24-02-2013, 12:03 PM | #24661 |
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हैदराबाद। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरूवार को हुए विस्फोट के स्थलों का दौरा करने के लिए आज विशेष विमान से दिल्ली से हैदराबाद पहुंचे। आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन, मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी और अन्य गणमान्य लोगों ने उनका बेगमपेट हवाई अड्डे पर स्वागत किया। सिंह हेलीकाप्टर से विक्टोरिया मेमोरियल रवाना हुए। वहां से वह दिलसुखनगर जाएंगे जहां गुरूवार को हुए दो बम विस्फोटों में 16 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 117 अन्य घायल हो गए थे। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री दो निजी अस्पतालों का भी दौरा करेंगे जहां विस्फोटों में घायल कुछ लोगों का इलाज चल रहा है। अस्पतालों का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री वापस विक्टोरिया मेमोरियल से बेगमपेट हवाई अड्डा जाएंगे और अपराह्न दिल्ली रवाना हो जाएंगे।
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24-02-2013, 12:26 PM | #24662 |
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चलती कार में नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के जुर्म में दो युवकों को कैद
नई दिल्ली। बहन से बदला लेने के इरादे से उसकी छोटी बहन को अगवा कर चलती कार में उससे सामूहिक बलात्कार के जुर्म में दिल्ली की एक अदालत ने दो युवकों को कैद की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने अपहरण और बलात्कार के जुर्म में 24 वर्षीय मनोज को उम्रकैद और उसके साथी अमित को दस साल की कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इन पर क्रमश: साठ हजार और बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इन दोनों ने एक लड़की को सबक सिखाने के इरादे से उसकी 12 साल की बहन का अपहरण कर उससे सामूहिक बलात्कार किया था। अदालत ने कहा कि आरोपियों को जब पीड़ित की बहन नहीं मिली, तो मनोज ने उसकी 12 साल की नाबालिग बहन को ही अपना निशाना बना डाला। अदालत ने कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि दो अन्य महिलाओं को सबक सिखाने के लिए ही इस नाबालिग लड़की से बलात्कार किया गया और इसलिए मनोज के साथ किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जा सकती। अदालत ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि मनोज एक महिला के साथ, जो नाबालिग लड़की की बहन की सहेली थी, सहजीवन की जिंदगी गुजार रहा था, लेकिन कुछ विवादों के कारण यह युगल अक्सर पुलिस के पास पहुंचने लगा था। अदालत ने कहा कि पुलिस के सामने भी पीड़ित लड़की की बहन अपनी सहेली का ही पक्ष लेती थी और शायद इसी वजह से मनोज ने उसे सबक सिखाने का निश्चय किया। रिकार्ड से यह भी पता चलता है कि नाबालिग लड़की पिछले साल छह फरवरी को जब बाजार जा रही थी, तो उसे रास्ते में मनोज मिला था। मनोज ने पहले उसकी बहन के बारे में पूछा, लेकिन कुछ समय बाद वह उसे ही लेकर चला गया। अभियोजन के मुताबिक लड़की ने कहा कि उसकी बहन घर पर है और वह उससे वहां मिल सकता है, लेकिन इसी बीच दूसरा आरोपी अमित कार से वहां पहुंचा और मनोज ने इस लड़की को जबरन कार में डाल लिया। पुलिस के अनुसार दोनों अभियुक्तों ने नाबालिग लड़की को डराया-धमकाया और इसके बाद मनोज ने सुनसान स्थान पर कार में ही उससे बलात्कार किया। इसके बाद, अमित ने भी उससे बलात्कार किया और कई जगह