के सेठों से कहा-‘‘आज से तुम लोगों को पहरेदारी करनी पड़ेगी।’’ सुनकर सेठ घबरा गए और बीरबल के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी। बीरबल ने उन्हें हिम्मत बँधायी-‘‘तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पायजामों को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय में नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।’’ उधर बादशाह भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। सेठों का यह निराला स्वांग देखकर बादशाह पहले तो हँसे, फिर बोले-‘‘यह सब क्या है ?’’ सेठों के मुखिया ने कहा-‘‘जहाँपनाह, हम सेठ जन्म से गुड़ और तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया कहकर क्यों पुकारते ?’’ बादशाह अकबर बीरबल की चाल समझ गए और अपना हुक्म वापस ले लिया। |
11-01-2011, 08:22 AM | #35 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
जल्दी बुलाकर लाओ
बादशाह अकबर एक सुबह उठते ही अपनी दाढ़ी खुजलाते हुए बोले, ‘‘अरे, कोई है ?’’ तुरन्त एक सेवक हाजिर हुआ। उसे देखते ही बादशाह बोले-‘‘जाओ, जल्दी बुलाकर लाओ, फौरन हाजिर करो।’’ सेवक की समझ में कुछ नहीं आया कि किसे बुलाकर लाए, किसे हाजिर करें ? बादशाह से पटलकर सवाल करने की तो उसकी हिम्मत ही नहीं थी। उस सेवक ने यह बात दूसरे सेवक को बताई। दूसरे ने तीसरे को और तीसरे ने चौथे को। इस तरह सभी सेवक इस बात को जान गए और सभी उलझन में पड़ गए कि किसे बुलाकर लाए, किसे हाजिर करें। बीरबल सुबह घूमने निकले थे। उन्होंने बादशाह के निजी सेवकों को भाग-दौड़ करते देखा तो समझ गए कि जरूर बादशाह ने कोई अनोखा काम बता दिया होगा, जो इनकी समझ से बाहर है। उन्होंने एक सेवक को बुलाकर पूछा, ‘‘क्या बात है ? यह भाग-दौड़ किसलिए हो रही है ?’’ सेवक ने बीरबल को सारी बात बताई, ‘‘महाराज हमारी रक्षा करें। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि किसे बुलाना है। अगर जल्दी बुलाकर नहीं ले गए, तो हम पर आफत आ जाएगी।’’ बीरबल ने पूछा, ‘‘यह बताओ कि हुक्म देते समय बादशाह क्या कर रहे थे ?’’ बादशाह के निजी सेवक, जिसे हुक्म मिला था, उसे बीरबल के सामने हाजिर किया तो उसने बताय-‘‘जिस समय मुझे तलब किया उस समय तो बिस्तर पर बैठे अपनी दाढ़ी खुजला रहे थे।’’ बीरबल तुरन्त सारी बात समझ गए और उनके होंठों पर मुस्कान उभर आई। फिर उन्होंने उस सेवक से कहा-‘‘तुम हाजाम को ले जाओ।’’ |
11-01-2011, 08:23 AM | #36 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
सेवक हज्जाम को बुला लाया और उसे बादशाह के सामने हाजिर कर दिया। बादशाह सोचने लगे, ‘‘मैने इससे यह तो बताया ही नहीं था कि किसे बुलाकर लाना है। फिर यह हज्जाम को लेकर कैसे हाजिर हो गया ?’’ बादशाह ने सेवक से पूछा, ‘‘सच बताओ। हज्जाम को तुम अपने मन से ले आए हो या किसी ने उसे ले आने का सुझाव दिया था ?’’
