02-03-2020, 08:12 PM | #1 |
Diligent Member
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ग़ज़ल- ऐसी दीवार है दरमियाँ आजकल
■■■■■■■■■■■■■■ ऐसी दीवार है दरमियाँ आजकल वह सुनेगा नहीं सिसकियाँ आजकल खेलता था कभी साथ मेरे वही खोलता भी नहीं खिड़कियाँ आजकल जिसने मुझको सिखाया सबक प्यार का ढूँढता हूँ वही चिट्ठियाँ आजकल अब तो आसान है चाँद का भी सफर बढ़ गईं हैं मगर दूरियाँ आजकल इश्क तो आग है दिल मेरा मोम है यूँ गिराओ नहीं बिजलियाँ आजकल मौज़ करने का "आकाश" मन है मगर उम्र की पड़ गईं बेड़ियाँ आजकल ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 01/03/2020 ■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. न.- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 02-03-2020 at 08:15 PM. |
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