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#1 |
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![]() दोस्तों इस सूत्र में मैं आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ प्रश्तुत करूँगा. जो काफी शिक्षाप्रद भी हैं. तो देर न करते हुए शुरू करते हैं आज की कहानी.....
आप सब के विचार यहाँ आमंत्रित हैं और अगर आप भी योगदान करना चाहे तो आपका स्वागत हैं...... |
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#2 |
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मैं तुझे तो कल देख लूंगा।
सूफी संत जुनैद के बारे में एक कथा है.
एक बार संत को एक व्यक्ति ने खूब अपशब्द कहे और उनका अपमान किया. संत ने उस व्यक्ति से कहा कि मैं कल वापस आकर तुम्हें अपना जवाब दूंगा. अगले दिन वापस जाकर उस व्यक्ति से कहा कि अब तो तुम्हें जवाब देने की जरूरत ही नहीं है. उस व्यक्ति को बेहद आश्चर्य हुआ. उस व्यक्ति ने संत से कहा कि जिस तरीके से मैंने आपका अपमान किया और आपको अपशब्द कहे, तो घोर शांतिप्रिय व्यक्ति भी उत्तेजित हो जाता और जवाब देता. आप तो सचमुच विलक्षण, महान हैं. संत ने कहा – मेरे गुरु ने मुझे सिखाया है कि यदि आप त्वरित जवाब देते हैं तो वह आपके अवचेतन मस्तिष्क से निकली हुई बात होती है. इसलिए कुछ समय गुजर जाने दो. चिंतन मनन हो जाने दो. कड़वाहट खुद ही घुल जाएगी. तुम्हारे दिमाग की गरमी यूँ ही ठंडी हो जाएगी. आपके आँखों के सामने का अँधेरा जल्द ही छंट जाएगा. चौबीस घंटे गुजर जाने दो फिर जवाब दो. क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति पूरे 24 घंटों के लिए गुस्सा रह सकता है? 24 घंटे क्या, जरा अपने आप को 24 मिनट का ही समय देकर देखें. गुस्सा क्षणिक ही होता है, और बहुत संभव है कि आपका गुस्सा, हो सकता है 24 सेकण्ड भी न ठहरता हो |
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#3 |
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कौन बड़ा?
एक बार एक आश्रम के दो शिष्य आपस में झगड़ने लगे – मैं बड़ा, मैं बड़ा.
झगड़ा बढ़ता गया तो फैसले के लिए वे गुरु के पास पहुँचे. गुरु ने बताया कि बड़ा वो जो दूसरे को बड़ा समझे. अब दोनों नए सिरे से झगड़ने लगे – तू बड़ा, तू बड़ा! |
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#4 |
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सुरक्षा का उपाय
एक बार नसरूद्दीन ने एक लड़के से उसके लिए कुँऐं से पानी खींचने का अनुरोध किया। जैसे ही वह लड़का कुँए से पानी खींचने को झुका, नसरूद्दीन ने उसके सिर में जोर से थप्पड़ मारा और कहा, "ध्यान रहे। मेरे लिए पानी खींचते समय घड़ा न टूटे।"
वहाँ से गुजरते हुए एक राहगीर ने यह सब देखा तो उसने नसरूद्दीन से कहा - "जब उस लड़के ने कोई गल्ती ही नहीं की तो तुमने उसे क्यों मारा?" नसरूद्दीन ने दृढ़तापूर्वक उत्तर दिया - "यदि मैं यह चेतावनी घड़े के फूटने के बाद देता तो उसका कोई फायदा नहीं होता।" |
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#5 |
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एक मिनट की भी देरी किसलिए?
एक बार एक जंगल में जबरदस्त आग लग गई और जंगल का एक बड़ा हिस्सा जलकर खाक हो गया. जंगल में एक गुरु का आश्रम था. जब जंगल की आग शांत हुई तो उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाया और उन्हें आज्ञा दी कि जंगल को फिर से हरा भरा करने के लिए देवदार का वृक्षारोपण किया जाए.
