28-12-2012, 08:50 PM | #1 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 08:51 PM | #2 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
हर रोज जिंदगी मे ढेरो कल्पनाये
औंस की बूंदों की तरह बिखरी हुई हर सदा, हर पल तल्लीन है 'रौनक' समर्थता कर रही कोशिशे निखरी हुई दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 08:52 PM | #3 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
अनायास
====== अनायास ही हो जाता है यहाँ सब कुछ बहुत कुछ कुछ जाना सा ... पहचाना सा मगर कभी अनजान भी चौंकता सा फिर भी सामना तो करना ही है हर हाल मे क्योंकि यहाँ पाना भी खोना भी सब कुछ ही तो होना है अनायास दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 08:56 PM | #4 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
शराब का रहा कुछ ऐसा कहर
हो गयी जीस्त नामुराद ज़हर ना छोड़ा पीना गमों की आड़ मे हो गया तबाह 'रौनक' का शहर दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 08:57 PM | #5 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
महक तेरे ख्यालों की मेरे मन मे है
खनक तेरे सवालों की मेरे जहन मे है तू ना बदलना खुद को कभी 'रौनक' चमक तेरे इरादों की तेरे परिश्रम मे है दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 08:59 PM | #6 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
ढह गए खाब कहीं हाल हमारे पत्थर
बज रहे साज़ कई कान हमारे पत्थर कर रहे नाज़ कभी जान लुटाते तुझपर बन गए आज वही चाँद सितारे पत्थर लब ठगे हाल सभी काल सहारे मजकूर चल रहे चाल नई ज्वार किनारे पत्थर सन गए हाथ सभी हाल सुनाए मंज़र कर रहे पाप सभी नाथ हमारे पत्थर भर गए पाप घड़े हाथ चुभाये नस्तर चल पड़े साथ सभी राह दुलारे पत्थर लब लगे आब चखी होश गंवाए 'रौनक' पस्त सरे राह सखी भाग संवारे पत्थर दीपक खत्री 'रौनक' (मजकूर= ब्यान, ज्वार= सागर) |
28-12-2012, 09:01 PM | #7 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
वफ़ा की कोई तालीम नहीं होती 'रौनक'
ये तो आती है मोहब्बत के साथ साथ.... दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:01 PM | #8 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
मुक्कमल तदबीर भी बचा नहीं सकती 'रौनक'
गर उसने इरादा कर ही लिया है कत्ल का............ दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:02 PM | #9 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
मेरी नींद मे सपनो सा लहराते हो क्यों
यूँ आते जाते इशारों से सताते हो क्यों हम तो यूँही कायल है तेरे हुश्न के 'रौनक' यूँ तुम अदाओं के तीर चलाते हो क्यों दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:04 PM | #10 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
वफ़ा
== वफ़ा क्या खूब शब्द है या के एक अहसास है या फिर निभाई जाने वाली एक अदा है ये तुझ मे मुझ मे सब मे मगर अंदाज़-ए- अहसास है जुदा जुदा मेरी वफ़ा तेरे लिए तेरी वफ़ा उसके लिए और उसकी किसी और के लिए नहीं कोई जनता कब कैसे कहाँ किससे किसको मिलेगी ये वफ़ा दीपक खत्री 'रौनक' |
Bookmarks |
Thread Tools | |
Display Modes | |
|
|