26-08-2015, 03:35 PM | #1 |
Member
Join Date: Jun 2015
Location: varanasi
Posts: 102
Rep Power: 11 |
पत्रकार महोदय
पत्रकार : आप बकरे को क्या खिलाते हैं...?? किसान : काले को या सफ़ेद को...?? पत्रकार : सफ़ेद को.. किसान : घाँस.. पत्रकार : और काले को...?? किसान : उसे भी घाँस.. पत्रकार : आप इन बकरों को बांधते कहाँ हो...?? किसान : काले को या सफ़ेद को...?? पत्रकार : सफ़ेद को.. किसान : बाहर के कमरे में.. पत्रकार : और काले को...?? किसान : उसे भी बाहर के कमरे में... पत्रकार : और इन्हें नहलाते कैसे हो...?? किसान : किसे काले को या सफ़ेद को...?? पत्रकार : काले को.. किसान : जी पानी से.. पत्रकार : और सफ़ेद को...?? किसान : जी उसे भी पानी से.. पत्रकार का गुस्सा सातवें आसमान पर, बोला : कमीने ! जब दोनों के साथ सब कुछ एक जैसा करता है, तो मुझे बार-बार क्यों पूछता है.. काला या सफ़ेद...???? किसान : क्योंकि काला बकरा मेरा है... पत्रकार : और सफ़ेद बकरा...?? किसान : वो भी मेरा है... पत्रकार बेहोश... होश आने पे किसान बोला अब पता चला कमीने जब तुम एक ही news को सारा दिन घुमा फिरा के दिखाते हो हम भी ऐसे ही दुखी होते है। |
26-08-2015, 04:27 PM | #2 |
Diligent Member
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 29 |
Re: पत्रकार महोदय
सब टी०आर०पी० का खेल है। हम भी यही करते हैं। जब हमारे पाठक छिपने लगते हैं या विलुप्त होने लगते हैं तो हम पुराने घिसे-पिटे माल को ठोंक-पीटकर नया पॉलिश करके फिर से नया बनाकर प्रकाशित करते हैं जिससे पाठक दिल जलकर बाहर आ सकें। इसे हम #wasupdatereflection भी कहते हैं।
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY! First information: https://twitter.com/rajatvynar https://rajatvynar.wordpress.com/ |
Bookmarks |
Thread Tools | |
Display Modes | |
|
|