घुमाने के बाद मंगोलपुरी इलाके में उसे छोड़ गया। इस लड़की के घर नहीं लौटने पर परिवार के सदस्यों ने उसे ढूंढना शुरू किया। चूंकि मनोज पुलिस का मुखबिर था, इसलिए उन्होंने पुलिस अधिकारियों से भी संपर्क किया, जिन्होंने आरोपी से लड़की को खोजने में मदद करने के लिए कहा। पुलिस के अनुसार बड़ी बहन ने मोबाइल फोन पर संपर्क किया, तो यह लड़की आधी रात को मिली और उसने अपने ठिकाने की जानकारी दी। लड़की ने इस घटना के बारे में परिवार को जानकारी दी और दोनों के नाम बताए। इसके बाद ही पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया था। अदालत ने दोनों अभियुक्तों की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। अदालत ने कहा कि मेडिकल और फोरेन्सिक साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि उन्होंने लड़की से बलात्कार किया था। अदालत ने कहा कि चूंकि मनोज पुलिस का मुखबिर था, इसलिए पुलिस ने बेहद हल्के तरीके से इस मामले की जांच की थी। अदालत ने कहा कि पुलिस का मुखबिर होने के कारण मनोज ने अपनी स्थिति का अनुचित फायदा उठाया और उसने सोच लिया कि वह कानून से ऊपर है।
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24-02-2013, 12:26 PM | #24663 |
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महिला के अपहरण और सामूहिक बलात्कार के आरोप से पांच युवक बरी
नई दिल्ली। दिल्ली की एक त्वरित अदालत ने पांच युवकों को एक महिला का अपहरण कर उससे सामूहिक बलात्कार करने के आरोपों से बरी कर दिया है। महिलाओं के प्रति यौन अपराधों के मामलों की सुनवाई के लिए गठित त्वरित अदालतों में से एक की अध्यक्षता कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र भट ने लोकेश, सोमवीर, तेजपाल, अमित कुमार और मनबीर सिंह को बरी करते हुए कहा कि इस महिला ने अपनी मर्जी से इनके साथ शारीरिक संबंध कायम किया था। अदालत ने कहा, ‘इस महिला ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया और उसने इसके खिलाफ ही गवाही दी है। उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि न तो उसका अपहरण हुआ था और न ही किसी भी आरोपी ने उसकी पिटाई की थी और न ही किसी आरोपी ने उससे बलात्कार किया था।’ अदालत ने कहा कि उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने बगैर किसी दबाव या धमकी के अपनी मर्जी से आरोपियों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया था। अदालत ने कहा कि चूंकि इन आरोपियों के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है, इसलिए उन्हें बरी किया जाता है। अभियोजन के अनुसार पांच युवकों ने सात आठ जून, 2012 की रात इस महिला का अपहरण करके चलती कार में उससे सामूहिक बलात्कार किया था। अभियोजन का कहना था कि पुलिस ने एक अवरोधक पर गाड़ियों की तलाशी के दौरान ही इन युवकों को उस समय पकड़ा, जब वे लड़की के साथ भागने का प्रयास कर रहे थे। आरोपी लोकेश के वकील अवनीश राणा ने आरोपियों की रिहाई का अनुरोध करते हुए दलील दी थी कि इस महिला ने अपने बयान में कहा है कि इन लड़कों के साथ जाने के लिए उसने ही सहमति दी थी। अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों और महिला की गवाही के मद्देनजर पांचों युवकों को अपहरण और सामूहिक बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया।
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24-02-2013, 12:27 PM | #24664 |
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मेन्यू के मुताबिक खाना नहीं बनाने पर हलवाई को अदा करना होगा मुआवजा
