29-02-2012, 02:02 AM | #401 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंदन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मछली खाने अथवा उसके तेल का सेवन करने से आपको अपने मस्तिष्क को जवां रखने में मदद मिल सकती है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने पाया कि आहार में ‘ओमेगा-3 फैट्टी एसिड’ की कमी के चलते मस्तिष्क के संकुचन और मानसिक क्षय में तेजी आती है। केलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि मछली में पाया जाना वाला एक प्रमुख पोषक तत्व ‘ओमेगा-3 फैट्टी एसिड’ कम मात्रा में लेने से मस्तिष्क पर असर पड़ता है। गौरतलब है कि आहार में इसे कम मात्रा में लेने से याददाश्त पर असर पड़ता है, समस्या का समाधान करने की क्षमता, कई काम एक साथ करने और सोचने की क्षमता कम हो जाती है। माना जाता है कि मछली के तेल में पाया जाने वाला यह पदार्थ मस्तिष्क के विकास में अहम भूमिका निभाता है।
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29-02-2012, 02:07 AM | #402 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
'मीटिंग में हूं'-कहने वाले कृपया ध्यान दें
बैठकों में शरीक होने से कम हो जाती है अक्ल ? लंदन। अगर आप अपने दफ्तर में रोजाना बैठकों में शामिल होते हैं, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इससे आपकी सोचने-समझने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म हो सकती है। यह चौंकाने वाला दावा एक अध्ययन में किया गया है। अमेरिका के ‘वर्जीनिया टेक क्रिलियन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ का कहना है कि बैठकों में शामिल होने वालों के बुद्धि स्तर (आईक्यू) की जांच की गई तो वह अन्य लोगों के मुकाबले काफी कम रही। अध्ययन में कहा गया है कि बैठकों में शामिल होने के बाद महिलाओं में सोचने-समझने की क्षमता पुरुषों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित होती है। समाचार पत्र ‘डेली टेलीग्राफ’ के मुताबिक अध्ययन का नेतृत्व करने वाले रीड मोंटाग ने कहा, ‘‘आप इसको लेकर मजाक बना सकते हैं कि बैठकों में शामिल होने से कैसे दिमाग पर बुरा असर होता है, लेकिन अध्ययन के नतीजे ये बता रहे हैं कि बैठकें आपकी अक्ल को प्रभावित कर सकती हैं।’’ अध्ययन में दो विश्वविद्यालयों के छात्रों को शामिल किया गया, जिनका आक्यू एक दूसरे के मुकाबले औसतन 126 था। बैठकों में शामिल होने के बाद जब इनके कामकाज को लेकर अध्ययन किया गया तो पता चला कि इनकी क्षमता बैठकों में शामिल नहीं होने वाले अपने सहकर्मियों के मुकाबले कहीं कम हो गई है।
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29-02-2012, 04:29 PM | #403 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सिगरेट छोड़ने के पांच साल बाद भी मधुमेह की चपेट में आने का खतरा
तोक्यो। नेशनल कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं के एक दल ने अपने शोध में पाया है कि धूम्रपान छोड़ने के पांच साल बाद तक भी सिगरेट पीने वालों के मुधमेह की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। 40 से 69 आयु वर्ग के 59 हजार लोगों पर 1990 से 2003 के बीच किए गए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि धूम्रपान करने वालों के मधुमेह की चपेट में आने की आशंका अधिक रहती है और धूम्रपान छोड़ने के पांच साल बाद भी सिगरेट पीने वाले महिलाओं और पुरूषों में इस बीमारी के उभरने की संभावना 2 84 फीसदी होती है, लेकिन पांच साल के बाद सिगरेट छोड़ने वालों को धूम्रपान का खतरा धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों के समान ही होता है।
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01-03-2012, 12:31 AM | #404 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मोबाइल एसएमएस के जरिए करें विज्ञान की पढ़ाई
