17-04-2014, 06:53 PM | #1 |
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घनाक्षरी
॰॰॰ नेता अब करते हैँ अपनी ही स्वार्थ सिद्धि, जनता से नहीँ कुछ इन्हेँ सरोकार है। लूटने-खसोटने मेँ लगीँ हुईँ सरकारेँ, लगता कि इनका तो यही कारोबार है। हम तो बेरोजगार रात-दिन बार बार, डूबते हैँ पर नहीँ मिले पतवार है। खुद को किनारे यदि कर लेँगे अगुवा ही, हमको बचाए कौन ये तो मझधार है। घनाक्षरी- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri ॰॰॰ पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश 09919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 18-04-2014 at 07:53 PM. |
18-04-2014, 10:56 PM | #2 |
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Re: घनाक्षरी
बहुत सुन्दर, आकाश जी. आपने देश के नेताओं का हाल और देश का बेहाल सरल किन्तु स्पष्ट शब्दों में बयान कर दिया है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
24-04-2014, 09:18 PM | #3 |
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Re: घनाक्षरी
बहुत सही कहा हैं. आज के ज़ियदार नेता ऐसे ही हैं जैसा आपने लिखा है.
काश की निस्वार्थ नेता मिलें तो देश के हालात बदलें Last edited by Bansi Dhameja; 24-04-2014 at 09:20 PM. |
28-04-2014, 08:53 AM | #4 |
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Re: घनाक्षरी
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28-04-2014, 08:55 AM | #5 |
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Re: घनाक्षरी
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09-11-2018, 12:47 PM | #6 |
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Re: घनाक्षरी
संपादन के बाद
घनाक्षरी ॰॰॰ नेता अब करते हैं अपनी ही स्वार्थ सिद्धि, जनता से नहीं कुछ इन्हें सरोकार है। लूटने-खसोटने में लगीं हुईं सरकारें, लगता कि इनका तो यही कारोबार है। हम तो गरीब जन रात-दिन बार बार, डूबते हैं पर नहीं मिले पतवार है। जितने घोटालेबाज हो गए अमीर सब, जनता पे ज़ुल्म करती ये सरकार है। घनाक्षरी- आकाश महेशपुरी Last edited by आकाश महेशपुरी; 09-11-2018 at 04:16 PM. |
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