15-06-2014, 11:48 PM | #111 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
>>>एक नज़्म क्या कहें सरपंच भाई क्या ज़माना आ गया
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15-06-2014, 11:51 PM | #112 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
अदम गोंडवी
>>>एक नज़्म क्षणिक आवेश जिसमें हर युवा तैमूर था
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15-06-2014, 11:53 PM | #113 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
अदम गोंडवी
>>>एक नज़्म दुधमुँहा बच्चा व बुड्ढा जो वहाँ खेड़े में था
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15-06-2014, 11:55 PM | #114 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
अदम गोंडवी
>>>एक नज़्म धर्म संस्कृति और नैतिकता के ठेकेदार को
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16-06-2014, 11:08 PM | #115 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
मौलाना हसरत मोहानी (Maulana Hasrat Mohani)
(वास्तविक नाम: सैयद फजलुल हसन) जन्म: 1 जनवरी, 1875 मृत्यु: 13 मई, 1951 ^^ ^ ^ ^ भारत सरकार द्वारा महान उर्दू शायर तथा स्वतंत्रता सैनानी मौलाना हसरत मोहानी के सम्मान में दिनांक 25 फरवरी 2014 को उपरोक्त डाक टिकट जारी किया गया.
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16-06-2014, 11:52 PM | #116 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
मौलाना हसरत मोहानी
^^^^^^^ ^^^^^^^ 1 जनवरी, 1875 के दिन उत्तरप्रदेश के उन्नाव में जन्मे मौलाना हसरत मोहानी अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आज़ादी की जंग मेंशामिल रहे और कई साल जेल में भी रहे. ऑल इंडिया मुस्लिम लीग में रह करहसरत मोहानी ने सब से पहले आज़ादी-ए-कामिल (पूर्ण स्वराज्य) की मांग की. आज़ादी के दीवानों को “इन्कलाब ज़िन्दाबाद” जैसा क्रांतिकारी नारा हसरत मोहानी की देन है (1921). भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI ) के संस्थापकों में से एक थे. आज़ादी के बाद उस वक़्त के कुछ बड़े शायर, मसलन जोश मलीहाबादी, नासिरकाज़मी पाकिस्तान चले गए लेकिन हसरत मोहानी ने भारत में रहना पसंद किया औरभारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली संविधान सभा के सदस्य भी रहे. हसरत मोहानी की मृत्यु 13 मई, 1951 को, लखनऊ में हुई. उन्हें ‘मोहब्बत का शायर’ कहा जाता है, उन्होंने “चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है” जैसी अमर रचना लिखी है. दिल ही निकाल कर बिछा दिया, उन्होंने अपने वतन सेभी बेपनाह मोहब्बत की. वे खुदा के नेक-काबिल बन्दे थे. >>>
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16-06-2014, 11:59 PM | #117 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
^ मौलाना हसरत मोहानी संविधान सभा के सदस्य थे. चित्र में वे सभा के अध्यक्ष बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के साथ विचार विमर्श करते हुये.
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17-06-2014, 12:02 AM | #118 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
मौलाना हसरत मोहानी
मौलाना बहुत ही मज़हबी आदमी थे, नमाज़ रोजे़ के पाबन्द, कादरिया सिलसिले के मुरीद, लेकिन ये इमान था उनका कि किसी के मज़हब को बुरा कहना और न ये समझना कि वो बुरा हैअपना मजहब अपने साथ उसका मज़हब उसके साथ। सिर्फ यही नहीं बल्कि जितने और रिचुअल थेमसलन हज़ करने वो हर साल जाया करते थे। हर साल हज करके आ रहे हैं तो एक दफ़ा किसी ने मौलाना से पूछा कि मौलाना ये एक दफा हज होता है, दो दफ़ा हज होता है, आप हर साल क्योंजाते हैं ? कहने लगे कि आप समझते नहीं हैं। ये एक इंटरनेश्नल गैदरिंग होती है। जिसमेंतरह तरह के मसायल आते हैं और मैं अपनी बात कहता हूं। मैं अपनी बात समझाने की कोशिश करता हूं लोगों को। एक खुसूसियतये थी मौलाना की कि वो कृष्णजी को नबी समझते थे और बड़ेमौतकित्त थे- और अपना हज़, कहते थे मेरा हज मुक्कमिल नहीं होता जब तक मैं वापस आकेमथुरा और वृन्दावन में सलाम न कर लूं। तो वहां से आके पहले पहुंचते थे मथुरा, वृन्दावन और वहां सलाम करते थे और फिर बेइन्तहा कतात और वहाईयां कृष्णजी के बारेमें उनकी मौजूद हैं। >>>
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17-06-2014, 07:45 AM | #119 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
हसरत मोहानी साहब कीएक दिलचस्प बात यह थी कि वोनमाज फौरन दो मिनट में खत्म कर देते थे। लोग कहते कि अभी हमने शुरू भीनहीं किया अभी अलहम पर पहुंचे हैं और तुम... नमाज भी खत्म हो गई तुम्हारी, वो कहतेथे कि देखिए आप ख़त लिखते हैं तो बिसमिल्लाह पूरा लिखते हैं ..... क्या करते हैं ? कहनेलगे 786 लिखते हैं न आप। क्यों ? इसलिए कि आपने बिसमिल्लह इर्र रहमान रहीम कोहुरूफ़ को बदल दिया अपने नम्बर्स में। यानि 786 में कहने का मतलब है कि बिसमिल्लाहइर्र रहमान ऐ रहीम। तो नमाज में जितनी सूरते हैं जितनी आयतें पढ़नी होती हैं सबकेनम्बर उसके निकाल लिए हैं इसी हिसाब से और वो नम्बर पढ लेता हूं तो आयत हो जाती है, इस तरह नमाज पूरी होती जाती है मेरी। इस किस्म की चीजें मौलाना में देखने को मिलती थीं।
आइये अब मौलाना के कलाम पर भी एक नज़र डालते हैं.
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17-06-2014, 08:05 AM | #120 |
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Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
ग़ज़ल
शायर: मौलाना हसरत मोहानी चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है,उक्त ग़ज़ल मौलाना की सार्वाधिक लोकप्रिय ग़ज़लों में शुमार की जाती है. उपमहाद्वीप के जाने माने ग़ज़ल गायक गुलाम अली ने भी इस ग़ज़ल को अपनी पुरकशिश आवाज़ में गा कर जन जन तक पहुंचाने का काम किया है. उनके द्वारा गायी गई इस ग़ज़ल (चुने हुए शे'र) को सुनना चाहें तो निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें: http://www.youtube.com/watch?v=SZCGW4v-0fE
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