नई दिल्ली। उपभोक्ता मामलों की एक अदालत ने शहर के एक कैटरर को निर्देश दिया है कि वह अपने उस ग्राहक को मुआवजे के तौर पर 30,000 रुपये अदा करे जिसके यहां शादी समारोह में मेन्यू के अनुसार खाना नहीं बनाया गया और सामान बर्बाद हो गया। उत्तर पूर्व जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने कहा कि दिल्ली के कैटरर अशोक कुमार ‘हलवाई’ के काम में खामियों के चलते शादी समारोह का आयोजन करने वाले दुल्हन के परिवार की साख को बहुत नुकसान हुआ। एन ए जैदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि प्रतिवादी (अशोक कुमार हलवाई) ने फरियादी का काम करने में लापरवाही की। प्रतिवादी ने भी इस आरोप से इनकार नहीं किया है कि कुछ चीजों के लिए ली गई सामग्री छुई तक नहीं गई और बर्बाद हो गई। फोरम ने दुल्हन के पिता बी. एस. बंसल की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान और सामान की बर्बादी के ऐवज में उन्हें 30,000 रुपए का मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया। बंसल ने अपनी शिकायत में कहा था कि अशोक को शादी में आमंत्रित करीब 1,200 मेहमानों का खाना बनाने का काम दिया गया था। हलवाई ने जो भी सामान मांगा, वो उन्हें दिया गया। बंसल की शिकायत के अनुसार कैटरर मौके पर देर से पहुंचे और दिए गए मेन्यू के मुताबिक खाना नहीं बनाया। उन्होंने कम खाना भी बनाया। हलवाई ने अपने बचाव में दलील दी कि कार्यक्रम स्थल में आखिरी समय में हुए बदलाव के कारण देरी हुई और खाना इसलिए कम पड़ा, क्योंकि 1,200 के बजाय 1,800-2,000 मेहमान पहुंच गए। उपभोक्ता अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि स्थान में कोई बदलाव नहीं किया गया।
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24-02-2013, 12:28 PM | #24665 |
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हत्या के मामले में भाजपा पार्षद बरी, शिकायत झूठी पाई गई
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के एक मामले में आरोपी एक भाजपा पार्षद के खिलाफ शिकायत झूठी पाई जाने के बाद उसे बरी कर दिया और शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। भाजपा पार्षद माधव प्रसाद पर आरोप था कि वर्ष 2012 में हुए दिल्ली नगर निगम के चुनावों से दो दिन पहले उन्होंने पार्टी के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी थी। प्रसाद के अलावा संगम पार्क के पार्षद अनिल यादव तथा पिंकू नामक एक अन्य व्यक्ति इस मामले में सह आरोपी थे। इन लोगों को भी अदालत ने जय प्रकाश की हत्या के आरोप से बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन जैन ने इस मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह वीरेंदर यादव के अदालत में अपने बयान से मुकर जाने के बाद तीनों को बरी किया। यादव ने इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा किया था और उसकी शिकायत पर ही मामला दर्ज किया गया था। माधव प्रसाद, अनिल यादव और पिंकू को बरी करने के साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि वीरेंदर के खिलाफ झूठी गवाही देने के आरोप में उचित अदालत में शिकायत दर्ज की जाए। अदालत के अनुसार, उसने पुलिस के समक्ष झूठ बोला कि उसने देखा कि प्रसाद और अनिल ने प्रकाश को पकड़ा हुआ था जबकि पिंकू ने दो बार प्रकाश के सीने पर छुरा मारा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन जैन ने कहा ‘वीरेन्दर ने न सिर्फ आरोपियों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई बल्कि वकीलों को साथ लेकर इस मामले को आगे भी बढाता रहा।’ अदालत ने कहा ‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि गवाह न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाता है। अगर अदालत गवाह को इस तरह का आचरण करने की अनुमति दे दे तो न्याय देना ही मुश्किल हो जाएगा। अगर वीरेंदर जैसे गवाह पर अंकुश न लगाया जाएगा तो लोगों के बीच यह गलत संदेश जाएगा कि वह अपनी मर्जी से कभी भी कुछ भी कर सकते हैं और उन्हें इसका नतीजा भी नहीं मिलता।’ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन जैन ने कहा ‘इसलिए मेरी राय है कि वह :वीरेन्दर: अपने गलत आचरण के लिए परिणाम भुगतने का हकदार है।’ पुलिस ने पिछले साल प्रसाद, पिंकू और अनिल के खिलाफ वीरेन्दर की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। लिखित शिकायत में वीरेंद्र ने कहा था कि प्रसाद ने मतदाताओं को संबोधित करने के लिए 10 अप्रैल 2012 को आजादपुर रेलवे स्टेशन पर एक बैठक बुलाई थी। एमसीडी चुनाव 15 अप्रैल को होने थे। आरोप के अनुसार, बैठक में कुछ लोगों ने कहा कि प्रसाद ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में कोई काम नहीं किया। इस पर उन लोगों के और प्रसाद के समर्थकों के बीच झगड़ा हो गया। वीरेन्दर ने पुलिस को बताया कि झगड़े के दौरान उसने देखा कि आरोपी प्रसाद और अनिल ने जय प्रकाश को पकड़ा और पिंकू ने दो बार उसके सीने पर छुरा मारा। हालांकि गवाही के दौरान उसने कहा कि शिकायत में उसने वही कहा जो उसे कुछ लोगों ने पुलिस से कहने को कहा था।
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24-02-2013, 12:30 PM | #24666 |
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मौसम और बारिश गेहूं के लिए बेहतर, बम्पर फसल होने की उम्मीद : विशेषज्ञ
जालंधर। पंजाब में पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश और ठंड को राज्य के किसानों और गेहूं के बढते पौधों के हित में बताते हुए कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस बारिश और ठंड से न केवल गेहूं के दाने बडे होगे, बल्कि इससे इस साल गेहूं की बम्पर फसल होने की संभावना है । हालांकि इसके लिए जरूरी है कि यह बारिश अब एक दो दिन में ही रूक जाये । पंजाब में हो रहे मौसम में बदलाव को फसल विशेषज्ञ गेहूं के लिए लाभदायक मानते हैं और उनका कहना है कि जब जब फसल के लिए जरूरत पडी है, हर मौके पर पिछले कुछ महीनों में बारिश हुई है। यह न केवल किसानों के हित में है बल्कि सरकार के हित में भी है और बेहतर फसल होने की भी संभावना है। पंजाब सरकार के कृषि विभाग के निदेशक डा मंगल सिंह संधू ने कहा, ‘यह बारिश और ठंड पूरे पंजाब में गेहूं की फसल के लिए बेहतर है। पिछले कुछ महीनों में देखा गया है कि जब भी गेहूं की फसल को सिंचाई की आवश्यकता हुई, बारिश हुई है । पिछले दो तीन दिन में हुई बारिश किसानों और गेहूं की फसल के लिए बहुत अच्छी है ।’ संधू ने कहा, ‘इससे न केवल गेहूं के पौधे की वृद्धि बेहतर होगी बल्कि इससे गेहूं के दाने भी बडे होगे और इस बार जिस तरह से हर मौके पर बारिश हुई है इससे प्रदेश में गेहूं की पैदावार शानदार होने की उम्मीद बढ गयी है । वैसे इसके लिए यह आवश्यक है कि यह बारिश अगले एक दो दिनों में रूक जाये ।’ कृषि निदेशक ने कहा कि जैसी स्थिति बनी है इससे ऐसा लगता है कि इस बार गेहूं की बम्पर फसल होगी । हालांकि इसके लिए किसानों को भी फसल पर ध्यान देना होगा और उन्हें कुछ सावधानी बरतनी होगी । निदेशक ने कहा, ‘गेहूं के पौधे अभी जिस स्थिति में हैं उसमें कीटों का उन पर हमला होता है । इनमें व्हाइटफ्लाई, एफिड और जेसिड प्रमुख हैं । बारिश होने से सबसे बडा फायदा यह हुआ है कि पानी के कारण ये कीट पौधों से नीचे गिर गए हैं ।’ अधिकारी ने कहा, ‘इससे किसानों को कई तरह के फायदे हो रहे हैं । कीटों से फसल का बचाव होगा । दवा का छिडकाव कम करना होगा । सिंचाई हो जाने से कृषि खर्च भी कम होगा । अंतत: इन सबका असर इसके उत्पादन पर दिखेगा ।’ उन्होंने कहा, ‘किसानों को अपने खेतों में नहरों या अन्य स्रोतों से आने वाले पानी को रोक देना चाहिए । निचले क्षेत्र (खेत) में पानी अगर ज्यादा है तो उसे निकाल देना चाहिए । कुल मिला कर फसल के लिए तथा गेहूं के उत्पादन के हिसाब से यह बारिश बहुत अच्छी है ।’ बारिश के बारे में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति बी एस ढिल्लों का कहना है, ‘गेहूं के लिए यह मौसम बेहतर है । गेहूं के पौधे अभी जिस स्थिति में है उसके लिए वर्तमान मौसम अनुकूल है । इसका सकारात्मक असर गेहूं के उत्पादन पर देखने को मिलेगा ।’ ढिल्लो ने कहा कि गेहूं के लिए मौसम का ठंडा होना जरूरी है और जिस तरह इस महीने मौसम में ठंड बरकरार है और बारिश हो रही है इससे निश्चित तौर पर फसल का उत्पादन बेहतर होगा । इस बारिश से कीट पतंगों से तो गेहूं का बचाव होगा ही इसके दाने बेहतर, बडे और सुडौल होंगे ।’’ इसके साथ ही पंजाब सरकार की कृषि तकनीक प्रबंधन एजेंसी (आत्मा) के उप निदेशक नरेश गुलाटी ने भी बारिश को गेहूं की फसल के लिए लाभदायक बताते हुए कहा है, ‘यह मौसम गेहूं के बढ रहे पौधों को और बढाने में सहायक होगा । अंतत: इसका सकारात्मक असर इसके उत्पादन पर देखने को मिलेगा ।’ गुलाटी ने कहा कि गेहूं की बुवाई के बाद से जिस प्रकार वतावरण ठंडा रहा है और पहले भी जो ठंड पडी है उसका असर खेतों में अभी दिख रहा है। फसल घनी दिख रही है । बारिश और ठंड न केवल पौधों को बढाने में सहायक होगी बल्कि उसमें बालियां भी जल्दी लगेंगी और उनमें दाने भी प्रचुर मात्रा में होगें । पंजाब में इस बार लगभग 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जा रही है और मौसम अभी तक अनुकूल होने से इसके बंपर उत्पादन की संभावना जतायी जा रही है ।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 24-02-2013 at 01:14 PM. |
24-02-2013, 12:32 PM | #24667 |
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एनजीटी ने गलत जानकारी अपलोड करने पर पर्यावरण मंत्रालय से जवाब मांगा
नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि उसकी वेबसाइट पर उसके दायरे में आने वाले विभिन्न विषयों के संबंध में गलत एवं अपूर्ण जानकारी किस प्रकार अपलोड की गयी। न्यायाधिकरण ने कहा कि बड़ी संख्या में आवेदकों की शिकायतें आयी हैं कि मंजूरी या नामंजूरी के संबंध में जानकारी लंबे समय तक मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की जाती है। इसके अलावा जब जानकारी अपलोड की भी जाती है तो वह गलत और अपूर्ण रहती है। न्यायाधिकरण के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के संबंधित अधिकारी इस पहलू के संबंध में स्पष्टीकरण दें। इसके साथ ही पीठ ने नेशनल इंर्फोमेटिक्स सेंटर के प्रभारी को भी अगली सुनवाई के दिन मौजूद रहने को कहा है। न्यायाधिकरण छत्तीसगढ के परसा (पूर्वी) और कांता बेसन कोल ब्लॉकों में पेड़ काटे जाने के लिए दी गयी पर्यावरणीय मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता समीर मेहता ने न्यायाधिकरण से कहा कि मंजूरी संबंधी आदेश के अनुसार पर्यावरण मंजूरी 21 दिसंबर 2011 को दी गयी जबकि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर बताया गया कि पर्यावरण मंजूरी के संबंध में आवेदन 30 जुलाई 2012 को मिला। पीठ ने इस विरोधाभास के संबंध में मंत्रालय के जवाबदेह अधिकारी को अगली सुनवाई के दिन पेश होने तथा इसकी वजह स्पष्ट करने को कहा है। न्यायमूर्ति पी ज्योतिमणि भी इस पीठ में शामिल हैं। न्यायाधिकरण ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह मार्च की तारीख मुकर्रर की है।
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24-02-2013, 12:34 PM | #24668 |
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बाल मजदूरी पर एनसीपीसीआर ने हरियाणा से विस्तृत रिपोर्ट मांगी
नई दिल्ली। हरियाणा सरकार की ओर से बाल मजूदरी को खत्म करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के दावों के बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने राज्य प्रशासन से बाल श्रम के संदर्भ में एक सप्ताह के भीतर ‘विस्तृत रिपोर्ट’ देने को कहा है। बाल आयोग के सदस्य डॉक्टर योगेश दुबे ने बताया, ‘हरियाणा में हजारों की संख्या में बाल मजूदर हैं और उनके पुनर्वास के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है। राज्य प्रशासन ने बाल मजदूरी को लेकर कार्य योजना बनाई थी, लेकिन उसको भी नवीनीकृत नहीं किया गया। ऐसे में हमने राज्य प्रशासन से बाल मजदूरी की स्थिति को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।’ उन्होंने कहा, ‘राज्य में बाल मजदूरों के अलावा प्रवासी कामगारों के बच्चों को भी उनके बुनियादी अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। हमने राज्य में कई जगहों पर ईंट भट्टों का दौरा करने के बाद पाया कि हरियाणा में बाल अधिकार की स्थिति दयनीय है।’ उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार ने अपने यहां से बाल मजदूरी खत्म करने के लिए बीते कुछ वर्षों के दौरान मुहिम चलाई है। श्रम विभाग ने बाल मजदूरों के बारे में सूचना देने के लिए हेल्पलाइन (2724367) शुरू की थी, लेकिन कई गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि इस नंबर पर फोन करने के बाद कई स्थानों पर जवाब ही नहीं मिलता। कुछ साल पहले हरियाणा ने बाल मजदूरी के खिलाफ तीन सूत्री मुहिम शुरू की थी। इनमें बाल मजदूरी विरोधी कानून-1986 का सही कार्यान्वयन, बाल मजदूरी के विरूद्ध जागरूकता फैलाना तथा बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास की बात शामिल थी। हाल ही में हरियाणा का दौरा करने वाले बाल आयोग के दल की माने तो राज्य सरकार के प्रयास किए जाने के दावों के बावजूद बड़ी संख्या में बाल मजदूर हैं। दुबे ने कहा, ‘राज्य प्रशासन के पास बाल मजदूरों का आकंड़ा, मारे गए छापों और कई दूसरी चीजों की जानकारी नहीं है। इसीलिए प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई है।’ उन्होंने कहा, ‘हमने प्रशासन से ईंट के भट्टों एवं दूसरे कारखानों में काम करने वालों तथा उनके परिवार के स्वास्थ की जांच कराना और बच्चों को शिक्षा से जोड़ना सुनिश्चित करने के लिए कहा है। इस संदर्भ में हमारी राज्य के श्रम आयुक्त और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत हुई है।’’ बाल अधिकारों के हनन के मामलों को लेकर बीते कुछ महीनों में हरियाणा चर्चा में रहा है। ‘अपना घर’ मामले में राज्य प्रशासन की खासी किरकिरी हुई थी और इस मामले की सीबीआई जांच चल रही है।
