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12-05-2011, 11:22 AM | #1 |
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Re: अहसास
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12-05-2011, 11:29 AM | #2 |
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Re: अहसास
शादी के बाद ऐसी हरकते
घर पर भाभी माँ से अब सुताई होगी आपकी हहहहह
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Gaurav kumar Gaurav |
28-10-2013, 06:57 PM | #3 |
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Re: अहसास
मोहब्बत हो जाये या मच्छर काटे अंजाम एक ही होता है; रात को नींद नहीं आती।
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12-05-2011, 02:14 PM | #4 |
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Re: अहसास
हा हा हा
नटखट .....
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12-05-2011, 08:41 PM | #5 |
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Re: अहसास
अर्द्ध रात्रि में सहसा उठकर,
पलक संपुटों में मदिरा भर, तुमने क्यों मेरे चरणों में अपना तन-मन वार दिया था? क्षण भर को क्यों प्यार किया था? ‘यह अधिकार कहाँ से लाया!’ और न कुछ मैं कहने पाया - मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था! क्षण भर को क्यों प्यार किया था? वह क्षण अमर हुआ जीवन में, आज राग जो उठता मन में - यह प्रतिध्वनि उसकी जो उर में तुमने भर उद्गार दिया था! क्षण भर को क्यों प्यार किया था?
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15-05-2011, 05:26 PM | #6 |
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Re: अहसास
मै इक फर्ज हूँ
या इक अहसास हूँ मै इक जिस्म हूँ या रूह की प्यास हूँ |
20-05-2011, 10:54 AM | #7 | |
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Re: अहसास
Quote:
बहुत बदिया .................
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20-05-2011, 11:53 AM | #8 |
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Re: अहसास
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Gaurav kumar Gaurav |
21-05-2011, 04:57 PM | #9 |
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Re: अहसास
एक प्यारी सी प्रेम कहानि.
आज कहु मे एक छोटी कहानि . बात है कुछ सालो पूरानी. था एक लड़का भोला भाला. थि एक लडकी छेल छबीली. शरू हुइ थि जुब् येः कहानी. दोनो ने दी थी खुद को ज़ुबनि चाहे मुषिक्ले आये दिन रात कभी न छोड़ेंगे एक दुजे का साथ मगर इस कहानि ने लिया एक अनजन मोड् अचानक व्हो लड़का चल बसा सब छोड़. उसकि मौत पे कितने हि लोग रोये. अपने कलेजे के टुकड़े को खोये. मगर एक हादसा हुआ यह अजीब. जब लड़के की रूह पोह्ची जन्नत की करीब. उसने अपने कदमो को अन्दर जाने से रोका. खेल यह था कुछ अजब और अनोखा. कहा उस की रूह ने की करुगा में प्रवेश. मगर उससे पहले मुझे देना है एक सन्देश. ओह मेरी प्यारी चाहे दिन हो या रात. हमने कही थे एक दूजे को यह बात. "एक वादा था तेरे हर वादे के पीछे... तू मिलेगी मुझे हर दरवाजे के पीछे... पर तू मुझे रुसवा करगयी .... एक तू ही न थी मेरे जनाज़े के पीछे." तभी अचानक आयी पहचानी एक आवाज़. कोई नहीं समजा इस गूँज का यह राज़. किया था जो लड़के ने उससे यह सवाल. मिला उसे एक जवाब कुछ इस हाल. "एक वादा था मेरा हर वादे के पीछे... मै मिलूंगी तुजे हर दरवाजे के पीछे... पर तुने ही मुड़के ही न देखा... एक और जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे." दिया था जिसने उस लड़के के सवाल का जवाब. व्हो थी उस लड़की की मोहब्बत बे-हिसाब. चली आये काटे व्हो जीवन की डोर. जब उसका आशिक चला था उसे छोड़. यही तो नहीं पूरी होती मोहब्बत की ये बात. यह अंत नहीं है हुई है एक शरूवात. सुच्चे प्यार को कोई सीमा, पहरे, दीवार और भगवान् भी नहीं रोकता
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21-05-2011, 05:04 PM | #10 |
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Re: अहसास
अपनी सोई हुई दुनिया को जगा लूं तो चलूं
अपने ग़मख़ाने में एक धूम मचा लूं तो चलूं और एक जाम-ए-मए तल्ख़ चढ़ा लूं तो चलूं अभी चलता हूं ज़रा ख़ुद को संभालूं तो चलूं जाने कब पी थी अभी तक है मए-ग़म का ख़ुमार धुंधला धुंधला सा नज़र आता है जहाने बेदार आंधियां चल्ती हैं दुनिया हुई जाती है ग़ुबार आंख तो मल लूं, ज़रा होश में आ लूं तो चलूं वो मेरा सहर वो एजाज़ कहां है लाना मेरी खोई हुई आवाज़ कहां है लाना मेरा टूटा हुआ साज़ कहां है लाना एक ज़रा गीत भी इस साज़ पे गा लूं तो चलूं मैं थका हारा था इतने में जो आए बादल किसी मतवाले ने चुपके से बढ़ा दी बोतल उफ़ वह रंगीं पुर-असरार ख़यालों के महल ऐसे दो चार महल और बना लूं तो चलूं मेरी आंखों में अभी तक है मोहब्बत का ग़ुरूर मेरे होंटों को अभी तक है सदाक़त का ग़ुरूर मेरे माथे पे अभी तक है शराफ़त का ग़ुरूर ऐसे वहमों से ख़ुद को निकालूं तो चलूं
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