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Old 12-02-2011, 08:09 AM   #11
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गुरुद्वारा बंगला साहिब

गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली का सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक है। यह अपने स्वर्ण मंडित गुम्बद शिखर से एकदम ही पहचान में आ जाता है। यह नई दिल्ली के बाबा खड़गसिंह मार्ग पर गोल मार्किट, नई दिल्ली के निकट स्थित है।

यह गुरुद्वारा मूलतः एक बंगला था, जो जयपुर के महाराजा जयसिंह का था। सिखों के आठवें गुरु गुरु हर किशन सिंह यहां अपने दिल्ली प्रवास के दौरान रहे थे। उस समय स्माल पॉक्स और हैजा की बिमारियां फैली हुई थीं। गुरु महाराज ने उन बीमाअरियों के मरीजों को अपने आवास से जल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं थीं। अब यह जल स्वास्थ्य वर्धक, आरोग्य वर्धक और पवित्र माना जाता है, और विश्व भर के सिखों द्वारा ले जाया जाता है। यह गुरुद्वारा अब सिखों और हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है।
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Old 12-02-2011, 08:11 AM   #12
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खिड़की मस्जिद

खिड़की मस्जिद का निर्माण फिरोज शाह तुगलक के प्रधानमंत्री खान-ई-जहान जुनैन शाह ने 1380 में करवाया था। मस्जिद के अंदर बनी खूबसूरत खिड़कियों के कारण इसका नाम खिड़की मस्जिद पड़ा। यह मस्जिद दो मंजिला है। मस्जिद के चारों कोनों पर बुर्ज बने हैं जो इसे किले का रूप देते हैं। तीन दरवाजों पर मीनारें बनी हैं। पुराने समय में पूर्वी द्वार से प्रवेश किया जाता था लेकिन अब दक्षिण द्वार पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है।

यह मस्जिद दक्षिण दिल्ली के खिड़की गांव में बनी हुई है।
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Old 12-02-2011, 08:14 AM   #13
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कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद

दिल्ली की प्रसिद्ध कुतुब मीनार के पास स्थित इस मस्जिद का निर्माण गुलाम वंश के प्रथम शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1192 में शुरु करवाया था। इस मस्जिद को बनने में चार वर्ष का समय लगा। लेकिन बाद के शासकों ने भी इसका विस्तार किया। जैसे अल्तमश ने 1230 में और अलाउद्दीन खिलजी ने 1351 में इसमें कुछ और हिस्से जोड़े। यह मस्जिद हिन्दू और इस्लामिक कला का अनूठा संगम है। एक ओर इसकी छत और स्तंभ भारतीय मंदिर शैली की याद दिलाते हैं, वहीं दूसरी ओर इसके बुर्ज इस्लामिक शैली में बने हुए हैं। मस्जिद प्रांगण में सिकंदर लोदी (1488-1517) के शासन काल में मस्जिद के इमाम रहे इमाम जमीम का एक छोटा-सा मकबरा भी है।
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Old 12-02-2011, 08:20 AM   #14
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जामा मस्जिद

जामा मस्जिद का निमॉण सन् 1656 में सम्राट शाहजहां ने किया था. यह पुरानी दिल्ली में स्थित है. यह मस्जिद लाल और संगमरमर के पत्थरों का बना हुआ है। लाल किले से महज 500 मी. की दूरी पर जामा मस्जिद स्थित है जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण 1650 में शाहजहां ने शुरु करवाया था। इसे बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रु.लगे थे। बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित इस मस्जिद में उत्तर और दक्षिण द्वारों से प्रवेश किया जा सकता है। पूर्वी द्वार केवल शुक्रवार को ही खुलता है। इसके बार में कहा जाता है कि सुल्तान इसी द्वार का प्रयोग करते थे। इसका प्रार्थना गृह बहुत ही सुंदर है। इसमें ग्यारह मेहराब हैं जिसमें बीच वाला महराब अन्य से कुछ बड़ा है। इसके ऊपर बने गुंबदों को सफेद और काले संगमरमर से सजाया गया है जो निजामुद्दीन दरगाह की याद दिलाते हैं।
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Old 12-02-2011, 08:21 AM   #15
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Old 12-02-2011, 08:25 AM   #16
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फतेहपुरी मस्जिद


फतेहपुरी मस्जिद चांदनी चौक की पुरानी गली के पश्चिमी छोर पर स्थित है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने 1650 में करवाया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम फतेहपुरी मस्जिद पड़ा। ये बेगम फतेहपुर से थीं। ताज महल परिसर में बनी मस्जिद भी इन्हीं बेगम के नाम पर है।
लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है। मस्जिद के दोनों ओर लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें हैं। इस मस्जिद में एक कुंड भी है जो सफेद संगमरमर से बना है। यह मस्जिद कई धार्मिक वाद-विवाद की गवाह रही है।