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जलवायु परिवर्तन से बेस्वाद हुआ अरूणाचल का सेव
इटानगर। अपनी मिठास के लिए लोकप्रिय, हिमालयी राज्य अरूणाचल प्रदेश का सेव धीरे-धीरे अपना स्वाद खोता जा रहा है और जलवायु परिवर्तन की वजह से इसमें कड़वाहट घुलती जा रही है। जिस हिसाब से मौसम के तेवर बदल रहे हैं, तापमान में उतार चढ़ाव आ रहा है, अचानक हिमपात और बारिश हो जाती है। उसका सीधा असर सेव की फसल पर हो रहा है। बागवानी विशेषज्ञ और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को समझने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से सेव को वैसी समुचित जलवायु नहीं मिल पा रही है जो उसके लिए जरूरी है। श्रीनगर स्थित सेंट्रल इन्स्टीट्यूट आॅफ टेम्परेट हार्टीकल्चर (सीआईटीएच) के निदेशक डॉ. नजीर अहमद ने कहा, ‘कश्मीरी सेव इसलिए मीठे होते हैं, क्योंकि वहां बारिश कम होती है, लेकिन अरूणाचल प्रदेश में कई बार भारी बारिश होती है, जिससे फसल का शर्करा तत्व घुल कर कम हो जाता है। इसका असर स्वाद पर पड़ता है।’ सेव के पेड़ की पूरी वृद्धि और उसमें फल लगने के लिए सालाना 100 से 125 सेमी बारिश की जरूरत होती है। बीते कुछ बरसों से बारिश कई बार होती है। पूर्वोत्तर राज्य में तो बादल फटने की घटनाएं भी होती हैं। वेस्ट सियांग जिले के मेचुका घाटी के किसानों की शिकायत है कि 15 से 20 साल पहले उनके उगाए सेव बहुत मीठे होते थे लेकिन अब ये सेव बेस्वाद हो चुके हैं। दूरस्थ मेचुका घाटी चीन की सीमा से कुछ किमी दूर है। इंडियन काउंसिल आॅफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (डिवीजन आॅफ नैचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट), मेघालय के डॉ संजीव भाराली ने कहा, ‘पहले सेव में पूरे साल में केवल एक बार, फरवरी में ही फूल आते थे। अब साल में दो बार, मार्च के आखिर में और सितंबर में फूल आते हैं। मार्च में जो फूल लगते हैं, उनसे ही फल तैयार होते हैं, लेकिन सितंबर वाले फूलों से फल नहीं उगते।’ अरूणाचल प्रदेश में सेव का उत्पादन मुख्य रूप से तवांग, वेस्ट कामेंग और लोअर सुबनसिरी जिलों में होता है। हालांकि धीरे-धीरे वेस्ट सियांग और अंजा जिले में भी सेव उत्पादन हो रहा है। वर्ष 2009-10 के दौरान राज्य में करीब 10,000 टन सेव का उत्पादन हुआ था। सेव के उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का असर पड़ने की बात मानते हुए डॉ अहमद ने कहा कि इस फल को वृद्धि के दौरान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की भी जरूरत होती है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन मौसम के बदलते तेवरों की वजह से कई बार तापमान कम या ज्यादा हो जाता है। इसका सीधा असर फसल पर पड़ता है। वैसे भी सेव पूरी तरह मौसम पर निर्भर रहने वाला फल है।’ इटानगर स्थित ‘जी बी पंत इन्स्टीट्यूट आॅफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड डवलपमेंट’ के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ प्रसन्ना के सामल ने कहा कि कृषि कैलेंडर तापमान में वृद्धि से प्रभावित हो रहा है। साथ ही नए कीटनाशक और फसलों की बीमारियां भी इस पर असर डाल रही हैं। अरूणाचल प्रदेश के राजीव गांधी विश्वविद्यालय के जियोलॉजिस्ट एस के पटनायक के अनुसंधान से पता चला है कि बीते 100 साल में न्यूनतम तापमान में कमी और अधिकतम तापमान में वृद्धि हुई है।
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मध्य प्रदेश किसानों की आत्महत्या के मामले में चौथे नंबर पर
