10-04-2011, 12:08 PM | #1 |
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ग़ालिब की रचनाएं ...
देवियों और सज्जनों इस सूत्र में मै मिर्ज़ा ग़ालिब की रचनाएँ प्रस्तुत करूँगा
आपलोगों से सहयोग की अपेक्षा रखता हूँ सबसे पहले मै आपलोगों को उनका परिचय देता हूँ मिर्ज़ा असद-उल्लाह ख़ां उर्फ “ग़ालिब” ( 27 दिसंबर 1796 – १५ फरवरी १८६९ ) उर्दू एवं फारसी भाषा के महान शायर थे। ग़ालिब का जन्म आगरा मे एक सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ था । उन्होने अपने पिता और चाचा को बचपन मे ही खो दिया था, ग़ालिब का जिवनयापन मुलत: अपने चाचा के मरनोपरांत मिलने वाले पेंशन से होता था (वो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी मे सैन्य अधिकारी थे) ग़ालिब की प्रारम्भिक शिक्षा के बारे मे स्पष्टतः कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन ग़ालिब के अनुसार उन्होने ११ वर्ष की अवस्था से ही उर्दू एवं फारसी मे गद्य तथा पद्य लिखने आरम्भ कर दिया था । उन्होने अधिकतर फारसी और उर्दू मे पारम्परिक भक्ति और सौन्दर्य रस पर रचनाये लिखी जो गजल मे लिखी हुई है। उन्होंने फारसी और उर्दू दोनो में पारंपरिक गीत काव्य की रहस्यमय-रोमांटिक शैली में सबसे व्यापक रूप से लिखा और यह गजल के रूप में जाना जाता है। 13 वर्ष की आयु मे उनका विवाह हो गया था । विवाह के बाद वह दिल्ली आ गये थे जहाँ उनकि तमाम उम्र बीती । अपने पेंशन के सिलसिले मे उन्हें कोलकत्ता कि लम्बी यात्रा भी करनी परी थी, जिसका जिक्र उनकी गजलो मे जगह – जगह पर मिलता है । गालिब का विवाह लोहारु के नवाब के यहा हुआ था उनके बारे में कहा जाता है कि- “हैं और भी दुन्*या में सुख़न्वर बहुत अच्छे
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
Last edited by Ranveer; 10-04-2011 at 12:14 PM. |
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