12-08-2013, 07:08 PM | #1 |
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ये शाम और तुम ...
अंतरजाल में किसी दूसरे नाम से प्राप्त इस लेख को मंच में प्रस्तुत कर रहा हूँ। मूल रचनाकार को हार्दिक धन्यवाद
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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