भाजपा के आठ साल के शासन काल में 10861 किसानों ने मौत को गले लगाया भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा के आठ साल के शासन काल में जहां 10 हजार आठ सौ से अधिक किसानों ने विभिन्न कारणों के चलते आत्महत्या की है, वहीं किसानों की आत्महत्या के मामले में यह राज्य देश में चौथे नंबर पर पहुंच गया है। अधिकारिक सूत्रों ने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकडों के हवाले से बताया कि प्रदेश में किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं की मुख्य वजह आर्थिक तंगी, कर्ज और पारिवारिक रही है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो द्वारा उपलब्ध आंकडों के अनुसार मध्यप्रदेश में वर्ष 2011 में प्रतिदिन औसतन तीन से अधिक किसानों ने मौत को गले लगाया और विभिन्न कारणों से कुल 1326 किसानों ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2004 से वर्ष 2011 के आठ साल के बीच 10861 किसानों ने मौत को गले लगाया। उपलब्ध आंकडों के अनुसार वर्ष 2011 में जिन 1326 किसानों ने मौत को गले लगाया उनके कारण अलग अलग रहे हैं। इस दौरान जिन किसानों ने आत्महत्या की है उनमें 347 ने पारिवारिक कारणों से, 16 ने आर्थिक कारणों से, 326 ने शारीरिक व मानसिक बीमारी के चलते, 120 ने नशे में और 508 ने अन्य कारणों से खुदकुशी की है। भाजपा समर्थित भारतीय किसान संघ के पूर्व अध्यक्ष तथा किसान मजदूर प्रजा पार्टी के संस्थापक शिवकुमार शर्मा का मानना है कि किसानों की आत्महत्या की मुख्य वजह है कि किसानों के लिये खेती अब, लाभ का धंधा तो दूर लागत निकाल पाने लायक भी नहीं रह गयी है। शर्मा ने कहा कि जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध होशंगाबाद के पवारखेडा कृषि अनुसंधान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिकों ने भी माना है कि किसान के एक क्विंटल गेहूं का लागत मूल्य साढे छह हजार रुपये आता है जबकि उसका गेहूं 13-14 सौ रुपये प्रति क्विंटल ही बिक पाता है। उन्होने कहा कि सरकार समर्थन मूल्य घोषित करते समय किसान के श्रम को जोडकर नहीं देखती। शर्मा ने किसानों की दयनीय स्थिति के लिये मध्यप्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यहां मंडी कानून में परिवर्तन ही भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी जड़ है। उन्होने कहा कि पूर्व में जहां किसान मंडी अध्यक्ष का चुनाव करते थे वही अब सरकार ने इस कानून में बदलाव कर दिया है और अब उसके सदस्य ही अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। उन्होने कहा कि जब अध्यक्ष ही पांच दस करोड रुपये खर्च कर चुनाव जीतेगा तो वह इस राशि को कहीं से तो निकालेगा। शर्मा ने कहा कि इसी के चलते म.प्र. की मंडियों में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि गंजबसौदा मंडी में तुअर दाल 2200 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है जबकि उसका समर्थन मूल्य 3500 रुपये प्रति क्विंटल है और उडद की भी यही हालत है। उन्होने कहा कि यदि किसानों को आत्महत्या से बचाना है तो सबसे पहले खेती की लागत कम करना होगा तथा ऐसे कदम उठाने होंगे जैसे केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात की सरकारें उठा रहीं हैं। उन्होंने कहा कि केरल और कर्नाटक में किसानों का मुफ्त बिजली दी जा रही है जबकि आंध्र प्रदेश में उनसे नाम मात्र का शुल्क लिया जाता है।
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