13-05-2013, 04:10 AM | #29661 |
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नई दिल्ली। देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों और इसके अपने कैडर के सदस्यों की तरक्की की नीति को एक संसदीय समिति ने भेदभावपूर्ण करार दिया है । समिति ने कहा है कि सीबीआई कैडर के अधिकारी करियर ग्रोथ के लिहाज से ‘घाटे की स्थिति’ में होते हैं । सीबीआई कैडर के कर्मियों और अधिकारियों को नीति-निर्माण में अहम भूमिका दिए जाने की सिफारिश करते हुए कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने कहा कि जांच एजेंसी को उस नीति पर फिर से गौर फरमाना चाहिए जिससे उसे अपने पदों को भरने के लिए अन्य सेवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है । समिति ने इस बात पर निराशा जतायी कि प्रतिनियुक्ति पर आए पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी को सीधे उप-महानिरीक्षक के तौर पर तरक्की दे दी जाती है जबकि सीबीआई कैडर के एसपी रैंक के अधिकारियों को महज वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रैंक में पदोन्नति दी जाती है, जो डीआईजी से नीचे का रैंक है । स्थायी समिति ने कहा, ‘क्या समिति को यह समझना चाहिए कि विभागीय अधिकारियों को घाटे की स्थिति में रखा जाता है जबकि ये अधिकारी सीबीआई में नियमित तौर पर होने वाली विशेषीकृत जांच में दक्षता हासिल कर लेने की वजह से कुशलता, अनुभव और विशेषज्ञता के लिहाज से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी से कहीं बेहतर होते हैं ?’ जांच एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों के कोटे में इजाफे की वजह से सीबीआई कैडर के अधिकारी के लिए उंचे रैंकों में जाने के मौके कम होते जा रहे हैं । आंकड़ों के मुताबिक, सीबीआई ने पिछले 10 साल से डीएसपी रैंक में किसी अधिकारी की भर्ती नहीं की है जबकि 2004 से कांस्टेबलों की भी बहाली नहीं की गयी है । सीबीआई के अनुसार, इस जांच एजेंसी में प्रतिनियुक्ति के जरिए कांस्टेबल स्तर पर 60 फीसदी, हेड कांस्टेबल स्तर पर 20 फीसदी, सहायक सब-इंस्पेक्टर स्तर पर 25 फीसदी, इंस्पेक्टर स्तर पर 50 फीसदी, डीएसपी स्तर पर 50 फीसदी, अतिरिक्त एसपी स्तर पर 10 फीसदी, एसपी स्तर पर 60 फीसदी, डीआईजी स्तर पर 75 फीसदी, संयुक्त निदेशक स्तर पर 80 फीसदी पद भरे जाते हैं । सीबीआई कैडर का कोई भी अधिकारी अतिरिक्त निदेशक और इससे उपर के पद पर जाने की उम्मीद नहीं कर सकता क्योंकि ये पद सिर्फ आईपीएस अधिकारियों के लिए होते हैं । तरक्की नीति के बचाव में सीबीआई निदेशक ने कहा कि अनुशासन एवं निष्ठा के मुद्दे पर प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों से ज्यादा बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है क्योंकि उन्हें वापस उनके कैडर में भेजा जा सकता है जबकि आंतरिक कर्मियों और अधिकारियों के साथ ऐसा संभव नहीं है और वे ‘असंतुष्ट अधिकारियों’ का गुट बना लेते हैं । निदेशक की सफाई को खारिज करते हुए समिति ने कहा, ‘सीबीआई कैडर के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई जबकि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों को वापस उनके मूल कैडर में भेजने मात्र की कार्रवाई की दलील ही संकेत देती है कि संगठन में विभागीय कर्मियों और प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मियों के काम करने की स्थितियां अलग-अलग हैं ।’
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13-05-2013, 04:10 AM | #29662 |
