04-10-2016, 12:34 AM | #1 |
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आज अपने ही खटकने लग गए (ग़ज़ल)
आज अपने ही खटकने लग गए
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 04-10-2016 at 12:37 AM. |
03-11-2016, 01:34 AM | #2 | |
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Re: आज अपने ही खटकने लग गए (ग़ज़ल)
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रिश्तों के विषय में बहुत गहन बात कही है आपने इस कविता के माध्यम से भाई इतने बरसों से आप इतने गहन अर्थ वाली कवितायें लिख रहे हो भाई हमें इतनी भावनात्मक कवितायें पढ़ने से क्यूँ वंचित रखा? आपकी हर कविता गागर में सागर की भांति हैं भाई.. हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद हमसे शेयर करने के लिए भाई |
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03-11-2016, 04:15 PM | #3 | |
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Re: आज अपने ही खटकने लग गए (ग़ज़ल)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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