22-01-2015, 10:37 PM | #11 |
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
फ़िल्मी गीतों के स्तर को ले कर हुई चर्चा के सन्दर्भ में आपने बहुत संतुलित विचार रखे हैं, जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, पवित्रा जी. मैं मानता हूँ कि हर नयी पीढ़ी कुछ नया, कुछ नया चाहती है. यह भी सच है कि आज हम एक वैश्विक गाँव का हिस्सा हैं जहाँ अन्य संस्कृतियों, विशेष रूप से पाश्चात्य संस्कृति का अधिक प्रभाव है. इन्टरनेट व टीवी का हमारे जीवन में व्यापक असर है. आज लोकप्रियता की बात करें तो मुझे साउथ के कलाकार धनुष का गया गीत 'कोलावेरी डी' और साउथ कोरिया के कलाकार का 'गंगनम नृत्य' याद आता है. इन दोनों ही चीजों की रिकॉर्ड तोड़ लोकप्रियता हुई लेकिन उतनी ही जल्दी ये लोगों के ज़हन से उतर भी गए.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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