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Old 12-08-2012, 02:13 PM   #1
stolen heart
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stolen heart will become famous soon enough
Default कुरआन और विज्ञान |

जब से इस पृथ्वी ग्रह पर मानवजाति का जन्म हुआ है, तब से मनुष्य ने हमेशा यह समझने की कोशिश की है कि प्राकृतिक व्यवस्था कैसे काम करती है, रचनाओं और प्राणियों के ताने-बाने में इसका अपना क्या स्थान है और यह कि आखि़र खु़द जीवन की अपनी उपयोगिता और उद्देश्य क्या है ? सच्चाई की इसी तलाश में, जो सदियों की मुद्दत और धीर - गम्भीर संस्कृतियों पर फैली हुई है संगठित धर्मो ने मानवीय जीवन शैली की संरचना की है और एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में ऐतिहासिक धारे का निर्धारण भी किया है ।
कुछ धर्मो की बुनियाद लिखित पंक्तियों व आदेशों पर आधारित है जिन के बारे में उनके अनुयायियों का दावा है कि वह खुदाई या ईश्वरीय साधनों से मिलने वाली शिक्षा का सारतत्व है जब कि अन्य धर्म की निर्भरता केवल मानवीय अनुभवों पर रही है ।
क़ुरआन पाक, जो इस्लामी आस्था का केंद्रीय स्रोत है एक ऐसी किताब है जिसे इस्लाम के अनुयायी मुसलमान, पूरे तौर पर खु़दाई या आसमानी साधनों से आया हुआ मानते हैं। इसके अलावा क़ुरआन -ए पाक के बारे में मुसलमानों का यह विश्वास, कि इसमें रहती दुनिया तक मानवजाति के लिये निर्देश मौजूद है, चूंकि क़ुरआन का पैग़ाम हर ज़माने, हर दौर के लोगों के लिये है, अत: इसे हर युगीन समानता के अनुसार होना चाहिये, तो क्या क़ुरआन इस कसौटी पर पूरा उतरता है?, प्रस्तुत शोध - पत्र में मुसलमानों के इस विश्वास का वस्तुगत विश्लेषण objective analysis पेश किया जा
रहा है जो, क़ुरआन के इल्हामी साधन द्वारा अवतरित होने की प्रमाणिकता को वैज्ञानिक खोज के आलोक में स्थापित करती है । मानव इतिहास में एक युग ऐसा भी था जब ‘‘चमत्कार‘‘ या चमत्कारिक वस्तु मानवीय ज्ञान और तर्क से आगे हुआ करती थी चमत्कार की आम परिभाषा है, ऐसी ‘‘वस्तु‘‘ जो साधारणतया मानवीय जीवन के प्रतिकूल हो और जिसका बौद्धिक विश्लेषण इंसान के पास न हो। फिर किसी भी वस्तु को करिश्मे के तौर पर मानने से पहले हमें बहुत बचना
पडे़गा जैसे 1993 में ‘‘टाइम्स ऑफ इंडिया‘‘ मुम्बई में एक ख़बर प्रकाशित हुई, जिस में ‘‘बाबा पायलट‘‘ नामी एक साधू ने दावा किया था कि वह पानी से भरे एक टैंक के अंदर लगातार तीन दिन और तीन रातों तक पानी में रहा, अलबत्ता जब रिपोर्टरों ने उस टैंक की सतह का जायज़ा लेने की कोशिश की तो उन्हें इसकी इजाज़त नहीं मिली ।
बाबा ने पत्रकारों को उत्तर दिया किसी को उस मां के गर्भ (womb) का विश्लेषण करने की आज्ञा कैसे दी जा सकती है जिससे बच्चा जन्म लेता है साफ़ जा़हिर है कि ‘‘साधू जी‘‘ कुछ ना कुछ छुपाना चाह रहे थ,े और उनका यह दावा सिर्फ़ ख्याति प्राप्त करने की एक चाल थी, यक़ीनन नये दौर का कोई भी व्यक्ति जो तर्क संगत सोच (Rational thinking) की ओर थोड़ा झुकाव रखता होगा ऐसे किसी चमत्कार को नहीं मानेगा। अगर ऐसे झूठे और आधारहीन ‘‘चमत्कार‘‘ अल्लाह द्वारा घटित होने का आधार बने तो नऊज़ू-बिल्लाह हमें दुनिया के सारे जादूगरों को ख़ुदा के अस्ल प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार करना पडे़गा।
एक ऐसी किताब जिसके अल्लाह द्वारा अवतरित होने का दावा किया जा रहा है उसी आधार पर एक चमत्कारी जादूगर की दावेदारी भी है तो उसकी पुष्टि verification भी होनी चाहिये। मुसलमानों का विश्वास है कि पवित्र क़ुरआन अल्लाह द्वारा उतारी हुई और सच्ची किताब है जो अपने आप में एक चमत्कार है, और जिसे समस्त मानव जाति के कल्याण के लिये उतारा गया है। आइये हम इस आस्था और विश्वास की प्रमाणिकता का बौद्धिक विश्लेषण करते हैं ।
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