02-05-2013, 03:22 PM | #16 |
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Re: ज़िन्दगी ... .
ज़िन्दगी क्या ह
कुछ लफ्ज़ ऐसे होते हैं जिन्हें बयाँ कर पाना उनके बारे में कुछ कह पाना बेहद मुश्किल होता है मसलन एक लफ्ज़ है ज़िन्दगी!! ज़िन्दगी लम्हों और एहसासों के बीच का एक अजीबोगरीब रिश्ता है अमीक रब्त है उनका जैसे हर लम्हा अलग है एक दूसरे से वैसे ही हर एक एहसास जुदा जुदा है एक दूसरे से कभी जब सोचता हूँ कि कितना कुछ लिखा है मैंने इस ज़िन्दगी के बारे में तो हर बार लगता है अभी कितना कुछ है लिखने को बहुत कुछ बाकी है अभी जिसे सोचा तक नहीं अभी देखा ही कहाँ ज़िन्दगी को ठीक से. ज़िन्दगी एक ख्याल है. ख़्वाब है. अनसुलझी पहेली या अधूरी रह गयी जरूरत जज्बात, मौसिकी या एक खूबसूरत ग़ज़ल? यादों की हरी डालियों पर बातों की कोमल पत्तियाँ है ज़िन्दगी आसूँओं की बरसात में धुली उन पत्तियों की लताफत है ज़िन्दगी वक़्त की रफ़्तार से तेज़ है ज़िन्दगी नाज़ुक कभी चट्टान है ज़िन्दगी दरिया के पानी की तरह मगरूर है ज़िन्दगी खुदा की सनक है इंसानी दुआ है ज़िन्दगी जहां समझा शुरुआत है वहीँ ख़त्म मिली है ज़िन्दगी ज़िन्दगी तू ही बता क्या है ज़िन्दगी!!
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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