31-03-2012, 08:03 PM | #1 |
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जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
यहाँ संस्कृत के कुछ खास श्लोक तथा उनके अर्थ दिए जायेंगे ......... आशा है मित्रों को पसंद आयेंगे ........रेपो ++++ दे कर उत्साह बढ़ाये ......... |
31-03-2012, 08:03 PM | #2 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
<b>
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय नम:</b>
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31-03-2012, 08:04 PM | #3 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
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येषां न विद्या, न तपो, न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । </b> |
31-03-2012, 08:04 PM | #4 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
<b>
पिता रत्नाकरो यस्य, लक्ष्मीर्यस्य सहोदरी । </b> |
31-03-2012, 08:07 PM | #5 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
<b>
उदारस्य तृणं वित्तं शूरस्य मरणं तृणम् । </b> |
31-03-2012, 08:09 PM | #6 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
<b>
आरभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचै: प्रारभ्य विघ्नविहता विरमंति मध्या: विघ्नै: </b> |
31-03-2012, 08:11 PM | #7 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
<b>
सहसा विदधीत न क्रियां अविवेक: परमापदां पदम् वृणुते हि विमृशकारिणं गुणलुब्धा: स्वयमेव संपद: </b> |
14-12-2014, 11:08 AM | #8 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
Thanking You Very Much
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
14-12-2014, 11:58 AM | #9 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
श्लोक 1 :
अलसस्य कुतो विद्या , अविद्यस्य कुतो धनम् | अधनस्य कुतो मित्रम् , अमित्रस्य कुतः सुखम् || अर्थात् : आलसी को विद्या कहाँ अनपढ़ / मूर्ख को धन कहाँ निर्धन को मित्र कहाँ और अमित्र को सुख कहाँ |
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14-12-2014, 11:59 AM | #10 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
श्लोक 2 :
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || अर्थात् : मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |
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