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Old 09-02-2013, 09:34 AM   #21
anjaan
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anjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of light
Default Re: भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक

राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक को कहाँ पता था कि यह उनके जीवन का आखिरी दिन है। उनका सहायक विली नायर तमाम रंगों और तूलिकाओं को करीने से जमा चुका था। सामने खाली चित्रफलक था। यह वही घड़ी थी, जब अँधेरे को विदा होना था और रोशनी को दाखिल होना था। वे चित्र के विषय पर विचार करते हुए बैठे थे। बाहर, उनके साठ पूरे हो जाने पर मनाए जानेवाले उत्सव की साल भर से तैयारियाँ चल रही थीं। देह उनके लिए उत्सव ही रहा था। खास तौर पर स्त्री देह। पर, भीतर ही नहीं, बाहर भी एक हतप्रभ-सा अँधेरा था, जो तय नहीं कर पा रहा था कि उसे किसे निगलना है और किसे छोड़ना है। विली ने देखा, विदा हुई नींद से छूट कर गिर गया था कोई कच्चा स्वप्न। एक अजीब-सी पीड़ा में उन्होंने चित्रफलक को देखा और आँखें खाली चित्रफलक को देखती हुई स्थिर हो गईं। मृत्यु से कोई संधि नहीं, -- जिसे देखा नहीं, जिसका पता ही नहीं हो, उससे कैसी और कौन-सी संधि? फिर मृत्यु की यह खसलत है कि वह कलाहीन लोगों की तरफ से मुँह फेर लेती है, लेकिन, कलाकारों की तरफ बेसब्री से लपकती है। रात के विदा और दिन के आगमन की घड़ी में अचानक आ गई मृत्यु ने उनसे कहा होगा - लो चलो, अब चलो! बहुत कर लिया अब तुमने। एक जीवन में किए जानेवाले काम से ज्यादा।
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Old 09-02-2013, 09:34 AM   #22
anjaan
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Default Re: भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक

उन्होंने हजारों ईश्वर बनाये थे, लेकिन उस वक्त उनकी इमदाद के लिए एक भी अवतार नहीं आया और मृत्यु उन्हें चुपचाप अपने साथ ले कर चली गई। उनके सहायक विली नायर ने देखा, उनके जूते बाहर उतरे हुए हैं और वे जूते पहने बगैर ही इतनी दूर की यात्रा पर निकल गए हैं।

निश्चय ही राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक ने अपनी गहन बौद्धिक कला चेतना से एक अर्द्ध-विस्मृत संपदा को खंगालने का ही ईमानदार उपक्रम किया था, जिसके चलते उन्होंने हमारे पौराणिक अतीत को न केवल पुनराविष्कृत किया, बल्कि उसे समकालीनता की एक नई दीप्ति भी प्रदान की। लेकिन विडंबना यह है कि उनका वही काम उनकी निंदा और भर्त्सना बन कर उन्हीं से बदला लेने लगा।

अब जबकि डेढ़ सदी गुज़र चुकी है, फिर भी वे भारतीय कलाजगत के लिए अभी भी एक बिरादरी-बाहर चित्रकार हैं। लोग उन्हें पहले से कहीं ज्यादा नकारने के लिए उद्यत हैं। यहाँ तक कि कला की दुनिया में महान करने के दावे के साथ आनेवाला युवक भी, जिसे अभी न तो ठीक से रेखा खींचना आया है और न ही रंग का वाजिब उपयोग, वह भी राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक को कूड़ेदान में फेंकने के बाद अपना काम शुरू करता है।
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Old 09-02-2013, 09:34 AM   #23
anjaan
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कला के बाजारमुखी (मार्केट-ड्राइवन) समय में जबकि भारत में जलरंग का परंपरागत माध्यम लगभग हाशिए पर है और अधिकांश चित्रकार तेलरंग में ही काम करते हैं, भारत में तेलरंग में काम करने की शुरुआत करनेवाले इस चित्रकार को तब अपने तेलरंग माध्यम के कारण ही निंदा का पात्र बनना पड़ा था। उन्हें स्वदेशी भावना के विरुद्ध काम करनेवाला चित्रकार बताया गया था, क्योंकि तब तेलरंग एक अभारतीय माध्यम था।

आज निश्चय ही एक नए और अनौपचारिक साम्राज्यवाद की चतुर्दिक वापसी हो रही है, ऐसे में राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक को फिर से आविष्कृत कहने की जरूरत है, क्योंकि उन्होंने कला में हमारे उस पापुलर का सृजन किया, जिसके चलते हमने अपने पौराणिक अतीत को समकालीन बनाया। वे लोक और शास्त्र के मध्य एक अखंड सेतु थे। उनकी कला का डीएनए हमारी परंपरा से मिलता है। उन्हें पश्चिम की बाजारोन्मुख समकालीन कलाकार बिरादरी चाहे अपने गोत्र का न मान कर भूल जाए, लेकिन उनकी कृतियाँ ही उनका कीर्ति स्तंभ हैं। उन्हें हम भारतीय चाहे याद न करें, लेकिन ईश्वर जरूर याद रखेगा, क्योंकि उन्होंने उसके कुनबे और अवतारों को मनुष्यों से परिचित कराया था। ईश्वर जब तक जिंदा रहेगा, आकाश से राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक के प्रति आभार प्रकट करता रहेगा। कला मर्मज्ञों की रेवड़ उन्हें चाहे दफ्न कर दे, लेकिन वे उस अमर को गढ़ते हुए स्वयं कलाजगत के अनश्वर नागरिक हो चुके हैं। वे अपनी तमाम आलोचनाओं और निंदाओं से ऊपर हमेशा याद आते रहेंगे।
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