31-12-2016, 07:08 PM | #1 |
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नया साल
मिर्ज़ा ग़ालिब एक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है जुल्म की रात बहुत जल्दी ढलेगी अब तो आग चूल्हे में हर एक रोज जलेगी अब तो भूख के मारे कोई बच्चा नही रोयेगा चैन की नींद हर एक शख्स यहाँ सोयेगा आंधी नफरत की चलेगी ना कहीं अब के बरस प्यार की फस्ल उगायेगी जमीं अब के बरस है यकीन अब ना कोई शोर शराबा होगा जुल्म होगा ना कहीं खून खराबा होगा ओस और धूप के सदमे ना सहेगा कोई अब मेरे देश में बेघर ना रहेगा कोई नये वादों का जो डाला है, वो जाल अच्छा है रहनुमाओं ने कहा है कि ये साल अच्छा है दिल के खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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नया साल, new year |
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