नई दिल्ली। विज्ञान की पढ़ाई करने वालों के लिए खुशखबरी है। यदि आप विज्ञान की किताब पढ़ते-पढ़ते उब गए हैं तो आप अपनी पढ़ाई मोबाइल फोन पर भी जारी रख सकते हैं। दरअसल, विज्ञान प्रसार और इग्नू ने मिलकर मोबाइल इस्तेमाल करने वालों के लिए एक मुफ्त एसएमएस सेवा की शुरूआत की है जो विज्ञान एवं इससे जुड़े क्षेत्रों की जानकारी आप तक पहुंचाएगी। ‘साइंस ऐट मोबाइल’ नाम की इस पद्धति की शुरूआत दो दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह के मौके पर बुधवार को ‘इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सिलेरेटर सेंटर’ के निदेशक अमित रॉय ने की। रॉय ने कहा कि विज्ञान की जानकारी के बिना समाज अधूरा है। यदि हम किसी चीज के प्रयोग के बारे में नहीं समझते हैं तो हम अंधेरे में होंगे और इसे काला जादू ही मानेंगे। इसलिए विज्ञान पर ज्ञान पर प्रसार बहुत महत्वपूर्ण है। 092230516161 नंबर पर ‘एससीआईएमबीएल’ लिखकर भेजने से ‘साइंस ऐट मोबाइल’ सेवा प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा विज्ञान प्रसार की वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर क्लिक कर भी इस सेवा का लाभ लिया जा सकता है। इस सेवा में तीन श्रेणियां हैं। पहली वह जिसके लिए विज्ञान पृष्ठभूमि का व्यक्ति होने की जरूरत नहीं है, दूसरी वह जिसके लिए आधारभूत वैज्ञानिक ज्ञान होना चाहिए, जबकि तीसरी वह जिसके लिए विज्ञान पृष्ठभूमि होनी चाहिए।
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01-03-2012, 01:24 PM | #405 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
‘भारतीय प्लेट की गति अगले दो करोड़ वर्षों में रूक जाएगी’
वाशिंगटन। एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि पांच करोड़ साल पहले महाद्वीपीय प्लेटों की जिस टक्कर के बाद विशाल हिमालय पर्वत बना था, उसमें अगले दो करोड़ साल में पूरी तरह से ठहराव आ जाएगा। ब्रिटिश पत्रिका ‘नेचर’ में छपे अमेरिकी भूवैज्ञानिक मैरिन क्लार्क के शोध पत्र में उन्होंने कहा कि भारतीय प्लेट की यूरेशियाई प्लेट के साथ टक्कर के बाद शुरू हुई पर्वत निर्माण प्रक्रिया हिमालय की उंचाई से नहीं बल्कि सतह के नीचे की परिस्थितियों के कारण रूक जाएगी। मिशिगन विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर क्लार्क ने कहा कि ये नतीजे प्लेट संरचनांतरिकी के मौजूद सिद्धांतों को नया रास्ता दिखा जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप के यूरेशिया की ओर बढने की दर धीमी हो रही है। क्लार्क ने 6.7 करोड़ वर्षों में उत्तर भारत के ‘कंवर्जेंस रेट’ (गति की दर) का मूल्यांकन करने के लिए इसकी मौजूदा स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह गति करीब दो करोड़ वर्षों में रूक जाएगी जिससे हालिया भौगोलिक इतिहास में पर्वत निर्माण का सबसे लंबे दौरों में से एक दौर रूक जाएगा।
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01-03-2012, 01:24 PM | #406 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
विकासशील देशों में दिल का दौरा पड़ना उम्रदराज लोगों की मौत का प्रमुख कारण
लंदन। नये शोध में दावा किया गया है कि भारत और चीन जैसे विकासशील देशों में 65 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले ज्यादातर लोगों की मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना है। वर्ष 2003 से 2005 के बीच भारत, डोमिनिक गणराज्य, क्यूबा, वेनेजुएला, पेरू, मेक्सिको और चीन के कुल 10 शहरी और ग्रामीण इलाकों में किये गये इस अध्ययन में 65 और इससे अधिक की आयु के 12373 लोगों पर शामिल किया गया। इस अध्ययन में इसके तीन से पांच साल में दो हजार से अधिक मौतों को भी शामिल किया गया। किंग्स कालेज लंदन ने ‘लैटिन अमेरिका, भारत और चीन में बुजुर्गों की मृत्युदर : कारण और रोकथाम’ नाम का शोध किया। शोध का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर मार्टिन प्रिंस ने कहा कि विकासशील देशों में अस्थिरता और मृत्युदर के प्रमुख कारण के तौर पर दीर्घकालिक बीमारियां संक्रामक रोगों की जगह तेजी से लेती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों में दिल का दौरा पड़ना मौत का प्रमुख कारण है और इससे बचने के लिए शिक्षा एक अहम कारक है जिससे कई वर्ष और जिया जा सकता है।
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01-03-2012, 01:28 PM | #407 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बच्चों, वयस्कों के मुकाबले किशोरों में मस्तिष्काघात का असर ज्यादा घातक : अध्ययन
टोरंटो। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि मस्तिष्काघात या सिर में लगने वाली गंभीर चोटों का असर बच्चों और वयस्कों की तुलना में किशोरों पर ज्यादा गंभीर होता है। ‘ब्रेन इंजरी’ पत्रिका में छपे अध्ययन में पाया गया कि मस्तिष्क में किसी तरह की चोट लगने पर वयस्कों और बच्चों के बजाय किशोरों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है। मांट्रियल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और अध्ययन प्रमुख डेविड एलेमबर्ग के अनुसार, किशोरावस्था के दौरान स्मृति शक्ति के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क के हिस्से का विकास हो रहा होता है जिससे यह ज्यादा कोमल होता है और इस पर मस्तिष्काघात का असर ज्यादा घातक होता है। एलेमबर्ग के हवाले से ‘लाइवसाइंस’ ने कहा कि स्मृतिशक्ति में कमी से व्यक्ति की रोजमर्रा की चीजों से संबंधित क्षमता कमजोर हो जाती है।
