18-11-2012, 09:55 PM | #31 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
अंतिम संस्कार किए जाने का पहला मौका शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की अंत्येष्टि आज ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में की गयी और आजादी के बाद मुंबई में किसी सार्वजनिक स्थल पर अंतिम संस्कार किए जाने का यह पहला मौका था। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त 83 वर्षीय जुलियो रिबेरो ने पीटीआई से कहा, ‘जहां तक मुझे जानकारी है, आजादी के बाद यह पहला मौका है जब नगर में किसी सार्वजनिक स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया हो।’ आजादी के पहले एक अगस्त 1920 को स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक का प्रसिद्ध गिरगांव चौपाटी पर अंतिम संस्कार किया गया था। लोगों के बड़ी संख्या में एकत्र होने की संभावना को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने ठाकरे का अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में किए जाने की अनुमति दी। इसी पार्क में ठाकरे ने चार दशक में कई बार अपने समर्थकों को संबोधित किया था। पिछले महीने 24 तारीख को वह सालाना रैली में शामिल नहीं हुए थे और उन्होंने वीडियो के जरिए अपने समर्थकों को संबोधित किया था।
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18-11-2012, 09:59 PM | #32 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
ठाकरे के शोक में काली पृष्ठभूमि में छपा शिवसेना मुखपत्र
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के लिए पार्टी का मुखपत्र एवं मराठी दैनिक ‘सामना’ और उसका सहप्रकाशन हिंदी दैनिक ‘दोपहर का सामना’ से आज शोक झलक रहा था क्योंकि दोनों ही समाचार पत्र काली पृष्ठभूमि में छपे। ठाकरे का कल निधन हो गया था। वह दोनों ही समाचार पत्रों के संस्थापक संपादक थे। दोनों समाचार पत्रों को पार्टी का मुखपत्र माना जाता था क्योंकि शिवसैनिकों को उनके जरिये ही ठाकरे का संदेश और निर्देश प्राप्त होते थे। दोनों समाचार पत्रों के दैनिक मामले कुछ चुनिंदा कार्यकारी संपादकों द्वारा तय किये जाते हैं। शिवेसना सूत्रों ने कहा कि 23 जनवरी 1988 में शुरू होने के बाद से सामना के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब समाचार पत्र के दो मुख्य कवर पृष्ठों की पृष्ठभूमि काली है। पहले पृष्ठ पर बाल ठाकरे का मुस्कुराती तस्वीर छपी है जिसका शीर्षक है ‘आपले साहेब गेले’। समाचार पत्र के भीतर के पृष्ठ पर एक स्टोरी प्रकाशित हुई है जिसका शीर्षक है ‘बाला साहेब ठाकरे नवाचे बादल शांत झाले’। ‘दोपहर का सामना’ रविवार को प्रकाशित नहीं होता लेकिन उसने आज ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष संस्करण प्रकाशित किया। कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल ने संपादकीय लिखा है। ‘दोपहर का सामना’ के पहले पृष्ठ की पृष्ठभूमि भी काली है। इसपर ठाकरे की तस्वीर प्रकाशित की गई है जिस पर शीर्षक लगाया गया है ‘हिंदुओं के महादेव का महाप्रयाण’।
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18-11-2012, 10:04 PM | #33 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
पांच साल से एक मुस्लिम चिकित्सक कर रहा था बाल ठाकरे का इलाज
इसे विचित्र ही कहा जा सकता है कि हिंदुत्व की सियासत करने वाले शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे का पिछले पांच साल से इलाज करने वाले और उनके अंतिम समय में उनके साथ रहने वाले चिकित्सक एक मुसलमान थे। लीलावती अस्पताल के चिकित्सक डॉ. जलील पार्कर पिछले पांच साल से ठाकरे परिवार के विश्वस्त चिकित्सक थे। पार्कर ने ही मीडियाकर्मियों और शिवसेना कार्यकर्ताओं के सामने नम आंखों से शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की मौत की घोषणा की। कुछ साल पहले ठाकरे के फेफड़ों से संबंधित बीमारी का इलाज कर डॉ. पार्कर ने ठाकरे परिवार का विश्वास जीता था। इसके बाद जब भी ठाकरे का स्वास्थ्य बिगड़ता उनको ही बुलाया जाता। डॉ. पार्कर ठाकरे परिवार के इतने करीब हो गये थे कि उन्हें दशहरा रैली में मंच पर अन्य नेताओं के साथ भी देखा गया। पिछले पांच सालों में डॉ. पार्कर को ठाकरे की पांच बार जान बचाने का श्रेय दिया जाता है। कुछ महीनों पहले डॉ. पार्कर के नेतृत्व में ही बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के हृदय की सर्जरी को अंजाम दिया गया था।
