28-10-2010, 10:32 PM | #11 |
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- A translation of english song 'We shall overcome' by गिरिजाकुमार माथुर All of us have heard "हम होंगे कामयाब" innumerable times in India. This song is translation of famous english song 'We shall Overcome' -- a song with origins in early 1900s in America. It became quite famous there during civil rights movement in 1960s. You can find more information about this at Wikipedia . The tune of hindi song is same as that of its english original (I think it's probably one of the most recognized tune in the world). हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन हो हो हो मन मे है विश्वास, पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन हम चलेंगे साथ-साथ डाल हाथों में हाथ हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन होंगी शांति चारो ओर होंगी शांति चारो ओर एक दिन मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास होंगी शांति चारो ओर एक दिन नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी का आज एक दिन मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास नहीं डर किसी का आज एक दिन हो हो हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन |
28-10-2010, 10:33 PM | #12 |
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देखो! एक सपेरा आया
कन्धे पर टाँगे है झोली, बोल रहा है अद्भुत बोली, बीन बजाकर उसने सचमुच- बच्चों के मन को बहलाया। बच्चे उसको घेर रहें हैं, मिल-जुल कर सब टेर रहें हैं, बच्चों की इस शैतानी से- सचमुच उसका दिल घबराया। बबलू के दरवाजे आकर, घेर लिया बच्चों ने जाकर, बीन बजाकर उसने सहसा- बच्चों का भी जी ललचाया। उसने एक पिटारा खोला, एक सांप भीतर से डोला, फुफक पड़ा भागे सब बच्चे- रामू का भी दिल घबराया। नीले काले हरे रंग के, सांप, बिच्छुएँ ढंग-ढंग के, कुछ हाथों में कुछ कन्धे पर- कुछ को गरदन में लपटाया। दस-दस पैसे लगे माँगने, बच्चे सुन-सुन लगे भागने, दो-दो चुटकी आटे पर ही- उसने सारा खेल दिखाया। - डॉ० उमाशंकर शुक्ल 'उमेश
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28-10-2010, 10:35 PM | #13 |
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छोटे बच्चे, मन के सच्चे
सीधे साधे तनके कच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥ जननी तभी पूर्णता पाती। बच्चा जानती माँ कहलाती॥ कितने प्यारे नन्हें बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥ बोल तोतली, समझ न पाते। पर वह कितना ह्रदय लुभाते॥ स्फुट बोल बोलते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥ मन्दिर-मस्जिद भेद मिटते। नहीं किसी से वह घबड़ाते॥ सबको गले लगाते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥ बच्चों के हैं सबसे नाते। कलुषित भाव समझ ना पाते॥ प्रेम-सुधा बरसाते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥ इक मीठी मुस्कान के आगे। भरी तनाव जिंदगी भागे॥ कितने सहज सरल हैं बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥ - डॉ० कृष्ण कुमार मिश्र
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28-10-2010, 10:35 PM | #14 |
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सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
- मुहम्मद इक़बाल सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से । अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा 'इक़बाल' कोई मरहूम, अपना नहीं जहाँ में मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहां हमारा सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा । |
28-10-2010, 10:36 PM | #15 |
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कदम कदम बढ़ाये जा - कैप्टन राम सिंह
कदम कदम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा ये जिंदगी है क़ौम की तू क़ौम पे लुटाये जा तू शेर-ए-हिन्द आगे बढ़ मरने से तू कभी न डर उड़ा के दुश्मनों का सर जोश-ए-वतन बढ़ाये जा कदम कदम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा ये जिंदगी है क़ौम की तू क़ौम पे लुटाये जा हिम्मत तेरी बढ़ती रहे खुदा तेरी सुनता रहे जो सामने तेरे खड़े तू खाक में मिलाये जा कदम कदम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा ये जिंदगी है क़ौम की तू क़ौम पे लुटाये जा चलो दिल्ली पुकार के ग़म-ए-निशाँ संभाल के लाल क़िले पे गाड़ के लहराये जा लहराये जा कदम कदम बढ़ाये जा खुशी के गीत गाये जा ये जिंदगी है क़ौम की तू क़ौम पे लुटाये जा |
28-10-2010, 10:37 PM | #16 |
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तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या - महादेवी वर्मा
तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या तारक में छवि, प्राणों में स्मृति पलकों में नीरव पद की गति लघु उर में पुलकों की संसृति भर लाई हूँ तेरी चंचल और करूँ जग में संचय क्या! तेरा मुख सहास अरुणोदय परछाई रजनी विषादमय वह जागृति वह नींद स्वप्नमय खेलखेल थकथक सोने दे मैं समझूँगी सृष्टि प्रलय क्या! तेरा अधर विचुंबित प्याला तेरी ही स्मित मिश्रित हाला, तेरा ही मानस मधुशाला फिर पूछूँ क्या मेरे साकी देते हो मधुमय विषमय क्या! रोमरोम में नंदन पुलकित साँससाँस में जीवन शतशत स्वप्न स्वप्न में विश्व अपरिचित मुझमें नित बनते मिटते प्रिय स्वर्ग मुझे क्या निष्क्रिय लय क्या! हारूँ तो खोऊँ अपनापन पाऊँ प्रियतम में निर्वासन जीत बनूँ तेरा ही बंधन भर लाऊँ सीपी में सागर प्रिय मेरी अब हार विजय क्या! चित्रित तू मैं हूँ रेखाक्रम मधुर राग तू मैं स्वर संगम तू असीम मैं सीमा का भ्रम काया छाया में रहस्यमय प्रेयसि प्रियतम का अभिनय क्या! तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या |
28-10-2010, 10:38 PM | #17 |
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बढ़े चलो -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो साथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो तुम निडर,हटो नहीं तुम निडर,डटो वहीं वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो |
28-10-2010, 10:39 PM | #18 |
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प्रिय मित्र "अनजान जी" आपके देशभक्ति गीतों के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ. मित्र, कृपया इसी प्रकार अपने सहयोग के द्वारा हमारा ज्ञानवर्धन करते रहें . धन्यवाद.
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अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो, अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो, अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो, अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो |
28-10-2010, 10:39 PM | #19 |
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कोशिश करने वालों की - हरिवंशराय बच्चन
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है। आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है। मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में। मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम। कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। |
28-10-2010, 10:40 PM | #20 |
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पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदी
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊँ चाह नहीं, देवों के सिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पर जावें वीर अनेक ।। |
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