28-09-2011, 10:55 PM | #1 |
अति विशिष्ट कवि
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धूप खिलने को है
मेरी किताब में इक मोर - पंख रख भेजा . आँख अर्से से तरसती थीं एक मेहमां को ; उसने इनके लिए ख़्वाबों का काफ़िला भेजा . फिर से आकाश में बादल पे रंग चढ़ने लगे ; धूप खिलने को है , सूरज ने दिलासा भेजा . गुनगुने झोंकों ने फ़िर बर्फ़ पे हमला बोला ; बसंत बन के फ़िर फूलों का सिलसिला भेजा . बिख़र चुकी थी ज़िन्दगी वरक - वरक हो के ; हमारे कल का बेहतरीन मसौदा भेजा . आज कल आईना भी बावलापन करने लगा ; निहारता हूँ जब , बस उसका ही चेहरा भेजा . अब उसके साथ मिल , मुझको जो गुनगुनाना है ; वो गीत लिखना मुझे , उसने बस मुखड़ा भेजा . रचयिता ~~डॉ .राकेश श्रीवास्तव विनय खण्ड,गोमती नगर,लखनऊ . Last edited by Dr. Rakesh Srivastava; 29-09-2011 at 07:30 AM. |
28-09-2011, 10:59 PM | #2 | |
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Re: धूप खिलने को है
Quote:
बहुत ही खूब राकेश जी ऐसे ही लिखते रहिये |
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
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28-09-2011, 11:05 PM | #3 | |
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Re: धूप खिलने को है
Quote:
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जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। -------------------------------------------------------------------------- जिनके घर शीशो के होते हे वो दूसरों के घर पर पत्थर फेकने से पहले क्यू नहीं सोचते की उनके घर पर भी कोई फेक सकता हे -------------------------------------------- Gaurav Soni
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28-09-2011, 11:10 PM | #4 |
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Re: धूप खिलने को है
डॉ.साहेब एक और बेहतरीन तोहफा फोरम वासियों को
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28-09-2011, 11:14 PM | #5 |
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Re: धूप खिलने को है
माननीय सिकंदर जी , युवराज जी , malethiya ji एवं गौरव सोनी जी
आप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद . Last edited by Dr. Rakesh Srivastava; 28-09-2011 at 11:16 PM. |
28-09-2011, 11:22 PM | #6 |
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Re: धूप खिलने को है
अति विशिष्ट कवि की एक और अति विशिष्ट कविता..
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
29-09-2011, 12:00 AM | #7 |
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Re: धूप खिलने को है
Ashisays जी , आपका शुक्रिया .
आशा है आपका प्यार यूं ही बरकरार रहेगा . |
29-09-2011, 05:53 PM | #8 |
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Re: धूप खिलने को है
ओह डॉ राकेश श्रीवास्तव जी, आप यहा भी है। चलो बहुत अच्छा हुआ। ये फोरम तो हिन्दी का बहुत ही अच्छा फोरम लग रहा है। मैंने हिंदीक्लब पर आपका कविता पढ़ा था और आपके द्वारा ही यहा का पता चला।
आपका धन्यवाद। |
29-09-2011, 08:08 PM | #9 |
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Re: धूप खिलने को है
सुंदर प्रस्तुति के लिए धन्येवाद आपका
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29-09-2011, 08:45 PM | #10 | |
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Re: धूप खिलने को है
Quote:
क्या पंच मारा है एकदम सॉलिड मजा आ गया
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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