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18-11-2012, 10:22 PM | #34 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
शिवसेना विधायक को पार्टी सुप्रीमो बाल ठाकरे के दुर्लभ उपहार पर गर्व
वसाव के शिवसेना विधायक और श्रमजीवी संघटना के प्रमुख विवेक पंडित ने दावा किया है कि उन्हें शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से ऎसी सौगात मिली है, जो किसी को कभी नहीं मिली होगी। पंडित ने एक कलम दिखाते हुए कहा, ‘क्या आप जानते हैं कि मुझे बालासाहब से बहुत ही महत्वपूर्ण उपहार मिला, जो किसी और को नहीं मिला।’ जब पंडित विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बाल ठाकरे से मिले थे, तब उन्होंने उन्हें यह उपहार दिया था। शिवसेना सुप्रीमो ने उन्हें कलम देते हुए कहा था, ‘यह विशेष हथियार है, जो मैं आपको समाज की बुराइयों से लड़ने के लिए दे रहा हूं। आप इसका अधिकाधिक उपयोग करें।’ आज जब वह उस दिन को याद कर रहे थे तब उनकी आंखे भर आयीं और उन्हें महसूस हो रहा था कि उन्हें शिवसेना सुप्रीमो से सबसे अच्छी सौगात मिली थी । पंडित ने उस दिन को याद किया जब जैतपुर आंदोलन चल रहा था और शिवसेना प्रमुख ने अधिक उम्र और खराब स्वास्थ्य के चलते उसमें शामिल होने पर असमर्थता जतायी थी।
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19-11-2012, 01:13 AM | #35 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
बाल ठाकरे का निधन भाजपा के लिए बड़ी क्षति : नायडू
भाजपा नेता वेंकैया नायडू ने आज कहा कि बाल ठाकरे का निधन उनकी पार्टी (भाजपा) के लिए बड़ी क्षति है क्योंकि शिवसेना लंबे समय से विश्वसनीय सहयोगी रही है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘बालासाहब का निधन भाजपा के लिए बड़ा नुकसान है क्योंकि शिवसेना लंबे समय से विश्वसनीय सहयोगी रही है।’ नायडू ने याद किया कि महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा गठबंधन की सरकार बनने के बाद भी ठाकरे ने कभी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अपने को महाराष्ट्र तक ही सीमित रखा। उनका निधन राज्य और भारत के लिए बड़ी क्षति है।’ भाजपा नेता ने कहा कि ठाकरे मुखर, स्पष्टवादी और कभी समझौता नहीं करने वाले योद्धा रहे और वह कभी भी सत्ता के लिए लालयित नहीं रहे। ‘ठाकरे में जैसी क्षमता थी, वैसे उदाहरण देश के राजनीतिक इतिहास में काफी कम मिलेंगे।’ नायडू ने कहा कि लीलावती अस्पताल में उन्होंने बीमार ठाकरे से भेंट की थी और उन्हें कहा गया था कि वह ठीक हो जाएंगे। ‘लेकिन अब वह हमारे बीच नहीं हैं और मैं सिर्फ यही प्रार्थना कर सकता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले।’ पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के भाजपा छोड़ने की स्थिति में संभावित नतीजा के बारे में नायडू ने कहा कि अगर वह अपनी पार्टी बनाना चाहते हैं तो यह उनका फैसला है। लोग विचारधार को समर्थन करते हैं, व्यक्ति को नहीं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भी लोग भाजपा के साथ रहेंगे और पार्टी ने येदियुरप्पा को हर मदद की थी। भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ येदियुरप्पा की टिप्पणी पर नायडू ने कहा कि वरिष्ठ नेता पर टिप्पणी करना उचित नहीं है क्योंकि येदियुरप्पा सहित सभी नेता उनके नेतृत्व में बढे हैं।
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20-11-2012, 01:27 AM | #36 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
ठाकरे की पसंदीदा संख्या थी 13 : पुस्तक
