03-04-2021, 04:36 AM | #1 |
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लतखिंचुअन के पँजरी... (गीत)
■■■■■■■■■■■ लतखिंचुअन के पँजरी कबहूँ तू जइहऽ मति मति मार दिहे सँ येकनी से बतिअइहऽ मति बस लात पकड़ के खींचे के तइयारी बा गाँव-नगर में पसरल ईहे बेमारी बा मंजिल देखिहऽ तू बाती में अझुरइहऽ मति- मति मार दिहे सँ येकनी से बतिअइहऽ मति दोसरा के आगे बढ़त देखि दुख पावेला दुख देबे खातिर पीछे पीछे धावेला अइसन मनई के लासा में लसिअइहऽ मति- मति मार दिहे सँ येकनी से बतिअइहऽ मति काम करे जे मनवा के साहस तूरे के ऊ नीक हवे ना मीत लगे भा दूरे के अइसन लोग के माथे कबो चढ़ऽइहऽ मति- मति मार दिहे सँ येकनी से बतिअइहऽ मति रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 02/04/2021 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 03-04-2021 at 05:12 AM. |
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