13-02-2011, 05:09 PM | #3281 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
रमेश- सीधी बात है, जिसके पास दिमाग होगा वह प्यार के चक्कर में क्यों पड़ेगा।
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13-02-2011, 05:11 PM | #3282 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
प्रेमी (प्रेमिका से)- अभी यहाँ तुम्हारे पास आते समय रास्ते में कहीं मेरी कलम खो गई। प्रेमिका- मेरी तो आज तक कभी कोई चीज नहीं खोई। प्रेमी- क्यों झूठ बोल रही हो? कल ही तो तुम कह रही थी कि मेरा दिल न जाने कहाँ को गया है।
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13-02-2011, 05:20 PM | #3283 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
प्रिय, इस वेलेंटाइन डे पर मुझे क्षमा कर देना। इस बार मैं तुम्हें न तो ग्रीटिंग कार्ड भेज पाऊँगा और न कोई फूल। भगवान के लिए यह मत समझना कि तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम कम हो गया है। मेरा प्रेम तो कल भी अमर था, आज भी अमर है और कल भी अमर रहेगा। कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है कि तुम मेरी हीर हो और मैं तुम्हारा राँझा। पर मेरी हीर, दुख इस बात का है कि इस वेलेंटाइन डे पर तुम्हारा यह राँझा अपना पवित्र प्रेम सिद्ध करने में असमर्थ है।
हर वेलेंटाइन डे पर मैं तुम्हें रंग-बिरंगे गुलाब और सुंदर लव कार्ड्*स भेजता था पर इस बार महँगाई नामक एक डायन ने मेरा सारा वेलेंटाइन भूत उतार दिया है। बाजार-ए-हाल यह है कि गुलाब के फूल काँटों की मानिंद चुभने लगे हैं। रंग-बिरंगे फूलों के भाव सुनकर चेहरे का रंग उड़ने लगा है। मंदिरों में भगवान भी अपने भक्तों से खफा हैं कि इस बार पूजन सामग्री में फूल कम और पत्तियाँ ज्यादा हैं। पिछले दिनों मेरे नगर में एक बारात कन्या के द्वार से सिर्फ इस कारण लौट गई कि जब मेहबूब बंदनवार तक आए तो बहारों ने महँगे फूल नहीं बरसाए। एक पाला पीड़ित गाँव में राहत बाँटने आए मंत्रीजी तब उखड़ गए जब एक गाँधीवादी सरपंच ने उनका स्वागत फूल मालाओं की जगह सूत की मालाओं से कर डाला। ND आहा! वे दिन भी क्या थे जब मैं वेलेंटाइन डे पर तुम्हें बुके भेंट करता था और अपने थोकबंद प्रेम का इजहार करता था। हम बुके के फूलों की मानिंद इक दूजे में खो जाते थे। समय बदला, मूल्य सूचकांक बदला और मैं धीरे-धीरे फूल पर आ गया। कसम से यूँ बहुवचन से एकवचन पर आना मुझे कतई अच्छा नहीं लगा। पर मरता क्या न करता, मेरा परिवार कोई भारत सरकार तो है नहीं, जो पहले घाटे का बजट बनाए और फिर घाटे को पूरा करने के लिए नई करेंसी भी छपवाए पर इस बार तो लगता है कि बाजार से फूल तो क्या कली भी खरीदने का आर्थिक साहस मुझमें नहीं। तुम्हें पता है इस बार मुझे और मेरे परिवार को प्याज ने कितना रुलाया है? पेट्रोल ने कितना जलाया है? खैर, तुम क्या जानो, तुम्हें तो कॉलेज में हमेशा लिफ्ट मिलती रही। मुझ जैसे प्रेम-पुजारी से पूछो जो दिल पर पत्थर रखकर तुम्हें लिफ्टाते रहे। इधर दिल के अरमाँ महँगाई के आँसुओं में बहते रहे और उधर प्रेम का सारा रसायन शास्त्र पेट्रोल के अर्थशास्त्र में नष्ट होता रहा। कल जब मैं तुम्हारे लिए एक अदद ग्रिटिंग लेने कॉर्ड गैलेरी पहुँचा तो कार्ड के भाव देख मेरी आँखों के सामने अमावस्या का अंधेरा छा गया। मैं उलटे पाँव घर वापस आया और ऐसा पुराना कार्ड ढूँढ़ने लगा जिस पर किसी का नाम-वाम न लिखा हो। पर हाय! लोग भी कितने निष्ठुर हैं। कार्ड पर नाम ऐसे लिख डालते हैं मानो कोई एग्रीमेंट साइन कर रहे हों। अब तुम ही बताओ प्रिय, इस बार मैं अपने अमर प्रेम का इजहार करूँ तो कैसे करूँ।
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
13-02-2011, 05:35 PM | #3284 | |||||
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
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पोस्ट करते समय ये ध्यान रहे की ये रिपीट ना हों आपके सारे पोस्ट रिपीट हैं जो की पहले ही इस सूत्र पर किये जा चुके हैं
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13-02-2011, 05:48 PM | #3285 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
रमन- यदि आपकी प्रेमिका खूबसूरत, समझदार, ध्यान रखने वाली, कभी न जलने वाली और अच्छे व्यंजन बनाने वाली हो तो उसे आप क्या नाम देंगे? चमन- अफवाह!
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13-02-2011, 05:57 PM | #3286 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
एक बार पति-पत्नी में किसी बात को लेकर तकरार हो रही थी।
आखिरकार पत्नी ने झल्ला कर कहा- जब अक्ल बँट रही थी तो उस वक्त तुम कहाँ थे? पति ने फौरन कहा- उस वक्त हमारे-तुम्हारे फेरे जो हो रहे थे।
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13-02-2011, 05:59 PM | #3287 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
एक युवती ने अपनी दादी से कहा- कल से मैं कॉलेज नहीं जाऊँगी।
मोहल्ले के लड़के मुझे छेड़ते हैं। दादी ने उसे डाँटते हुए कहा- अरे, बहाने मत बना। मैं भी तो उसी रास्ते से जाती हूँ। मुझे तो कभी किसी ने नहीं छेड़ा।
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13-02-2011, 06:04 PM | #3288 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
प्रेमी (प्रेमिका से)- पता है...! शादी के पहले मैं बहुत आवारा गर्दी किया करता था। क्या तुम भी ऐसा ही करती थी? प्रेमिका- कैसी बात करते हो...! अब बिना गुण मिले शादी थोड़े ही हो सकती है।
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13-02-2011, 06:08 PM | #3289 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
एक दक्षिण भारतीय व्यक्ति की नई-नई शादी हुई। एक दिन उसने खाने पर अपने उत्तर भारतीय मित्र को बुलाया। दक्षिण भारतीय व्यक्ति की पत्नी खाना परोसते समय कहना तो यह चाहती थी कि खाइए-खाइए, शर्म न कीजिए, लेकिन हिन्दी ठीक न आने के कारण बोल पड़ी- 'खाओ-खाओ शर्म तो है नहीं।'
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13-02-2011, 06:11 PM | #3290 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले
रमेश- यार! तुम्हें पता है... मेरे पापा के आगे अमीर से अमीर आदमी भी कटोरा लेकर खड़े रहते थे। नरेश- ऐसे कितने अमीर थे वो ? रमेश- अमीर नहीं... वो क्या है कि मेरे पापा गोल-गप्पे का ठेला लगाते थे।
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