सेवक घबरा गया, लेकिन बताए बिना भी तो छुटकारा नहीं था। बोला, ‘‘बीरबल ने सुझाव दिया था, जहांपनाह !’’ बादशाह बीरबल की बुद्धि पर खुश हो गया। |
11-01-2011, 08:24 AM | #37 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
जोरू का गुलाम
बादशाह अकबर और बीरबल बातें कर रहे थे। बात मियां-बीवी के रिश्ते पर चल निकली तो बीरबल ने कहा—‘‘अधिकतर मर्द जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी बीवी से डरते हैं।’’ ‘‘मैं नहीं मानता।’’ बादशाह ने कहा। ‘‘हुजूर, मैं सिद्ध कर सकता हूं।’’ बीरबल ने कहा। ‘‘सिद्ध करो ?’’ ‘‘ठीक है, आप आज ही से आदेश जारी करें कि किसी के भी अपने बीवी से डरने की बात साबित हो जाती है तो उसे एक मुर्गा दरबार में बीरबल के पास में जमा करना होगा।’’ बादशाह ने आदेश जारी कर दिया। कुछ ही दिनों में बीरबल के पास ढेरों मुर्गे जमा हो गए, तब उसने बादशाह से कहा—‘‘हुजूर, अब तो इतने मुर्गे जमा हो गए हैं कि आप मुर्गीखाना खोल सकते हैं। अतः अपना आदेश वापस ले लें।’’ |
11-01-2011, 08:24 AM | #38 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
बादशाह को न जाने क्या मजाक सूझा कि उन्होंने अपना आदेश वापस लेने से इंकार कर दिया। खीजकर बीरबल लौट गया। अगले दिन बीरबल दरबार में आया तो बादशाह अकबर से बोला—हुजूर, विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि पड़ोसी राजा की पुत्री बेहद खूबसूरत है, आप कहें तो आपके विवाह का प्रस्ताव भेजूं ?’’
‘‘यह क्या कह रहे हो तुम, कुछ तो सोचो, जनानाखाने में पहले ही दो हैं, अगर उन्होंने सुन लिया तो मेरी खैर नहीं।’’ बादशाह ने कहा। ‘‘हुजूर, दो मुर्गे आप भी दे दें।’’ बीरबल ने कहा। बीरबल की बात सुनकर बादशाह झेंप गए। उन्होंने तुरंत अपना आदेश वापस ले लिया। |
11-01-2011, 08:25 AM | #39 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
टेढा सवाल
एक दिन अकबर और बीरबल वन-विहार के लिए गए। एक टेढे पेड की ओर इशारा करके अकबर ने बीरबल से पूछा “यह दरख्त टेढा क्यों हैं ? बीरबल ने जवाब दिया “यह इस लिए टेढा हैं क्योंकि ये जंगल के तमाम दरख्तो का साला हैं। बादशाह ने पूछा तुम ऐसा कैसे कह सकते हो? बीरबल ने कहा दुनिया में ये बात मशहुर हैं कि कुत्ते की दुम और साले हमेशा टेढे होते हैं। अकबर ने पूछा क्या मेरा साला भी टेढा है? बीरबल ने फौरन कहा बेशक जहांपनाह! अकबर ने कहा फिर मेरे टेढे साले को फांसी चढा दो! एक दिन बीरबल ने फांसी लगाने की तीन तक्ते बनवाए ” एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का।” उन्हें देखकर अकबर ने पूछा- तीन तख्ते किसलिए? बीरबल ने कहा “गरीबनवाज, सोने का आपके लिए, चांदी का मेरे लिए और लोहे का तख्ता सरकारी साले साहब के लिए। अकबर ने अचरज से पूछा मुझे और तुम्हे फांसी किसलिए? बीरबल ने कहा “क्यों नहीं जहांपनाह आखिर हम भी तो किसी के साले हैं। बादशाह अकबर हंस पडे, सरकारी साले साहब के जान में जान आई। वह बाइज्जत बरी हो गया। |
11-01-2011, 08:26 AM | #40 |
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Re: अकबर और बीरबल की कहानी
तीन सवाल
महाराजा अकबर, बीरबल की हाज़िरजवाबी के बडे कायल थे. उनकी इस बात से दरबार के अन्य मंत्री मन ही मन बहुत जलते थे. उनमें से एक मंत्री, जो महामंत्री का पद पाने का लोभी था, ने मन ही मन एक योजना बनायी. उसे मालूम था कि जब तक बीरबल दरबार में मुख्य सलाहकार के रूप में है उसकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती. एक दिन दरबार में अकबर ने बीरबल की हाज़िरजवाबी की बहुत प्रशंसा की. यह सब सुनकर उस मंत्री को बहुत गुस्सा आया. उसने महाराज से कहा कि यदि बीरबल मेरे तीन सवालों का उत्तर सही-सही दे देता है तो मैं उसकी बुद्धिमता को स्वीकार कर लुंगा और यदि नहीं तो इससे यह सिद्ध होता है की वह महाराज का चापलूस है. अकबर को मालूम था कि बीरबल उसके सवालों का जवाब जरूर दे देगा इसलिये उन्होंने उस मंत्री की बात स्वीकार कर ली. उस मंत्री के तीन सवाल थे - १. आकाश में कितने तारे हैं. २. धरती का केन्द्र कहाँ है. ३. सारे संसार में कितने स्त्री और कितने पुरूष हैं. |
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