06-11-2018, 02:43 PM | #1 |
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दो कुण्डलियाँ 【टीका और शोर】
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ 1- टीका टीका करने से अगर, जाते सारे रोग। बिना दवा के साथियों, होते सभी निरोग। होते सभी निरोग, सभी के बचते पैसे। बच्चे और जवान, नहीं मर जाते ऐसे। खसरा टीबी रोग, पोलियो या हो जीका। रहते हैं सब दूर, अगर लगवा लो टीका।। 2- शोर ध्वनि विस्तारक यन्त्र से, क्यों करते हो शोर। मन में गाओ कृष्ण तुम, चाहे अवधकिशोर। चाहे अवधकिशोर, शोर से मन है व्याकुल। टूट रहा है हाय, आज यह धीरज का पुल। निकट परीक्षा और, शोर कितना है व्यापक। ले ही लेगा जान, लगे है ध्वनि विस्तारक।। रचना- आकाश महेशपुरी ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाईल- 9919080399 |
07-11-2018, 10:20 PM | #2 |
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Re: दो कुण्डलियाँ 【टीका और शोर】
बहुत सुंदर आकाश जी. दोनों कुण्डलियाँ समाज की आँखें खोलने वाली हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
24-11-2018, 01:06 PM | #3 |
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Re: दो कुण्डलियाँ 【टीका और शोर】
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