अंग्रेज़ों ने इस मस्जिद को १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद, नीलाम कर दिया था, जिसे राय लाला चुन्ना मल ने मात्र १९,०००/- रुपए में खरीद लिया था। जिनके वंशज आज भी चांदनी चौक में चुन्नामल हवेली में रहते हैं। जिन्होंने इस मस्जिद को संभाले रखा था। बाद में १८७७ में सरकार ने इसे चार गांवों के बदले में वापस अधिकृत कर मुसलमानों को दे दिया, जब उन्हें दिल्ली में रहने का दोबारा अधिकार दिया गया था। ऐसी ही एक दूसरी मस्जिद, अकबरबादी बेगम द्वारा बनवाई गई थी, जिसे अंग्रेज़ों ने बर्बाद करवा दिया था।
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Post Re: दिल्ली के दर्शनीय स्थल

क्या खूब जानकारी दी है भाई और भी बहुत कुछ है दिल्ली में उसे भी बताये
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Old 12-02-2011, 03:43 PM   #18
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upasana mandir meine dekha tha, bahut pehle! pure delhi me sabse jyada shaandar jagah hai! ekdum shaanti wala mahol! bas jaate hi so jao!


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Old 13-02-2011, 11:27 AM   #19
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लाल किला

दिल्ली के किले को लाल - किला भी कहते हैं, क्योंकि यह लाल रंग का है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगी पुरानी दिल्ली शहर में स्थित है। यह युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में चयनित है|

लाल किला एवं शाहजहाँनअबाद का शहर, मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा 1639 A.D. में बनवाया गया था। लालकिले का अभिन्यास फिर से किया गया था, जिससे इसे सलीमगढ़ किले के संग एकी कृत किया जा सके। यह किला एवं महल शाहजहाँनाबाद की मध्यकालीन नगरी का महत्वपूर्ण केन्द्र-बिन्दु रहा है। लालकिले की योजना, व्यवस्था एवं सौन्दर्य मुगल सृजनात्मकता का शिरोबिन्दु है, जो कि शाहजहाँ के काल में अपने चरम उतकर्ष पर पहुँची। इस किले के निर्माण के बाद कई विकास कार्य स्वयं शाहजहाँ द्वारा जोडे़ गए। विकास के कई बडे़ पहलू औरंगजे़ब एवं अंतिम मुगल शासकों द्वारा किये गये। सम्पूर्ण विन्यास में कई मूलभूत बदलाव ब्रिटिश काल में 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद किये गये थे। ब्रिटिश काल में यह किला मुख्यतः छावनी रूप में प्रयोग किया गया था। बल्कि स्वतंत्रता के बाद भी इसके कई महत्वपूर्ण भाग सेना के नियंत्रण में 2003 तक रहे।

लाल किला मुगल बादशाह शाहजहाँ की नई राजधानी, शाहजहाँनाबाद का महल था। यह दिल्ली शहर की सातवीं मुस्लिम नगरी थी। उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली बदला, अपने शासन की प्रतिष्ठा बढाने हेतु, साथ ही अपनी नये नये निर्माण कराने की महत्वकाँक्षा को नए मौके देने हेतु भी। इसमें उसकी मुख्य रुचि भी थी।

यह किला भी ताजमहल की भांति ही यमुना नदी के तीर पर स्थित है। वही नदी का जल इस किले को घेरे खाई को भरती थी। इसके पूर्वोत्तरी ओर की दीवार एक पुराने किले से लगी थी, जिसे सलीमगढ का किला भी कहते हैं। सलीमगढ का किला इस्लाम शाह सूरी ने 1546 में बनवाया था। लालकिले का निर्माण 1638 में आरम्भ होकर 1648 में पूर्ण हुआ। पर कुछ मतों के अनुसार इसे लालकोट का एक पुरातन किला एवं नगरी बताते हैं, जिसे शाहजहाँ ने कब्जा़ करके यह किला बनवाया था। लालकोट हिन्दु राजा पृथ्वीराज चौहान की बारहवीं सदी के अन्तिम दौर में राजधानी थी।
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11 मार्च 1783 को, सिखों ने लालकिले में प्रवेश कर दीवान-ए-आम पर कब्जा़ कर लिया। नगर को मुगल वजी़रों ने अपने सिख साथियों को समर्पण कर दिया। यह लार्य करोर सिंहिया मिस्ल के सरदार बघेल सिंह धालीवाल के कमान में हुआ।
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