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26-08-2012, 04:39 PM | #1 |
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याद रहेंगे हंगल
सुपरहिट फिल्म शोले में ‘इमाम साहब’ की यादगार और ‘नमक हराम’ तथा ‘शौकीन’ जैसी फिल्मों में विशिष्ट चरित्र अभिनेता के रूप में अभिनय को नए आयाम देकर पिछले करीब चार दशकों से बॉलीवुड पर राज करने वाले मंजे हुए रंगमंच कलाकार ए. के. हंगल का रविवार को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। पद्म भूषण हंगल के बेटे विजय ने बताया कि उनके पिता काफी दिनों से बीमार थे। उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था। उन्हें 16 अगस्त को आशा पारेख अस्पताल में भर्ती कराया गया था और जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटीलेटर) पर रखा गया था, लेकिन इससे भी जब उन्हें कोई फायदा नहीं पहुंचा तो वेंटीलेटर भी हटा लिया गया था, जहां सुबह करीब नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। इससे दो दिन पहले वह अपने बाथरूम में गिर पड़े थे जिससे उनकी दार्इं जांघ की हड्डी टूट गई थी। चार दशकों तक बॉलीवुड में आए बदलाव के अनुरूप खुद को ढालकर 250 से भी अधिक फिल्मों में काम करने वाले इस मशहूर अभिनेता के निधन की खबर सुनते ही उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई। उनका शव सांताक्रूज स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शनार्थ रखा गया, जहां बड़ी संख्या में बॉलीवुड की हस्तियां, उनके परिजनों और प्रशंसकों का तांता लग गया। लोग नम आंखों से अपने चहेते अभिनेता की अंतिम झलक पाने के लिए बेताब थे। हंगल के सांताक्रूज आवास पर परिवार के एक सदस्य ने कहा कि हंगल का निधन उनके परिवार, प्रशंसकों और फिल्म जगत के लिए एक बड़ा झटका है। नमक हराम, शोले और लगान जैसी हिट फिल्मों में काम करने वाले हंगल कुछ दिन पहले ही छोटे पर्दे के धारावाहिक ‘मधुबाला’ में नजर आए थे। इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) के साथ बढ़-चढ़कर काम करने वाले हंगल ने गुड्डी, बावर्ची, शोले, तीसरी कसम और अवतार समेत 250 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया था। उनकी अंतिम फिल्म वर्ष 2005 में ‘पहेली’ थी। हंगल को वर्ष 2006 में पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया था। हंगल ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।
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26-08-2012, 04:40 PM | #2 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
हिंदी सिनेमा ने कहा, हंगल के निधन से बॉलीवुड में सन्नाटा
हिंदी सिनेमा जगत ने दिवंगत कलाकार ए के हंगल को याद करते हुए कहा कि उनके निधन से बॉलीवुड में ‘सन्नाटा ’ छा गया है। हंगल ने आज सुबह नौ बजे उपनगर सांताक्रूज के आशा पारेख अस्पताल में अंतिम सांस ली। अभिनेत्री शबाना आजमी ने ट्विटर पर अपने शोक संदेश में लिखा, ‘ए के हंगल नहीं रहे। एक युग समाप्त हो गया। उन्होंने रंगमंच और फिल्मों को विभूषित किया।’ फिल्मकार शेखर कपूर ने ट्वीट किया, ‘ए के हंगल । जीवनभर रंगमंच पर अभिनय की कला को समर्पित रहे। उनकी फिल्मों के जरिये उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।’ अभिनेता अनुपम खेर ने ट्विटर पर लिखा, ‘हंगल साहब हम आपकी कमी महसूस करेंगे। श्रद्धांजलि।’ अमिताभ बच्चन के होम प्रोडक्शन वाली फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ (2006) में हंगल के साथ अभिनय कर चुके अरशद वारसी ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी। वारसी ने कहा, ‘मुझे अपनी पहली फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ में ए के हंगल के साथ काम करने का अवसर मिला। उनकी आत्मा को शांति मिले।’ कुणाल कोहली ने ट्वीट किया है, ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई। श्रद्धांजलि ए के हंगल सर।’ अभिनेता कुणाल खेमू ने लिखा, ‘मुझे याद आ रहा है जब ए के हंगल से इप्टा में बलराज साहनी ट्रॉफी प्राप्त की थी।’ फिल्मकार महेश भट्ट ने कहा, ‘अलविदा हंगल साहब। क्या पारी रही।’ फिल्मकार अशोक पंडित ने कहा, ‘जानेमाने अभिनेता ए के हंगल नहीं रहे। उनका निधन हो गया। इप्टा में उनके साथ बेहतरीन क्षण बिताए। उनकी आत्मा को शांति मिले।’ निर्देशक अनुभव सिन्हा ने लिखा, ‘क्या यह लोगों के जाने का साल है? कई लोग जा रहे हैं। हंगल साहब को श्रद्धांजलि।’
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26-08-2012, 04:41 PM | #3 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
एक कुशल दर्जी भी थे हंगल
फिल्मों में ए के हंगल के नाम से मशहूर वरिष्ठ चरित्र अभिनेता अवतार किशन हंगल बाकायदा एक प्रशिक्षित दर्जी भी थे और उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत इसी पेशे से की थी। ए.के. हंगल के परिवार के सभी लोग वरिष्ठ सरकारी पदों पर थे और ऐसी स्थिति में उनके दर्जी बनने पर गहरी आपत्ति तो होनी ही थी। हंगल उस समय मुंबई में थे जब उन्हें दर्जी बनने का शौक चढा था। उस समय उन्होंने अभिनय की दुनिया की ओर रूख नहीं किया था। ए के हंगल इंग्लैंड से प्रशिक्षित एक दर्जी से प्रशिक्षण लेना चाहते थे लेकिन उसकी फीस पांच सौ रूपये थी। पांच सौ रूपये उस जमाने में बहुत बडी रकम हुआ करती थी। उन्होंने फीस की रकम अपने पिता हरि किशन हंगल से मांगी लेकिन उन्होंने रकम देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद जब हंगल ने पिता को कभी घर वापस न.न आने की धमकी दी तो उन्होंने मजबूरन उन्हें फीस के पैसे भेज दिये। हंगल के मुताबिक इसके बाद उन्होंने टेलरिंग सीखी और उस जमाने में चार सौ रूपये महीने कमाने लगे। हालांकि इस काम के लिए उन्हें घर से बगावत करनी पडी। हंगल ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके परिवारवाले अंग्रेजों के जमाने में अधिकारी थे और वे चाहते थे कि वह भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चले। पिता की मर्जी के खिलाफ हिन्दी फिल्मों का यह भीष्म पितामह न. सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम से जुडकर कई बार जेल गया बल्कि बाद में भी नये नये शौक अपनाकर अपनी मर्जी से जीता रहा। हंगल ने अपने जीवन के हर शौक को पूरी जीवंतता से पूरा किया। वह स्वतंत्रता सेनानी ् कुशल दर्जी और चरित्र अभिनेता की भूमिकाओं में पूरी तरह फिट रहे।
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26-08-2012, 04:41 PM | #4 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
हंगल ने किया था छोटे पर्दे की ‘मधुबाला’ का नामकरण
रंगमंच और सिनेमा के दिग्गज अभिनेता एके हंगल आखिरी बार छोटे पर्दे के चर्चित सीरियल ‘मधुबाला-एक इश्क एक जुनून’ में नजर आए थे और उन्होंने इस सीरियल के प्रमुख पात्र का नामकरण किया था। टेलीविजन चैनल कलर्स पर जून में इस सीरियल की शुरुआत हुई और इसके जरिए अरसे बाद हंगल साहब दर्शकों से रूबरू हुए, लेकिन शायद ही किसी को पता था कि यहां हंगल आखिरी बार कैमरे के सामने हैं। इस सीरियल के लिए हंगल की ओर की गई शूटिंग और उस लम्हे को मशहूर अभिनेता रजा मुराद बड़ी शिद्दत से याद करते हैं। मुराद भी इस सीरियल में काम कर रहे हैं। मुराद ने कहा, ‘हंगल साहब लंबे वक्त बाद कैमरे के सामने आए थे। ऐसा लगा कि कोई बच्चा कैमरे के सामने है। उनमें बच्चों जैसी मासूमियत थी और उनमें उसी तरह कुछ करने का जज्बा था। वह सीरियल में बच्ची का नाम ‘मधुबाला’ रखते हैं। यह दृश्य उनके करियर का आखिरी काम था।’ उन्होंने कहा, ‘हंगल साहब इस सीरियल में काम करने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन उन्हें मनाया गया तो वह तैयार हो गए।’ हंगल व्हीलचेयर पर सेट पर पहुंचे हालांकि वह खुद भी इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं थे कि वह दोबारा कैमरे का सामना कर पाएंगे या नहीं, लेकिन एक बार कैमरा शुरू होते ही उनके भीतर का अभिनेता जाग उठा। हंगल के साथ मुराद ने अपने करियर की तीन प्रमुख फिल्मों ‘नमक हराम’, ‘राम तेरी गंगा मैली’ और डकैत में काम किया। मुराद कहते हैं, ‘वह रंगमंच के बेहतरीन कलाकार होने के साथ ही फिल्मों में भी बेहद सफल रहे। वह बेहद सरल स्वभाव के थे।’ उन्होंने कहा, ‘हंगल साहब एक स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता सेनानी और कलाकार के रूप में वह हमेशा हमारे दिलों में बने रहेंगे। मुझे उनका काफी प्यार मिला।’ करीब 225 फिल्मों और कई टेलीविजन कार्यक्रम में काम करने वाले हंगल का आज मुंबई में निधन हो गया। वह 95 साल के थे। ‘शोले’ में हंगल द्वारा निभाया गया रहीम चाचा का किरदार आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।
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26-08-2012, 04:42 PM | #5 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
हंगल को अंतिम विदाई देने नहीं पहुंचा कोई बड़ा कलाकार
हिंदी फिल्मों के जानेमाने कलाकार ए के हंगल का अंतिम संस्कार आज मुम्बई में किया गया, जहां उनके दोस्तों, परिजनों और चाहने वालों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। हंगल ने कई फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं अदा कीं और अपने किरदार के लिए जाने जाते रहे लेकिन आज दोपहर करीब एक बजे मुंबई के विले पार्ले में पवन हंस शवदाहगृह में जब हंगल के पुत्र विजय ने पार्थिव देह को मुखाग्नि दी तो दुख की बात है कि कोई बड़ा बॉलीवुड कलाकार उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद नहीं था। हंगल के बेटे विजय ने पीटीआई से कहा, ‘यह बहुत बड़ी क्षति है। मैं उनके निधन से दुखी हूं। वह अपने काम और जिंदगी को लेकर बहुत खुश और जिंदादिल थे। मैं अभी इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।’ फिल्मों में दादा, पिता, चाचा जैसे अनेक चरित्र किरदार अदा करने वाले हंगल को अंतिम विदाई देने राकेश बेदी, रजा मुराद, अवतार गिल, इला अरुण और कुछ अन्य लोग पहुंचे। रजा मुराद ने कहा, ‘उन्होंने सभी सुपरस्टार के साथ काम किया लेकिन दुख की बात है कि इंडस्ट्री का कोई बड़ा कलाकार आज यहां नहीं आया।’ इला अरुण ने कहा, ‘वह राजा की तरह रहे। वह बहुत सक्रिय रहे। जब उनके पास काम और पैसा नहीं था तब भी उन्होंने हार नहीं मानी। वह न केवल अभिनेता थे बल्कि स्वतंत्रता सेनानी भी थे। यह बहुत बड़ा नुकसान है।’ हंगल का आज सुबह मुंबई के आशा पारेख अस्पताल में निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे।
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26-08-2012, 04:43 PM | #6 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
हंगल ने शिवसेना के हमलों का सामना किया: भाकपा