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कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही उसकी पसंद की भाषा में हो :न्यायालय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार को अपने कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच और कार्यवाही उसकी पसंद की भाषा में चलानी होगी। न्यायालय ने एक सरकारी कर्मचारी की सजा को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उसके खिलाफ कार्यवाही उसकी इच्छा के अनुरूप हिंदी भाषा में नहीं चलाई गई। शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्मचारी की पसंद की भाषा में कार्यवाही नहीं चलाना उसके कारगर बचाव के अधिकार का उल्लंघन करना है। न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति जे एस खेहर की पीठ ने कहा, ‘‘अगर वैसा नहीं किया गया तो यह उस नियम का उल्लंघन करेगा जिसमें कहा गया है कि न्याय न सिर्फ किया जाना चाहिए बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। हालांकि, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए कि बचाव का यह अधिकार सिर्फ प्राधिकार द्वारा जुबानी सेवा तक सीमित नहीं हो जाए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘नैसर्गिक न्याय के इस पहलू का सार है कि बचाव के लिए अनुशासनात्मक प्राधिकार के समक्ष पर्याप्त और तर्कसंगत अवसर दिया जाना चाहिए और उस नियम से तनिक भी विचलन अवसर से वंचित करना होगा और इसका मतलब कानून की नजरों में कोई अवसर नहीं देना होगा।’’ न्यायालय ने यह आदेश एक सरकारी कर्मचारी की ओर से दायर अपील पर दिया जिसने अपने खिलाफ कार्यवाही और वेतनमान में कटौती की सजा को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उसके खिलाफ जांच की कार्यवाही उसकी इच्छा के खिलाफ अंग्रेजी में की गई जबकि वह हिन्दी में चाहता था।
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13-05-2013, 04:11 AM | #29663 |
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मुकेश अंबानी ने रिलायंस से वेतन में 24 करोड़ रुपए छोड़े
नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अरबपति मुखिया मुकेश अंबानी ने लगातार पांचवे साल कंपनी से अपना वेतन 15 करोड़ रुपए पर सीमित रखा है। इस दौरान उन्होंने 24 करोड़ रुपए का मेहनताना छोड़ दिया। रिलायंस के शेयरधारकों ने जितना वेतन उनके लिये मंजूर किया है उसमें से उन्होंने केवल 15 करोड़ रुपए का वेतन ही लिया। निजी क्षेत्र की इस सबसे बड़ी कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने 2008-09 से अपना वेतन सालाना 15 करोड़ रुपए पर स्थिर रखा है। आरआईएल की वर्ष 2012-13 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार ‘अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक का मेहनताना शेयरधारकों द्वारा मंजूरी प्राप्त 38.93 करोड़ रुपये के बजाय 15 करोड़ रुपये पर ही रखा गया। इस प्रकार उन्होंने प्रबंधन स्तर पर वेतन मामले में सुधार अथवा नरमी बरते जाने का उदाहरण पेश किया है।’ मुकेश अंबानी पिछले वित्त वर्ष के दौरान 38.93 करोड़ रपये के वेतन के हकदार रहे हैं लेकिन उन्होंने केवल 15 करोड़ रुपये का ही वेतन लिया। इस प्रकार उन्होंने 23.93 करोड़ रुपये की राशि कंपनी में छोड़ दी। इससे पिछले वर्ष भी अंबानी ने 23.82 करोड़ रुपये की राशि कंपनी में छोड़ दी। वर्ष 2012-13 के दौरान उनके वेतन में 4.16 करोड़ रुपये मूल वेतन, 60 लाख रुपये भत्ते और अन्य लाभ, 89 लाख रुपये सेवानिवृति लाभ और 9.35 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर शामिल हैं। मुख्य कार्यपालक अधिकारी के वेतन को उचित स्तर पर रखने की बहस के बीच अंबानी के वेतन को 15 करोड़ रुपये पर सीमित रखने का फैसला कंपनी में अक्तूबर 2009 में लिया गया।
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13-05-2013, 04:13 AM | #29664 |
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जामिया में लड़कियों के छात्रावास की आधारशिला रखेंगी सोनिया