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04-03-2012, 01:11 PM | #408 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
शनि के चंद्रमा डियोन पर आक्सीजन की मौजूदगी का वैज्ञानिकों ने लगाया पता
वाशिंगटन। ग्रह विज्ञानियों ने शनि के चंद्रमा डियोन के वातावरण में आक्सीजन की मौजूदगी का पहली बार पता लगाने का दावा किया है। ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार लॉस अलामोस नेशनल लैबोरेटरी के एक वैज्ञानिक दल ने कहा कि उसने डियोन के सबसे उपरी वातावरण में आण्विक आक्सीजन आयन का पता लगाया है। डियोन शनि के 62 उपग्रहों में से एक है। डियोन पर आक्सीजन की मौजूदगी का पता नासा के कसीनी अंतरिक्षयान की मदद से लगाया गया है। डियोन का पता 1684 में खगोलविद गियोवानी कसीनी ने लगाया था। डियोन शनि की उसी दूरी पर परिक्रमा करता है, जितनी दूरी पर हमारा चंद्रमा पृथ्वी की करता है। यह छोटा सा उपग्रह महज 700 मील चौड़ा है। चूंकि यह हर 2.7 दिन पर शनि की परिक्रमा करता है इसलिए डियोन पर शनि के बेहद सशक्त चुंबकीय क्षेत्र से निकलने वाले आवेशित कणों (आयन) की बौछार होती है। ये आयन डियोन की सतह पर जोर से प्रहार करते हैं और स्पुटरिंग (तड़तड़ाहट) की प्रक्रिया के जरिए आण्विक आक्सीजन आयनों को विस्थापित करते हैं। दल ने कहा कि उसके बाद शनि के मजबूत चुंबकीय क्षेत्र डियोन के बाह्य वातावरण परत से आण्विक आक्सीजन आयनों को हटाते है। कसीनी अंतरिक्षयान में लगे कसीनी प्लाज्मा स्पेक्ट्रोमीटर नाम के सेंसर ने डियोन पर आॅक्सीजन आयन का पता 2010 में लगाया था। अब वैज्ञानिकों ने शनि के उपग्रह पर आक्सीजन की मौजूदगी की पुष्टि की है।
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04-03-2012, 01:11 PM | #409 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
चीन ने भूकम्प की भविष्यवाणी करने वाली प्रणाली विकसित की
बीजिंग। चीनी वैज्ञानिकों ने भू-पर्पटी की गति की निगरानी और भूकम्प की भविष्यवाणी करने वाली एक प्रणाली विकसित करने का दावा किया है। चीनी भूकम्प प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार नई प्रणाली उपग्रह दिशा-निर्देशक पर आधारित होगी जिसमें डाटा प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी के साथ 260 नियमित निगरानी करने वाले स्टेशनों और 2000 अंशकालिक निगरानी स्टेशनों का नेटवर्क शामिल होगा। नई प्रणाली का इस्तेमाल मौसम का पूर्वानुमान जताने और वैज्ञानिक शोध समेत अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार नए नेटवर्क में अमेरिका का प्लेट बाउन्डरी आॅब्जर्वेशन सिस्टम और जापान का जियोन शामिल हुआ है जो भू-पर्पटी की गति की निगरानी का सर्वाधिक आधुनिक साधन है। चीन ने इस परियोजना की शुरुआत दिसंबर 2007 में की थी जिसपर कुल निवेश 8.32 करोड़ डॉलर का किया गया।
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04-03-2012, 01:14 PM | #410 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अब छात्रों की भावनाओं पर प्रतिक्रिया देगा कम्प्यूटर
वाशिंगटन। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कम्प्यूटर विकसित करने का दावा किया है जो छात्रों की भावनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकेगा। नोट्रे डैम विश्वविद्यालय, मेमफिस विश्वविद्यालय और मसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान के दल ने एक कंप्यूटर बनाया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि यह ‘भावनाओं को समझने’ वाला सॉफ्टवेयर है जो चिड़चिड़ापन और बोरियत समेत छात्रों की अन्य भावनाओं के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। वैज्ञानिकों ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि यह नई प्रौद्योगिकी ना सिर्फ मानव शिक्षकों की भांति बात कर सकता है बल्कि यह छात्रों को सीखने में बहुत मदद करता है। यह कम्प्यूटर के साथ मानवों के बातचीत को भी परिभाषित करता है।
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