भाकपा (भारतीय कम्युनिसट पार्टी) ने आज वरिष्ठ अभिनेता ए. के हंगल के निधन पर कहा कि वह एक समर्पित सामाजिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने अपने विचारों के लिये शिवसेना के ‘हमलों’ का सामना किया। भाकपा की ओर से जारी शोक संदेश में कहा गया कि हंगल पार्टी की सदस्यता को नियमित रूप से हर साल नवीनीकृत कराते थे और इस साल भी उन्होंने ऐसा किया था। संदेश में कहा गया, ‘शिवसेना ने उनके फिल्मी करियर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की। इससे भले ही उन्हें आजीविका कमाने में दिक्कत हुई, लेकिन उन्होंने समझौता नहीं किया।’ गौरतलब है कि हंगल ने 225 से भी अधिक फिल्मों में काम किया और इप्टा की गतिविधियों में भी सक्रिय रहे।
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26-08-2012, 04:43 PM | #7 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
जुझारू स्वतंत्रता सेनानी थे ए. के. हंगल : अंजान
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने पद्म भूषण से सम्मानित वयोवृद्ध अभिनेता ए. के. हंगल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें एक प्रतिबद्ध रंगमंच कार्यकर्ता, सशक्त चरित्र अभिनेता, साम्प्रदायिकता के खिलाफ एक जुझारू स्वतंत्रता सेनानी और मजदूरों का हितैषी करार दिया। अंजान ने कहा कि वह कराची में पार्टी के सचिव पद पर रहे और आजादी के आंदोलन के समय जेल भी गए। उनके नेतृत्व में पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल पार्टी सदस्य थे। उन्होंने कहा कि यह बात बहुत कम लोगों पता है कि वह बेहतरीन डिजाइनर थे। कराची में उनके हुनर का कोई मुकाबला नहीं था और मुंबई में भी थिएटर के साथ-साथ वह कटर (कपड़े काटने का) का काम किया करते थे। मुंबई में आज के शीर्ष कटर उनके शिष्य हैं। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ चरित्र अभिनेता ए. के. हंगल का रविवार सुबह संक्षिप्त बीमारी के बाद यहां के एक अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें नमक हराम’, शोले’ और शौकीन’ में उनके बेहतर अभिनय के लिए याद किया जाता है। हंगल 98 वर्ष के थे। गत 13 अगस्त को बाथरूम में फिसलकर गिर जाने और उनके दाहिनी जांघ की हड्डी टूटने के बाद अभिनेता को 16 अगस्त को सांताक्रूज स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। पिछले कुछ वर्षों से अस्पताल का बराबर चक्कर लगा रहे हंगल उच्च रक्तचाप और किडनी सहित कई बीमारियों से जूझ रहे थे।
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26-08-2012, 04:43 PM | #8 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
अंबिका सोनी ने हंगल के निधन पर शोक जताया
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने वरिष्ठ अभिनेता ए. के. हंगल के निधन पर शोक जताया और कहा कि उनके जाने से जो शून्य पैदा हुआ है उसे भर पाना मुश्किल होगा। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि उनके निधन से हिंदी सिनेमा ने अपना एक महान चरित्र कलाकार खो दिया है। अंबिका ने कहा कि अपनी यादगार भूमिकाओं के जरिए हंगल ने कई पीढ़ियों को एक सूत्र में पिरोया है। उनके किरदारों ने जीवन में सकारात्मकता और मानवीय मूल्यों की प्रासंगिकता पैदा की। उनके निधन से जो शून्य पैदा हुआ है, उसे भर पाना मुश्किल होगा। हंगल का 98 वर्ष की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया।
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26-08-2012, 07:50 PM | #9 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
ऐ के हंगल जी की आत्मा को ईश्वर शांति दे।
अभी कुछ ही दिन पहले मैंने राजेश खन्ना की अवतार फिल्म देखी, उसमे हंगल साहब ने एक बहुत ही बेहतरीन किरदार निभाया था। मैं इसे इनकी सबसे महत्वपूर्ण फिल्मो में से एक मानता हूँ।
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
27-08-2012, 03:29 PM | #10 |
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Re: याद रहेंगे हंगल