नई दिल्ली। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी जामिया मिल्लिया इस्लामिया में लड़कियों के छात्रावास की आधारशिला रखने के लिए 14 मई को विश्वविद्यालय परिसर का दौरा करेंगी। जामिया मिल्लिया इस्लामिया की मीडिया समन्वयक सिमी मल्होत्रा ने कहा, ‘‘सोनिया गांधी विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं के नये छात्रावास के पट्टिका का अनावरण करने के लिए 14 मई को विश्वविद्यालय परिसर आएंगी। वह इस दौरान जामिया में एक संबोधन भी देंगी।’’ उन्होंने कहा कि सोनिया के सक्रिय हस्तक्षेप के चलते ही जामिया को लड़कियों के छात्रावास के निर्माण के वास्ते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से 26 करोड़ रुपये का अनुदान मिल पाया। उम्मीद है कि छात्रावास के निर्माण के बाद 400 और छात्राएं विश्वविद्यालय परिसर में रह सकेंगी। विश्वविद्यालय में वर्तमान समय में छात्राओं के लिए पांच छात्रावास हैं जिसमें 850 से अधिक छात्राएं रहती हैं।
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13-05-2013, 04:15 AM | #29665 |
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नये रेल मंत्री के समक्ष हैं कई चुनौतियां
नई दिल्ली। रेलवे में शीर्ष पदों पर नियुक्ति के लिए रिश्वत कांड सामने आने के बाद पांच शीर्ष पदों को पारदर्शी तरीके से भरना नये रेल मंत्री के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। रेल मंत्री को रिक्त पड़े सदस्य कर्मचारी, सदस्य ट्राफिक, पश्चिमी रेलवे महाप्रबंधक, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक और कोलकाता मेट्रो के लिए महाप्रबंधक पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों की खोज करनी होगी। गत दो मई को रेलवे बोर्ड सदस्य (कर्मचारी) बनने वाले पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक महेश कुमार को सीबीआई ने कथित तौर पर तत्कालीन रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के भांजे विजय सिंगला को रिश्वत देते हुए गिरफ्तार कर लिया था। कुमार कथित रूप से वह रिश्वत स्वयं की नियुक्ति सदस्य इलेक्ट्रिकल के पद पर कराने के लिए दे रहे थे। सीबीआई ने रेलवे में पद के लिए रिश्वत मामले में कुमार के अलावा नौ अन्य को गिरफ्तार किया है जिसके चलते बंसल को मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। फेडरेशन आफ रेलवे आफिसर्स एसोसिएशन ने यह दावा करते हुए कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा है कि हाल में रेलवे में रिश्वत के लगे आरोप कोई नयी बात नहीं है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि मंत्रालय वरिष्ठ पदों पर अपनी पसंद के अधिकारियों की तैनाती करने के लिए अक्सर नियमोंं से खिलवाड़ करता है या नियमों को तोड़ता मरोड़ता है। रेलवे के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार रेलवे को फिर से पटरी पर लाने के लिए वित्तीय सुधार के साथ प्रशासनिक सुधार समय की जरुरत है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूछा, ‘गृह जैसे अन्य सरकारी विभागों में सचिव का पद कभी भी खाली नहीं रहता। ऐसा ही रेलवे बोर्ड की नियक्तियों में क्यों नहीं किया जा सकता क्योंकि ये पद भी समान रूप से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के नियमों से संचालित होते हैं।’
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13-05-2013, 04:20 AM | #29666 |
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मकानों के दाम पिछले 30 साल में सबसे अनुकूल स्तर पर-एचडीएफसी