एक शक्की किस्म के चेलने ने शंका जाहिर ही - मगर गुरूदेव, देवदार तो पनपने में बरसों ले लेते हैं. यदि ऐसा है तब तो हमें बिना देरी किए तुरंत ही यह काम शुरू कर देना चाहिए - गुरू ने कहा. |
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#6 |
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अपने भीतर के प्रकाश को देखो
एक गुरूजी लंबे समय से अचेतावस्था में थे। एक दिन अचानक उन्हें होश आया तो उन्होंने अपने प्रिय शिष्य को अपने नजदीक बैठे हुए पाया। उन्होंने प्रेमपूर्वक कहा - "तुम इतने समय तक मेरे बिस्तर के नजदीक ही बैठे रहे और मुझे अकेला नहीं छोड़ा?" शिष्य ने रुंधे हुए गले से कहा - "गुरूदेव मैं ऐसा कर ही नहीं सकता कि आपको अकेला छोड़ दूं।" गुरूजी - "ऐसा क्यों?" "क्योंकि आप ही मेरे जीवन के प्रकाशपुंज हैं।" गुरूजी ने उदास से स्वर में कहा - "क्या मैंने तुम्हें इतना चकाचौंध कर दिया है कि तुम अपने भीतर के प्रकाश को नहीं देख पा रहे हो?" |
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#7 |
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शेर और लोमड़ी
एक लोमड़ी, जंगल के राजा शेर के अधीनस्थ एक नौकर के रूप में कार्य करने को सहमत हो गयी। कुछ समय तक तो दोनों अपने स्वभाव और सामर्थ्य के अनुसार भलीभांति कार्य करते रहे। लोमड़ी शिकार बताती और शेर हमला करके शिकार को दबोच लेता। परंतु लोमड़ी को जल्द ही यह ईर्ष्या होने लगी कि शेर शिकार का ज्यादा हिस्सा स्वयं चट कर जाता है और उसे बचाखुचा हिस्सा ही मिलता है। वह सोचने लगी कि आखिर वह किस मायने में शेर से कम है। और उसने यह घोषणा कर दी कि भविष्य में वह अकेले ही शिकार करेगी। अगले ही दिन जब वह एक भेड़शाला में से भेड़ के बच्चे को दबोचने ही वाली थी कि अचानक शिकारी और उसके पालतू कुत्ते आ गए और उसे अपना शिकार बना लिया। "जीवन में अपना स्थान नियत करो और यह स्थान ही आपकी रक्षा करेगा।" |
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#8 |
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तुम्हारा फर्नीचर कहाँ है?
पिछली शताब्दी की बात है। एक अमेरिकी पर्यटक सुप्रसिद्ध पुलिस कर्मचारी रब्बी हॉफेज़ चैम से मिलने गया। उसे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि रब्बी सिर्फ एक कमरे में रहते थे और वह भी किताबों से भरा हुआ था। उसमें फर्नीचर के नाम पर सिर्फ एक मेज और कुर्सी थी। "तुम्हारा फर्नीचर कहाँ हैं रब्बी?" - पर्यटक ने पूछा । "और तुम्हारा कहाँ हैं?" - रब्बी ने कहा । "मेरा फर्नीचर ! लेकिन मैं तो यहाँ एक पर्यटक हूँ और यहाँ से गुजर ही रहा था।" "और मैं भी" -- -- -- रब्बी ने भोलेपन से कहा । |
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#9 |
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आदमी और शेर
एक बार एक शेर और एक आदमी साथ-साथ यात्रा कर रहे थे। उनके मध्य यह बहस होने लगी कि कौन ज्यादा ताकतवर और श्रेष्ठ है। उनके मध्य नोक-झोंक तीखी हुई ही थी कि वे चट्टान पर उकेरी गयी एक मूर्ति के पास से गुजरे जिसमें एक आदमी को शेर का गला दबाते हुए दर्शाया गया था। "वो देखो। हमारी श्रेष्ठता को साबित करने के लिए क्या तुम्हें और किसी प्रमाण की आवश्यकता है?" - आदमी ने गर्व से कहा। शेर ने उत्तर दिया - "ये कहानी कहने का तुम्हारा नजरिया है। यदि हम लोग शिल्पकार होते तो शेर के एक पंजे के नीचे बीस आदमी दबे होते।" "इतिहास सिर्फ विजेताओं द्वारा ही लिखा जाता है।" |
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#10 |
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![]() अपनी आँखें खुली रखो दार्जिलिंग में कुछ बुजुर्ग मित्रों का एक समूह था जो आपस में समाचारों के आदान-प्रदान और एक साथ चाय पीने के लिये मिलते रहते थे। उनका एक अन्य शौक चाय की महँगी किस्मों की खोज और उनके विभिन्न मिश्रणों द्वारा नए स्वादों की खोज करना था। मित्रों के मनोरंजन हेतु जब समूह के सबसे उम्रदराज़ बुजुर्ग की बारी आयी तो उसने समारोहपूर्वक एक सोने के महंगे डिब्बे में से चाय की पत्तियाँ निकालते हुए चाय तैयार की। सभी लोगों को चाय का स्वाद बेहद पसंद आया और वे इस मिश्रण को जानने के लिए उत्सुक हो उठे। बुजुर्ग ने मुस्कराते हुए कहा - "मित्रों, जिस चाय को आप बेहद पसंद कर रहे हैं उसे तो मेरे खेतों पर काम करने वाले किसान पीते हैं।" "जीवन की बेहतरीन चीजें न तो महंगी हैं और न ही उन्हें खोजना कठिन है।" |
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