07-06-2017, 10:27 AM | #1 |
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गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
★■★■★■★■★■★■★■★■★ देखिये कैसा जमाना आ गया हर किसी को दिल दुखाना आ गया *** था वहाँ मैं मौत की आगोश में उनको' लेकिन मुस्कुराना आ गया *** मुझको' तेरी बस इसी तस्वीर से आजकल है दिल लगाना आ गया *** हर किसी को है पड़ी अपनी मगर और पर आँसू बहाना आ गया *** आ गया शमशान के नजदीक मैं यूँ लगा जैसे ठिकाना आ गया *** मैं चला 'आकाश' रब को ढूंढने पर किसी के काम आना आ गया गीतिका/ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी ★■★■★■★■★■★■★■★■★■★ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 9919080399 |
07-06-2017, 12:11 PM | #2 | |
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Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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Advo.Ravinder Ravi "Sagar" |
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20-06-2017, 05:28 AM | #3 |
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Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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20-06-2017, 03:31 PM | #4 |
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Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
बहुत खूब. ग़ज़ल के आकार में भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति. उक्त पंक्तियाँ विशेष रूप से बहुत प्रभावशाली लगीं. इसे हमसे शेयर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आकाश जी.
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21-06-2017, 03:30 PM | #5 |
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Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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21-06-2017, 04:33 PM | #6 | |
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Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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दर्दे दिल की दास्ताँ को बहुत अच्छे से प्रकट करती रचना .. धन्यवाद |
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23-06-2017, 09:06 AM | #7 |
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Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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23-06-2017, 06:32 PM | #8 |
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Re: गीतिका/ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
bahot sundar creation
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