नई दिल्ली। मकान के लिये कर्ज देने वाले प्रमुख वित्त संस्थान आवास विकास वित्त निगम (एचडीएफसी) लिमिटेड के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन दशकों की स्थिति का आकलन किया जाये तो भारत में इस समय मकान के दाम खरीदारों के लिये सबसे अनुकूल स्थिति में हैं। एचडीएफसी ने एक प्रस्तुतिकरण में कहा है वर्ष 2008-09 में आवास रिण लेकर खरीदे जाने वाले मकान की औसत कीमत 25 लाख रुपए पर थी जो कि वर्ष 2012-13 में लगातार चौथे वर्ष बढती हुई 45 लाख रुपए तक पहुंच गई। लेकिन व्यक्तिगत आय बढने, कर प्रोत्साहन और निम्न ब्याज दरों के चलते आज लोग मकान खरीदने में पहले से अधिक समर्थ होते जा रहे हैं। एचडीएफसी द्वारा पिछले तीन दशकों के दौरान जुटाये गये ‘वहनीयता’ अनुपात के अनुसार वर्ष 2012-13 में मकानों की औसत कीमत इनके खरीदारों की सालाना आय के 4.7 गुणा तक रही है। जबकि इससे पहले 1994-95 में घर के दाम खरीदारों की सालाना आय के 22 गुणा तक उंचे थे। हालांकि, उसके बाद से लगातार इसमें गिरावट आती चली गई। वित्त संस्थान के प्रस्तुतीकरण के अनुसार वर्ष 1994-95 में जहां घर खरीदने वालों को औसतन उनकी सालाना आय के करीब 22 गुणा तक धन की आवश्यकता पड़ती थी वहीं आज औसतन उसे अपनी सालाना आय के पांच गुणा से भी कम राशि मकान खरीदने के लिये चाहिये। एचडीएफसी ने इन आंकडों को अपने ताजा वित्तीय परिणाम के साथ निवेशकों के समक्ष पेश किया है। वित्त संस्थान ने मकान के कारोबारी क्षेत्र में खरीदारों की क्षमता में सुधार की कई वजह गिनाई हैं। संस्थान के अनुसार लोगों के पास खर्च करने योग्य पहले से ज्यादा धन है। मकान के लिये कर्ज लेने पर ब्याज और मूल के भुगतान पर कर छूट तथा आवास रिण ग्राहकों के लिये अपेक्षाकृत निम्न ब्याज दरों से यह संभव हो सका है। एचडीएफसी के अनुसार देश में शहरीकरण का तेजी से विस्तार हो रहा है। देश की जनसंख्या का गणित भी इसे बढावा दे रहा है। कुल जनसंख्या में 60 प्रतिशत आबादी 30 साल से कम आयु की है, ऐसे में नये मकानों की मांग बढती जा रही है। इसमें मजे की बात यह है कि पिछले पांच साल से मकानों की औसत कीमत के लिहाज से वहनीयता का औसत 4.5 से 4.7 गुणा के दायरे में बना हुआ है, हालांकि इस दौरान आवासीय इकाइयों के दाम करीब दोगुने हो गये। प्रस्तुतीकरण के अनुसार वर्ष 2008-09 में आई अस्थाई गिरावट को यदि छोड दिया जाये तो वर्ष 2001-02 में पिछले दो दशक के न्यूनतम स्तर 15 लाख रुपए से नीचे जाने के बाद 11 साल से देश में मकानों के दाम बढते जा रहे हैं। हालांकि, इस दौरान आवास रिण लेने वाले ग्राहकों की औसत सालाना आय तीन गुणा बढकर चार लाख रुपए से 12 लाख रुपए पर पहुंच गई। उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार जब तक वहनीयता का स्तर 4.2 से 5.5 गुणा के दायरे में रहेगा तब तक आवास रिण की मांग मजबूत बनी रहेगी।
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13-05-2013, 04:22 AM | #29667 |
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माकपा ने ढाका में सीपीबी के दफ्तर पर बम हमले की निंदा की
नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने ढाका में बांग्लादेश कम्युनिस्ट पार्टी :सीपीबी: के दफ्तर पर धार्मिक चरमपंथियों के कथित बम हमले की आज कड़ी निंदा की। पिछले सप्ताह के हमले पर माकपा पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा, ‘जब से युद्ध पंचायट ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में विश्वासघाती भूमिका निभाने वाले कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ अपने फैसले सुनाने शुरू किए हैं, तब से ये ताकत हिंसा और अराजकता पर उतर आए हैं। सीपीबी पर हमला उसी साजिश का हिस्सा है।’ पार्टी ने कट्टरपंथी ताकतों के हमले के खिलाफ बांग्लादेश की जनता खासकर युवकों द्वारा विरोध करने पर खुशी जतायी है। उसने इस बात पर राहत प्रकट किया कि हमले के समय दफ्तर में मौजूद सभी शीर्ष सीपीबी नेता बाल-बाल बच गए।
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13-05-2013, 04:23 AM | #29668 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
दुराचार की कोशिश के आरोप में निलंबित रह चुके आईएएस अधिकारी को मिली तैनाती