दिलों पर हमेशा राज करते रहेंगे ‘रहीम चाचा’
उम्र के दूसरे पड़ाव में अभिनय की शुरुआत करके पिछले करीब चार दशकों से चरित्र अभिनेता के रूप में बॉलीवुड पर राज करने वाले सुपरहिट फिल्म शोले में ‘रहीम चाचा’ की यादगार भूमिका और नमक हराम तथा शौकीन जैसी करीब 225 फिल्मों में काम करके अभिनय को नया आयाम देने वाले रंगमंच के मजे कलाकार ए के हंगल अपने प्रशंसकों के दिलों में हमेशा बसे रहेंगे। देश के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले अवतार किशन हंगल का जन्म एक फरवरी 1917 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उनका बचपन पेशावर में गुजरा था। पेशावर में उन्होंने रंगमंच में कई बड़ी भूमिकाएं निभाई। उनके पिता का नाम पंडित हरी किशन हंगल था। हंगल ने अपना भविष्य दर्जी के काम में बनाने का फैसला किया था तो उन्हें परिवार के सदस्यों के विरोध का सामना करना पड़ा था। उनके पिता खासतौर पर इसके खिलाफ थे। नमक हराम, शोले और लगान जैसी सुपरहिट फिल्मों में अभिनय करने वाले हंगल ने उस उम्र में अभिनय की शुरुआत की थी जब कलाकार अभिनय से दूर होते जाते है। हंगल ने 50 वर्ष की उम्र में वर्ष 1966 में रिलीज हुई तीसरी कसम फिल्म से अपने हिन्दी फिल्म कॅरियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक से बढ़कर एक किरदार निभाकर अपने अभिनय का लोहा मनवाया। मशहूर फिल्म शोले में रहीम चाचा के रूप में बेहतरीन चरित्र किरदार आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। आॅस्कर के लिए नामित फिल्म लगान में वह शंभू काका के रूप में नजर आए। इस मशहूर अभिनेता की अंतिम फिल्म वर्ष 2005 में आई पहेली थी। विभाजन के बाद मुम्बई आकर हंगल ने उन्होंने बलराज साहनी तथा कैफी आजमी के साथ थिएटर में काम करना शुरू किया। इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन के साथ बढ़चढ़कर काम करने वाले हंगल ने गुड्डी, बावर्ची, शोले, तीसरी कसम, अवतार, नमक राम, शौकीन, अर्जुन, आंधी, कोरा कागज, छुपा रूस्तम, बालिका वधू समेत 225 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनाया। हंगल हाल ही में छोटे पर्दे के धारावाहिक मधुबाला में नजर आए थे। वर्ष 2006 में उन्हे पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शोले में हंगल का यह डायलाग ‘इतना सन्नाटा क्यो है भाई’ हर जुबान पर बस गया था। हंगल पत्नी की मौत के बाद आजकल मुम्बई के सांताक्रूज स्थित आवास पर अकेले ही रहते थे। उनके परिवार में एक पुत्र विजय है, जो बॉलीवुड के सेवानिवृत्त फोटोग्राफर और कैमरामैन हैं। विजय हंगल के फ्लैट के पास स्थित एक अन्य फ्लैट में रहते हैं। विजय की पत्नी की वर्ष 1994 में मृत्यु हो गई थी और उनके कोई संतान नहीं है। इस मशहूर चरित्र अभिनेता के बारे में एक बात कम लोगों को ही पता होगी कि वह एक अच्छे दर्जी भी थे। हंगल के परिवार के लोग वरिष्ठ पदों पर थे और ऐसी स्थिति में उनके दर्जी बनने पर गहरी आपत्ति तो होनी ही थी। वह इंग्लैंड से प्रशिक्षित एक दर्जी से प्रशिक्षण लेना चाहते थे लेकिन उसकी फीस 500 रुपए थी। पांच सौ रुपए उस जमाने में बहुत बड़ी रकम थी। उन्होंने फीस की रकम जुटाने के लिए अपने पिता से मदद मांगी लेकिन जैसा कि स्वाभाविक ही था कि उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद जब हंगल ने उन्हें कभी घर वापस न आने की धमकी दी तो पिता ने मजबूरन उन्हें फीस के पैसे भेज दिए। हंगल के मुताबिक इसके बाद उन्होंने टेलरिंग सीखी और उस जमाने में चार सौ रुपए कमाने लगे। हालांकि इस काम के लिए उन्हें घर से बगावत करनी पड़ी।
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