देश में कई लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं लेकिन बाल ठाकरे के लिए यह उनकी पसंदीदा संख्या थी। ठाकरे का 86 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया। उनकी शादी 13 जून 1948 को हुयी थी और उन्होंने साप्ताहिक काटून पत्रिका ‘मार्मिक’ की शुरूआत 13 अगस्त 1960 को की थी। बाल ठाकरे के संबंध में यह जानकारी एक आने वाली किताब ‘बाल ठाकरे : राइज आफ शिव सेना’ में दी गयी है। मुंबई के पत्रकार वैभव पुरंदरे इसके लेखक हैं। बाल ठाकरे हालांकि अंक शास्त्र में भरोसा नहीं करते थे लेकिन वह ऐसी संख्या पसंद करते थे जिसका जोड़ नौ आता हो। संयोग की बात है कि उनका निधन दोपहर बाद तीन बजकर 33 मिनट पर हुआ। इस संख्या का जोड़ भी नौ आता है। इस किताब में उस घटना का जिक्र किया गया है जब ठाकरे ने एक मराठी अखबार की नौकरी तीन बार छोड़ी थी जहां वह काटूर्निस्ट के तौर पर काम करते थे। पहली बार उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि उन्हें बैठने के लिए जो सीट दी गयी थी, वह टेलीफोन के पास थी। टेलीफोन के लगातार बजते रहने से उनका ध्यान भंग होता था। दूसरी बार उन्होंने तब नौकरी छोड़ दी थी जब अभिव्यक्ति की उनकी स्वतंत्रता पर ‘रोक लग’ गयी थी। एस के पाटिल और मीनू मसानी जैसे ‘बड़े लोगों’ का कार्टून बनाने से उन्हें मना कर दिया गया था। उन दिनों कांग्रेस नेता पाटिल मुंबई के सर्वाधिक प्रभावशाली नेता में से थे। तीसरी बार ठाकरे ने उस समय नौकरी छोड़ी जब अखबार के अन्य पत्रकारों के साथ मिलकर उन्होंने एक दैनिक शुरू करने का फैसला किया। पुस्तक में ठाकरे की विभिन्न पसंदों का भी जिक्र किया गया है। उन्हें ठंडी बीयर पसंद नहीं थी हालांकि सिगार के वह शौकीन थे। जब शरद पवार उन्हें देखने अस्पताल गए थे तो ठाकरे ने अपने चिरपरिचित मजाकिया अंदाज में उनसे कहा था, ‘मेरी प्रेमिका मेरी साथ नहीं है।’ इस प्रेमिका से उनका मतलब सिगार से था। बीमारी के कारण ठाकरे को धूम्रपान करने से मना कर दिया गया था। कट्टरपंथी हिन्दुत्व की बात करने वाले ठाकरे को अपने मुस्लिम डाक्टर जलील पारकर में पूरा भरोसा था। पुस्तक के अनुसार, डा. पारकर कहते हैं कि ठाकरे काफी दयालु व्यक्ति थे और जीवन से भरपूर ठाकरे को प्रकृति से विशेष प्रेम था।
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20-11-2012, 08:19 PM | #37 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
तमाम विरोधाभासों के बावजूद शिव सेना सुप्रीमो में कुछ न कुछ तो ऐसा था जो उन्हें मराठी मानूस के दिलो दिमाग में बैठाने के लिये सक्रिय था. क्या ये आश्चर्य नहीं कि बिना किसी सरकारी लगाम के उनका घोड़ा सरपट भागता रहा बिना इस बात की परवाह किये कि आगे क़ानून की खाई है या देश का उदारमना बोद्धिक वर्ग उनके बारे में क्या राय बनाता है. उन्होंने अपनी इनिंग्स अपने तरीके से खेली. आने वाला कल उन्हें याद करेगा या विस्मृत कर देगा यह देखने वाली बात है. उनके बाद वाले नेता ऐसा करिश्मा नहीं कर सकते.
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24-11-2012, 05:54 AM | #38 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
बाल ठाकरे की अस्थियां अरब सागर में प्रवाहित
मुंबई। शिवसेना के दिवंगत अध्यक्ष बाल ठाकरे की अस्थियां शुक्रवार को उनके बेटे और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अरब सागर में प्रवाहित कीं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष और बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे भी इस मौके पर गेटवे आफ इंडिया पर मौजूद थे, जहां पूरा परिवार एकत्र हुआ था। गौरतलब है कि बाल ठाकरे का 18 नवंबर को उनके आवास ‘मातोश्री’ में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
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29-11-2012, 01:38 PM | #39 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
प्रजातंत्र की अनूठी मिसाल है भारत
बाला साहेब ठाकरे जी की शवयात्रा को देख एकाएक यह ख्याल आया कि यह देश के सभी महापुरुषों की शवयात्रा में सबसे बड़ी रही है. जैसा की लोगों से सुना है महात्मा गाँधी जी की शवयात्रा का दृश्य भी ऐसा ही कुछ विहंगम रहा होगा. दोनों ही देश के सबसे प्रीय नेताओं में से हैं परन्तु दोनों की विचारधारा एकदम अलग थी फिर भी दोनों के अनुयायिओं की संख्या आश्चर्यजनक है. यही प्रजातंत्र की खूबसूरती है कि यहाँ हर सोच को खुले दिल से अभिव्यक्त ही नहीं किया जाता बल्कि स्वीकार भी जाता है. इस ही लिए भारत अनेकता में एकता का परिचायक है. Last edited by Dark Saint Alaick; 29-11-2012 at 02:05 PM. |
29-11-2012, 11:13 PM | #40 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
दिनांक 07-08-2001 में एक पुस्तक विमोचन के पर बाला साहेब ठाकरे
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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