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष अक्तूबर महीने में चलती ट्रेन में एक लड़की के साथ कथित दुराचार के आरोप में निलंबित आईएएस अधिकारी को लड़की के परिवार के साथ समझौता हो जाने के बाद पुन: बहाल कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्ष अक्तूबर में चलती ट्रेन में एक लड़की के साथ कथित दुराचार की कोशिश में निलंबित किए गये वर्ष 2001 बैच के आईएएस अधिकारी शशिभूषण सुशील को आज सिंचाई विभाग के विशेष सचिव के पद पर तैनात कर दिया है। सुशील पर जब दुराचार का आरोप लगा था, तब वे तकनीकी शिक्षा विभाग में विशेष सचिव थे। पिछले वर्ष अक्तूबर महीने में दिल्ली से लखनऊ आ रही लखनऊ मेल के एसी-2 कोच में यात्रा के दौरान सुशील पर एक लड़की के साथ कथित दुराचार का आरोप लगा था । लखनऊ रेलवे स्टेशन पर उक्त लड़की की मां की शिकायत पर जीआरपी लखनऊ ने इस संबंध में प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी, हालांकि सुशील ने उनके विरुद्ध लगे आरोप को गलत बताते हुए घटना को महज कहासुनी का मामला बताया था, मगर उन्हें निलंबित कर दिया गया था। प्रदेश सरकार ने बहरहाल शिकायतकर्ता महिला द्वारा अपनी शिकायत वापस ले लिये जाने के बाद सुशील का निलंबन समाप्त कर दिया और आज उन्हें सिंचाई विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनाती दे दी गयी।
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13-05-2013, 04:31 AM | #29669 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
केन्द्र को काला धन वापस लाने के लिये कदम उठाने चाहिए : स्वामी
विजयवाड़ा। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी ने आज केन्द्र सरकार से मांग की कि वह विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने के लिये कदम उठाये । स्वामी ने यहां एक समारोह में कहा, ‘केन्द्र सरकार को विदेशी बैंकों में जमा 70 लाख करोड़ रूपये को वापस लाने के लिये कदम उठाने चाहियें । अगर हम विदेशी बैंकों का सारा धन वापस लाते हैं तो देश के लोगों को अगले 15 साल तक किसी तरह का कर नहीं चुकाना पडेगा ।’ उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का सफाया होना चाहिये अन्यथा, ‘हम विकास नहीं कर सकेंगे। भ्रष्टाचार हर वर्ग में फैला हुआ है, खासकर उच्च वर्ग में ।’ स्वामी ने कहा, ‘प्रभावशाली भ्रष्टाचार से पद और सीट खरीद रहे हैं । आगामी चुनाव में जनता नि:सन्देह भ्रष्ट नेताओं को हरायेगी ।’ उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर मंत्रियों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में विफलता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल भी कर लेगी तो भी वे राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने का विरोध करेंगे । स्वामी ने उम्मीद जतायी कि भारत अगले पांच साल में सुपर पावर बन जायेगा । उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पर्याप्त युवा बल है और उनकी क्षमताओं के बेहतर इस्तेमाल के लिये उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिये।’
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13-05-2013, 04:41 AM | #29670 |
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Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
सेना ने आईईडी नष्ट कर त्रासदी रोकी
श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में स्थित हंडवाड़ा क्षेत्र में आतंकियों द्वारा लगाए गए आईईडी (देसी बम) को नष्ट कर सेना ने आज यहां एक बड़ी त्रासदी होने से रोक दी। अधिकारियों ने बताया कि 47 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने आज सुबह यहां से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हंडवाड़ा में संदिग्ध आतंकियों द्वारा सड़क किनारे लगाए गए एक 15 किलोग्राम वजनी आईईडी का पता लगाया। उन्होंने बताया कि एक बम निरोधक दस्ते को मौके पर भेजा गया, जिसने नियंत्रित विस्फोट कर इस विस्फोटक को नष्ट कर दिया।
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