22-03-2014, 02:30 PM | #1 |
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इक दिन हमको जाना होगा
॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ जाने किस दुनिया से आये किस दुनिया मेँ खो जायेँगे माना हमको नीँद न आती इक दिन विल्कुल सो जायेँगे जो कुछ ये दिखता धरती पर सबकुछ तो अनजान लगे है शून्य भरा संसार कि जिससे ही अपनी पहचान लगे है रिश्ते-नाते, प्यार-मुहब्बत ये तो झूठे अफसाने हैँ धन-दौलत के परदे खोले तो देखे बस वीराने हैँ इतने रिश्ते जोड़ लिये पर इक दिन हमको जाना होगा मौत भरी ये दुनिया सारी इसका साथ निभाना होगा ऐसा लगता जैसे कोई खेल यहाँ पर खेल रहे हैँ खेल मगर! जिसके पीछे हम कितना कितना झेल रहे हैँ जीवन की ये ठेला गाड़ी जाने कबसे खीँच रहे हैँ जैसे आँसू की बूँदोँ से मरुथल कोई सीँच रहे हैँ रचना- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 22-03-2014 at 09:30 PM. |
22-03-2014, 02:56 PM | #2 | |
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Re: इक दिन हमको जाना होगा
Quote:
कवि की प्रतिभा को लेकर विश्वास और भी पुष्ट हुआ. टाइपिंग के कुछ दोष हैं जो ठीक किये जा सकते हैं, जैसे: सून्य / रिस्ते (दो स्थानों पर)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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22-03-2014, 09:33 PM | #3 |
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Re: इक दिन हमको जाना होगा
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